Mosque Controversy: पंजाब के फरीदकाेट में बिना नक्शा पास करवाए बनी थी मस्जिद, माैलवी काे वक्फ बाेर्ड से मिल रहा वेतन
पंजाब के फरीदकाेट जिले में बनी 3 मस्जिदाें काे लेकर विवाद गहराता जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि बाबा फरीद गोसिया मस्जिद का नक्शा भी पास नहीं करवाया गया था। इसके चलते खुफिया एजेंसियां चाैकस हाे गई है।
जागरण संवाददाता, फरीदकोट। पंजाब के फरीदकाेट में तीन मस्जिदों के निर्माण में कश्मीर के रास्ते हुई फंडिंग के बाद एक चाैकान्ने वाला खुलासा हुआ है। डोगर बस्ती में 2019 में बनाई गई बाबा फरीद गोसिया मस्जिद का नक्शा भी पास नहीं करवाया गया। बिना नक्शा पास करवाए शहर में इतनी बड़ी इमारत का बन जाना नगर कौंसिल की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है। अन्य दोनों मस्जिदों के नक्शे को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है।
कौंसिल के ईओ अमृतपाल कहते हैं कि मस्जिद का कोई नक्शा पास नहीं है, यह मस्जिद उनके ध्यान में नहीं है। ईओ के इस बेतुका जबाव से स्थित थोड़ी तब और चिंताजनक हो जाती है, कि धार्मिक स्थल पर बनने वाली इमारत का नक्शा ही नहीं पास करवाया गया।
सुरक्षा एजेंसियां यह जांच कर रही है कि मस्जिदों के निर्माण में खर्च और इसका भुगतान किसी खाते में किया गया। केरल की संस्था रिलीफ एंड चैरिटेबल फाउंडेशन आफ इंडिया (आरसीएफआइ) ने 2019 में जिले के फरीदकोट, जैतो व मत्ता अजीत सिंह गिल में तीन मस्जिदों का निर्माण करवाया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अुनसार केरल की संस्था ने विदेश में रह रहे लोगों या संगठनों से प्राप्त धन को कश्मीर के बारामूला के दो लोगों के माध्यम से फरीदकोट भेजा था।
मौलाना काे हर महीने मिल रहा तीन हजार वेतन
उधर, मस्जिद की देखरेख करने वाले बरकत अली कहते है कि मस्जिद जो मौलवी कार्य कर रहे है, उन्हें वक्फ बोर्ड की ओर से प्रति महीने तीन हजार रुपये मिल रहा है, जबकि वह लोग अपनी जेब से मौलाना को चार हजार रुपए अलग से दे रहे है। हालांकि सूत्रों के अुनसार उक्त मस्जिद के मौलाना को वक्फ बोर्ड से वेतन दिए जाने की बात वक्फ बोर्ड के स्थानीय अधिकारियों की स्वीकृत पर न होकर बठिंडा के किसी प्रभावशाली व्यक्ति के इशारे पर मौलाना का वेतन लगा है।
वक्फ बोर्ड का कब्जा नहीं
उक्त मस्जिद पर वक्फ बोर्ड का कब्जा नहीं है, बल्कि यह मस्जिद दो लोगों की अपनी मलकियत है। ऐसे में बड़ा सवाल उठ रहा है कि वक्फ बोर्ड मस्जिद को बिना अपने अधिकार क्षेत्र में लिए कैसे उसके मौलाना को मस्जिद की देखरेख हेतु प्रति महीने पैसा दे सकती है। इस बात की जानकारी के लिए जब दैनिक जागरण की टीम फरीदकोट वक्फ बोर्ड के दफ्तर पहुंची तो वहां कोई अधिकारी नहीं मिला, वहां कार्यरत कर्मी ने अपने अधिकारी से बात कर कहा कि कल वह आएंगे तो इस मस्जिद के रिकार्ड काे देखकर बता पाएंगे।