20 भारतीय सैनिकों के बलिदान से लाेगाें में गुस्सा,चीनी माल के बहिष्कार की मांग ने पकड़ा जोर
लद्दाख में भारत और चीन के बीच हुई झड़प में बीस भारतीय सैनिकों के बलिदान से देशवासियों में उबाल है। अब तो चीन के बने माल का बहिष्कार करने की मांग भी जोर पकड़ रही है।
लुधियाना, [राजीव शर्मा]। लद्दाख में भारत और चीन के बीच हुई झड़प में बीस भारतीय सैनिकों के बलिदान से देशवासियों में उबाल है। लोगों में गुस्सा इतना है कि जगह-जगह चीनी राष्ट्रपति के पुतले और चीन का ध्वज जलाया जा रहा है। यही नहीं, अब तो चीन के बने माल का बहिष्कार करने की मांग भी जोर पकड़ रही है। चीन से लाखों करोड़ का सामान आयात हो रहा है।
कई मामलों में चीन पर निर्भरता काफी अधिक है। इसे लेकर चीमा चौक की एक औद्योगिक ईकाई में उद्यमी आपस में चर्चा कर रहे थे कि यदि चीन के सामान को न खरीदा जाए तो विकल्प क्या होगा। इस पर उद्यमी ललित ने कहा कि सालों से चीन की डोर पर तो रोक नहीं लग पाई, यह डोर हर साल कई लोगों को जख्मी करती है, जान लेती है। बाकी सामान पर कैसे रोक लगेगी, यह तो केंद्र सरकार को ही सोचना होगा।
फंड का लॉलीपॉप ही है
कोविड-19 से निपटने के लिए दो माह से अधिक समय तक लगे लॉकडाउन के कारण उद्योग और कामकाज ठप रहे। उद्यमियों को इससे काफी नुकसान हुआ। उनके कामकाज को गति देने के लिए सरकार ने विशेष आॢथक पैकेज का एलान किया। इसके तहत उद्यमियों की क्रेडिट लिमिट में बीस फीसद का इजाफा किया जाना था। उद्यमी भी राहत में थे कि इससे काम चलाने के लिए रकम का इंतजाम हो जाएगा, लेकिन सारा उत्साह तब ठंडा पडऩे लगा जब माइक्रो उद्यमियों को बैंकों में दिक्कत आई। छोटे उद्यमियों के पास बड़ा ट्रैक रिकॉर्ड नहीं था। हैबोवाल के होजरी उद्यमी विनीत अपनी लिमिट बढ़वाने बैंक गए। बैंक वाले सिबल स्कोर चेक करने लगे और कई तरह के दस्तावेज लाने के लिए कह दिया। मामला फंसता देखकर होजरी उद्यमी विनीत ने कह ही दिया कि जनाब बीस फीसद न सही, पांच फीसद ही दे दो, इससे ही वह अपना काम चला लेंगे।
लेबर की शर्तों से गुस्साए
कोरोना के डर के चलते शहर से लाखों की संख्या में श्रमिक अपने गांव लौट गए, क्योंकि कफ्र्यू के कारण उनका कामकाज बंद हो गया। अब अनलॉक-1 में औद्योगिक इकाइयां चलने जरूर लगी हैं, लेकिन उद्यमियों को श्रमिकों की कमी दिन-रात सता रही है। श्रमिकों को उत्तर प्रदेश और बिहार से वापस बुलाने के लिए उद्यमी उन्हें फोन कर रहे हैं। श्रमिक भी अब मस्ती में हैं। वे लौटने के लिए तरह-तरह की शर्तें रख रहे हैं।
पेमेंट एडवांस में लूंगा, कम से कम एक साल के वेतन की गारंटी दो। ओवरटाइम डबल होगा इत्यादि। कुछ ऐसा ही गिल रोड पर रहने वाले उद्यमी आशीष के साथ हुआ। उन्होंने बिहार गई अपनी लेबर को फोन करके वापस आने को कहा, तो उन्होंने कई शर्तें गिना दीं। इस पर गुस्से में आकर उन्होंने फोन काट दिया। फिर दोस्त से बोले कि अब तो शहर से ही लेबर का जुगाड़ करना पड़ेगा।
ठंडा पिलाकर चालान से बचा
कोरोना के लगातार बढ़ रहे मामलों को देखते हुए वीकेंड लॉकडाउन लग गया। इस दौरान पुलिस पूरी सख्ती बरत रही है ताकि लोग घरों में सुरक्षित रहें। माता रानी चौक पर पुलिस ने नाकाबंदी की हुई थी। वहां तैनात मुलाजिम ने एक बाइक सवार को रोका। युवक से हेल्मेट नहीं पहनने पर चालान करने की बात कही। वह मुलाजिम युवक को साहब के पास ले गया।
साहब ने पूछा तो उसने अपना नाम अनिल बताया और कहा कि वह सप्लाई का काम करता है। साहब ने भी चालान काटने की बात की तो युवक ने कहा कि उसके पास पैसे नहीं हैं। फिर साहब ने पूछा कि तुम क्या कर सकते हो। इस पर युवक बोला कि गर्मी काफी है, वह ठंडा पिला सकता है। साहब ने उससे तीन ठंडे मंगवाए। उसने एक साहब को, एक कर्मी को दिया और तीसरा खुद पी लिया। इस तरह उसने अपनी जान छुड़ाई।