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साधु के जीवन में धैर्य, सेवा, समता व तपस्या जरूरी : मुनि सुमंतभद्र

एसएस जैन सभा सिविल लाइंस के तत्वाधान में जैन भारती महासाध्वी मीना महारा के मंगल सानिध्य में युग पुरुष उप-प्रवर्तक सुभाष मुनि साध्वी डा. अर्चना म. कर्मठ श्रमणी श्री मुक्ता महाराज प्रवचन प्रभाविका श्री समृद्धि महाराज का जन्म व दीक्षा महोत्सव का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 06:22 AM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 06:22 AM (IST)
साधु के जीवन में धैर्य, सेवा, समता व तपस्या जरूरी : मुनि सुमंतभद्र
साधु के जीवन में धैर्य, सेवा, समता व तपस्या जरूरी : मुनि सुमंतभद्र

संस, लुधियाना : एसएस जैन सभा सिविल लाइंस के तत्वाधान में जैन भारती महासाध्वी मीना महारा के मंगल सानिध्य में युग पुरुष उप-प्रवर्तक सुभाष मुनि, साध्वी डा. अर्चना म., कर्मठ श्रमणी श्री मुक्ता महाराज, प्रवचन प्रभाविका श्री समृद्धि महाराज का जन्म व दीक्षा महोत्सव का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रवचन प्रभावक सुमंतभद्र महाराज ने कहा साधु के जीवन में धैर्य, तपस्या, सेवा समता व प्रवचन कला आदि के विशेष गुणों का होना आवश्यक है। इन गुणों के अभाव में साधना का निखार नहीं हो पाता है।

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साध्वी श्री मीना महाराज ने कहा उक्त चारों श्रमण व श्रमणी विद्धतरत्न और लोक अनुकम्पा के भाव से युक्त है। जग में इनका नाम श्रद्धा, उच्चता व आदर के साथ लिया जाता है। तप साधना के द्वारा इन्होंने कर्मों पर विजय प्राप्त करके आत्म दर्शन का परिचय प्राप्त किया।

साध्वी डा. अर्चना महाराज ने कहा कि संत का जीवन दीये की भांति मिथ्यात्व व अज्ञान अंधकार से लड़ते हुए प्रकाशमय होता है। साध्वी समृद्धि महाराज के 252 सुदीर्घ एकाशना तप साधना का पारणा हुआ। इसका लाभ दानवीरांगना कांता, सत्यापाल जैन, आशी व विनोद जैन गोयम परिवार ने लिया। साध्वी माध्वी म., साध्वी समृद्धि महाराज, साध्वी मनीषा महाराज ने भजनों से भक्ति का समां बांधा श्रीसंघ सिविल लाइंस की ओर से सभी साध्वी महाराज को आदर की चादरें भेंट की गई। वाचनाचार्य विशाल मुनि ने साध्वी समृद्धि महाराज को दीर्घ तपस्विनी उत्तर भारतीय प्रवर्तक आशीष मुनि म. ने युवा तपस्विनी उत्तर भारत प्रवर्तनी श्री सुधा महाराज ने तप साध्वी डा. अर्चना म. ने आदर्श तप योगिनी के पद से अलंकृत करते हुए उन्हें आदर की चादर भेंट की।

मंच का संचालन करते हुए महामंत्री प्रमोद जैन ने कहा कि तप के बिना आत्मा का निखार असंभव है। जैसे सोना आग में तप कर कुंदन बनता है, ऐसे ही साधक तप साधना से स्व. का उत्थान करता है। इस अवसर पर महामंत्र नवकार का जाप भी हुआ तथा विनोद जैन व जैन सभा की ओर से तथा एक गुरु भक्त परिवार की ओर से तीन प्रभावनाएं बांटी गई। अंत में अनिल जैन बंटा पूर्व प्रधान जैन सभा नूरवाला ने भी आदर की चादरें भेंट की।


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