Vande bharat rail project: 1500 करोड़ की वंदे भारत रेल परियोजना से चीनी कम्पनी को हटाने की मांग
भारत अाैर चीन के बीच हालांकि सीमा विवाद कुछ हद तक सुलझ गया है लेकिन व्यापार के क्षेत्र में तनाव अभी बरकरार है।
लुधियाना, जेएनएन। भात अाैर चीन के बीच हालांकि सीमा विवाद कुछ हद तक सुलझ गया है, लेकिन व्यापार के क्षेत्र में तनाव अभी बरकरार है। देश में चीनी कंपनियाें के खिलाफ राेष थमता नजर नहीं अा रहा है। ताजा मामला भारतीय रेलवे के अर्ध-उच्च गति स्वदेशी ट्रेन 18 परियोजना के लिए वैश्विक निविदा में भाग लेने का है। इसमें चीन के स्वामित्व वाली कम्पनी सीआरआरसी कॉर्पोरेशन काे लेकर विराेध के स्वर उठने लगे है।
कंज्यूमर प्रोडक्ट डिस्ट्रीब्यूटर एसोसिएशन लुधियाना के अध्यक्ष हरकेश मित्तल ने केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल को पत्र भेजकर मांग की है कि चीनी कंपनी काे निविदा में भाग लेने से राेका जाए। 44 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों के लिए इस परियोजना का कुल लागत 1500 करोड़ रुपये से अधिक है।
गुड़गांव की फर्म के साथ दावेदाराें में चीनी कंपनी
उन्होंने कहा कि चीन की कम्पनी सीआरआरसी कॉर्पोरेशन गुड़गांव स्थित एक फर्म के साथ संयुक्त उद्यम के साथ उक्त रेलों की प्रणोदन प्रणाली या इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन की खरीद के लिए जारी टेंडर में छह दावेदारों में से एक है। 44 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन या ट्रेन के लिए किट चूंकि भारतीय रेलवे की यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया का एक हिस्सा है, इसलिए इस तथ्य और वर्तमान में चल रही परिस्थितियों को देखते हुए चीनी कम्पनी को इस परियोजना में भाग नहीं लेने देना चाहिए।
भारतीय कंपनियों काे मिले ठेका
इस रेल परियोजना के लिए किसी भारतीय कंपनियों पर ही रेल मंत्रालय को अधिक जोर दिया जाना चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री के लोकल पर वोकल और आत्मनिर्भर भारत स्लोगन को ध्यान में रखकर गोयल इस महत्वाकांक्षी और प्रतिष्ठित परियोजना में चीनी कम्पनी को भाग लेने से रोकने के लिए तत्काल आवश्यक कदम उठाएंगे।