सावधान! किताब फोटो स्टेट की तो हो सकती है सजा
सेकेंड हैंड किताबों और फोटो स्टेट ने की पब्लिशर्स के धंधे चोट पहुंचाई है। इसको लेकर वे परेशान हैं। अभी बिहार में छापामारी की गई है और कापीराइट के तीन मामले दर्ज कराए गए हैं।
जेएनएन, लुधियाना। बाजारों में बिक रहीं सेकेंड हैंड किताबों और विद्यार्थियों द्वारा धड़ल्ले से करवाई जा रही फोटो स्टेट ने पब्लिशर्स के धंधे पर करारी चोट की है। इस वजह से धंधा 35 से 45 फीसद तक कम हो गया है। अभी बिहार में छापामारी की गई है और कापीराइट के तीन मामले दर्ज कराए गए हैं।
पंजाब में यह अभियान मई या जून से शुरू किया जाएगा। कापीराइट के तहत तीन साल तक की सजा का प्रावधान है। यह जानकारी एमबीडी प्रकाशन समूह के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर बलवंत शर्मा ने रेडिसन ब्लू में आयोजित डीलर मीट के बाद संवाददाताओं से बातचीत में दी।
शर्मा ने कहा कि किताबों की हो रही फोटो स्टेट को रोकने के लिए एजेंसी के साथ तालमेल किया गया है। साथ ही खुद की जांच टीमें भी बनाई जा रही हैं। उनका मानना है कि शिक्षा बोर्ड एवं विश्वविद्यालयों की ओर से लगातार सिलेबस न बदलने के कारण ही यह समस्या आ रही है। शर्मा ने कहा कि दो साल में कागज का दाम 40 रुपये प्रति किलो से उछल कर 55 रुपये प्रति किलो हो गया है, लेकिन बाजार में कारोबार की कमी के चलते सारा बोझ पब्लिशर्स उठा रहे हैं।
शर्मा बोले कि शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाने के लिए पांचवीं एवं आठवीं कक्षा की परीक्षा बोर्ड की होनी अनिवार्य है। दूसरे कक्षाओं के सिलेबस दो तीन साल में बदलने चाहिए। इस दौरान एनसीईआरटी की किताबों के सोल्यूशन लांच किए गए। साथ ही नीट एवं जेईई परीक्षा के लिए प्रतियोगिता पुस्तकें भी लांच की गई।
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