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निगम के पास कोल्ड फागिग का विकल्प, फिर हर साल डीजल पर करोड़ों रुपये बर्बाद क्यो?

नगर निगम लुधियाना के खजाने की खस्ता हालत होने के बावजूद निगम अधिकारी मच्छरों के खिलाफ पुरानी फागिग तकनीक का इस्तेमाल कर करोड़ों रुपये बर्बाद कर रहे हैं जबकि बाजार में लगभग चार साल पहले कोल्ड फागिग का विकल्प आ चुका है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Aug 2022 12:56 AM (IST)Updated: Mon, 08 Aug 2022 12:56 AM (IST)
निगम के पास कोल्ड फागिग का विकल्प, फिर हर साल डीजल पर करोड़ों रुपये बर्बाद क्यो?

वरिदर राणा, लुधियाना : नगर निगम लुधियाना के खजाने की खस्ता हालत होने के बावजूद निगम अधिकारी मच्छरों के खिलाफ पुरानी फागिग तकनीक का इस्तेमाल कर करोड़ों रुपये बर्बाद कर रहे हैं, जबकि बाजार में लगभग चार साल पहले कोल्ड फागिग का विकल्प आ चुका है। कोल्ड फागिग का इस्तेमाल कर निगम हर दिन 1805 लीटर डीजल की बचत कर सकता है। इस लिहाज से निगम को एक माह में ही लगभग 50 लाख रुपये की बचत हो सकती है।

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दरअसल, मानसून में जब डेंगू मच्छर पैर पसारने लगता है तो निगम को अपनी फागिग मशीनें भी शुरू करनी पड़ जाती हैं ताकि लोगों को डेंगू के डंक से बचाया जा सके। इस समय निगम फागिग के लिए साइफेनोथ्रीन दवा का प्रयोग कर रहा है। इस दवा को डीजल में मिलाकर फागिग की जाती है। एक व्हीकल माउंटेड जेट मशीन में 95 लीटर डीजल के साथ पांच लीटर दवा डाली जाती है। पांच लीटर दवा की कीमत 9200 रुपये और 95 लीटर डीजल की कीमत करीब 8500 रुपये बैठती है। इतना खर्च करने के बाद सिर्फ एक घंटा फागिग होती है। यही कारण है कि निगम खर्च बचाने के लिए कई बार फागिग के नाम पर खानापूर्ति करता है। वहीं, अगर नई दवा का इस्तेमाल किया जाए तो निगम को एक फागिग मशीन का खर्च दो हजार रुपये बैठता है। इस को सीधे पानी में मिलाकर छिड़काव किया जा सकता है। लगभग चार हजार रुपये लीटर में आनी वाली दवा को एक मशीन में आधा लीटर ही इस्तेमाल किया जा सकता है। यानी सीधे तौर पर निगम को एक मशीन से ही 15 हजार रुपये की बचत होती है। हालांकि इसके बावजूद कोल्ड फागिग की तरफ से किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। विभाग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि कोल्ड फागिग के लिए पुरानी मशीनों को बदलने की जरूरत नहीं है। बस इसमें चंद रुपये खर्च कर कुछ बदलाव करने की जरूरत होगी।

निगम के पास 14 बड़ी व 95 छोटी मशीनें

नगर निगम के पास कुल 14 बड़ी फागिग मशीनें है। एक बार फागिग मशीन को तैयार करने के लिए डीजल और दवा पर करीब 18 हजार रुपये का खर्च आता है। इसी तरह 14 मशीनों को तैयार करने पर एक दिन में यह खर्च 2.19 लाख रुपये पहुंच जाता है। अगर एक माह इन मशीनों से फागिग की जाए तो यह खर्च करीब 68 लाख रुपये बैठता है। इसके बाद निगम ने हर वार्ड में पार्षद को एक छोटी मशीन दी हुई है। फागिग करने के लिए एक मशीन में पांच लीटर डीजल डाला जाता है। यानी प्रतिदिन 95 मशीन में 475 लीटर डीजल की खपत होती है। निगम पर इसका प्रतिदिन 42 हजार रुपये बोझ पड़ता है। एक माह के दौरान 13.10 लाख रुपये सिर्फ डीजल में खप्त होती है। इसके अलावा इन 95 मशीन में प्रतिदिन 46 हजार रुपये की दवा भी डाली जाती है। एक माह के दौरान 14.26 लाख रुपये की दवा खपत होती है।

कई शहरों में हो रही कोल्ड फागिंग

कोल्ड फागिंग तकनीक का इस्तेमाल कई बड़े शहरों में किया जा रहा है। गुजरात के अहमदाबाद और सूरत में कोल्ड फागिंग के जरिए निगम के खजाने की बचत के साथ ही पर्यावरण को भी दूषित होने से बचाया जा रहा है। महाराष्ट्र के थाने शहर में भी इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा इस तकनीक के फायदे देखते हुए दिल्ली नगर निगम इसे अपने की तैयारी कर रहा है।

डीजल के जलने से पर्यावरण पर बुरा असर

फागिग के दौरान दवा के साथ डीजल धुएं के रूप में बाहर निकलता है। डीजल जलने से नाइट्रोजन डाइआक्साइड गैस निकलती है, जो दमा व ब्रोंकाइटिस, हृदय रोगियों व बच्चों के विकास पर बुरा असर डालती है। डीजल में उपस्थित सल्फर जलने के बाद सल्फर डाइआक्साइड का निर्माण करता है, जिससे त्वचा संबंधी रोग पैदा होते हैं। डीजल के जलने से पर्यावरण पर भी बुरा असर पड़ता है। निगम की तरफ से एक दिन में फागिग करने के लिए 1805 लीटर डीजल का इस्तेमाल किया जाता है, जोकि मच्छर से चाहे आम लोगों को राहत देता है, लेकिन पर्यावरण पर भी बुरा असर डालता है।

कोल्ड फागिंग से यह होगा फायदा

दूसरी तरफ अगर कोल्ड फागिंग की बात की जाए तो इससे निगम को काफी फायदा होगा। एक तो सबसे बड़ा फायदा निगम को खजाने में बचत के रूप में होगा। डीजल में लगने वाले करोड़ों रुपये बचेंगे। इसके अलावा अधिक खर्च नहीं होने के कारण एक ही इलाके में कई-कई बार फागिंग की जा सकेगी। फागिंग का शेड्यूल भी जरूरत के मुताबिक बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा कई बार सुनने में आता है कि फागिंग के नाम पर खानापूर्ति कर डीजल की चोरी की जाती है। कोल्ड फागिंग में जब डीजल का इस्तेमाल ही नहीं होगा तो चोरी की गुंजाइश भी नहीं रहेगी।

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नई दवा के संबंध में अधिकारियों से जानकारी ली जाएगी कि यह कैसे काम करती है। यह कितनी असरदार साबित होती है। इसके बाद फागिग के लिए इसका इस्तेमाल करने पर विचार किया जाएगा। इस बारे में जल्द ही बैठक की जाएगी।

- पूनमप्रीत कौर, संयुक्त कमिश्नर, नगर निगम

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कोल्ड फोगिग से निगम के पैसे की काफी बचत हो सकती है, क्योंकि इसमें हमें महंगा डीजल फूंकने की जरूरत नहीं रहेगी। इसके लिए निगम अधिकारियों को ट्रायल रन करवाने के लिए कहा जाएगा, ताकि पता चले कि ये कितनी असरदार है।

- गुरप्रीत गोगी, विधायक, लुधियाना पश्चिमी

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हमारे ध्यान में भी यह बात है कि आयल और वाटर बेस्ड दो तरह की दवाएं आ रही है। यह बात सही है कि वाटर बेस्ड दवा से काफी बचत होती है। इस संबंध में निगम अधिकारियों से बातचीत की जाएगी। अभी इसके संबंध में मुझे उतनी जानकारी नहीं मिल सकी है। हां, इसका ट्रायल रन करवा हम यह देख सकते है कि आखिरकार यह कितनी कारगर साबित हो सकती है। इस बारे में जल्द ही अधिकारियों से बातचीत होगी।

- इंदरबीर सिंह निज्जर, निकाय मंत्री


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