डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माण की पुरानी शैली: तरुण भारतीय
डाक्यूमेंट्री फिल्म निर्माण की पुरानी शैली है।
जासं, लुधियाना : डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माण की पुरानी शैली है। डॉक्यूमेंट्री मेरे लिए दोस्त बनाने जैसा है। मैं जहां भी जाता हूं, एक ही सवाल करता हूं। इससे पहले कभी डॉक्यूमेंट्री फिल्म देखी है क्या? आज भी विद्यार्थियों के समक्ष यही सवाल किया। खचाखच भरे ऑडिटोरियम में 10 के करीब ही ऐसे विद्यार्थी रहे जिन्होंने डॉक्यूमेंट्री फिल्म देखी। ऐसा प्रश्न पूछा अवॉर्ड विनिग डायरेक्टर, फिल्म मेकर और कवि तरुण भारतीय ने। शिलांग के तरुण भारतीय वीरवार को फव्वारा चौक स्थित यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ, पंजाब यूनिवर्सिटी रीजनल कैंपस (पीयूआरसी) पहुंचे। डायरेक्टर प्रो. रवि इंद्र सिंह ने उनका स्वागत किया। इस दौरान विद्यार्थियों को तरुण भारतीय की ओर से तैयार की गई दो अवॉर्ड विनिग डॉक्यूमेंट्री फिल्में 'इंडियन हिल रेलवेज दार्जिलिंग हिमालयन रेलवेज' और 'ला माना' की स्क्रीनिग दिखाई गई। तरुण भारतीय ने विद्यार्थियों को बताया कि डॉक्यूमेंट्री फिल्म डिस्कवरी है, इसमें ऐसी चीजें दिखाई जाती हैं, जो सामने वाले ने कभी देखी नहीं होतीं। फिल्म कैमरा के आगे आने से नहीं बनती
विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए डायरेक्टर तरुण बोले कि कोई भी फिल्म हो, वह तब तक नहीं बनती, जब तक हम इकट्ठे न हों। कैमरा के आगे आने से फिल्म नहीं बन सकती। भले ही वह डॉक्यूमेंट्री फिल्म हो या फिर फिक्शन मूवी।
------------------
डॉक्यूमेंट्री स्क्रीनिग के बाद विद्यार्थियों में कुछ जिज्ञासाएं भी उठीं जिन्हें शांत करने के लिए उन्होंने तरुण भारतीय से सवाल किए और डायरेक्टर ने उन्हें बाखूबी समझाया। सवाल : इंडियन हिल रेलवेज डॉक्यूमेंट्री में रेलवे के पात्र कैसे चयनित किए, क्या वह इससे संबंधित रहे?
जवाब- जी हां, फिल्म के पात्र रेलवे से संबंधित रहे। एक पात्र को बच्चे के लिए पैसे की जरूरत रही, मैंने उनसे बात की, वह किरदार निभाने को तैयार हो गए। सवाल : डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाने के लिए क्या मुश्किलें आई?
जवाब - डॉक्यूमेंट्री मेरे लिए दोस्त बनाने जैसा है। जब मैं डॉक्यूमेंट्री बनाने की सोचता हूं तो पहले दिन ही कैमरे के पास नहीं जाता, सभी पात्र से मिलकर उन्हें समझता हूं। सवाल : डाक्यूमेंट्री के लिए फंडिग कैसे करते हैं?
जवाब - जब भी कोई एक डॉक्यूमेंट्री बनाता हूं तो उसी में से बचत करता हूं, दूसरी फिल्म के लिए महीने या साल लग जाते हैं, ऐसे ही चलता रहता है। सवाल : बायोग्राफी को बॉलीवुड में हिट मिलती है जबकि डॉक्यूमेंट्री के लिए कम बजट? क्या डॉक्यूमेंट्री को थ्रिलर्स बना सकते हैं?
जवाब - मेरे मुताबिक कई फिल्में ऐसी बनती हैं जिसकी वर्थ ही नहीं होती। एक बजट फिल्म को अच्छी या बुरी नहीं बनाता बल्कि फिल्म की वर्थ मायने रखती हैं।