सीआइआइ ने श्रमिक कानून में संशोधन के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को लिखा पत्र
सीआइआइ के पंजाब चेयरमैन राहुल आहुजा ने एक ज्ञापन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को भेजा है। इसमें लिखा है कि विदेशी निवेश लाने को श्रमिक कानून में बदलाव किया जाना जरूरी है।
लुधियाना, जेएनएन। कई देशों द्वारा चीन से व्यापारिक सांझ को कम करने और अपने उत्पादन यूनिट दूसरे देशों में लगाने में भारत खासकर पंजाब के उद्योग खासा लाभ ले सकते हैं। मगर इसमें पंजाब के श्रमिक कानून से होने वाली परेशानियों को देखकर निवेशक पंजाब की ओर रुख नहीं कर रहे हैं।
इस संबंध में सीआइआइ के पंजाब चेयरमैन राहुल आहुजा ने एक ज्ञापन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को भेजा है। इसमें उन्होंने लिखा है कि विदेशी निवेश लाने को श्रमिक कानून में बदलाव किया जाना जरूरी है। मौके की नजाकत को समझते हुए यूपी और एमपी की ओर से लेबर लॉ को सिंपलीफाई कर दिया गया है और तीन चार अहम चीजों को छोड़कर बाकी शर्तों की कड़ाई खत्म कर दी गई है। इससे निवेशकों का रूझान निवेश को लेकर बढ़ेगा। ऐसे में अगर पंजाब सरकार भी यह प्रयास करे, तो कई निवेशक पंजाब में आ सकते हैं। अगर ऐसा न हुआ, तो निवेशक एक बड़ी इनवेस्टमेंट पंजाब में नहीं करेंगे। जबकि भारत की बजाय कंपनियां वियतनाम, बंगलादेश और कंबोडिया जैसे देशों में विस्तार कर लेंगी।
फीको ने मनाया ब्लैक डे, छोटी इंडस्ट्री को खोलने की मांग
पंजाब सरकार ने सिटी लिमिट और औद्योगिक फोकल प्वाइंट्स में उद्योगों को चलाने की अनुमति दी है। अधिकांश यूनिट मिक्सलैंड यूज इलाकों में है। मिक्सलैंड इंडस्ट्री को राहत न दिए जाने से लाखों उद्यमी और कर्मचारी गुजरा कर पाने में भी मुश्किल में है। इंडस्ट्री को नियमों के साथ खोलने की अनुमति दी जाए, तो इंडस्ट्री पूर्ण सहयोग करने को तैयार है। इस संबंध में फीको की ओर से एक प्रदर्शन गिल रोड स्थित कार्यालय में किया गया। प्रधान गुरमीत सिंह कुलार और महासचिव राजीव जैन ने कहा कि मिक्सलैंड के बिना बड़ी इंडस्ट्री का भी चल पाना संभव नहीं है।
इस दौरान जनता नगर, न्यू जनता नगर, शिमलापुरी, दशमेश नगर, धूरी लाइन, ढोलेवाल, विश्वकर्मा कॉलोनी के उद्यमी शामिल हुए। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो पंजाब सरकार घर घर रोजगार अभियान चला रही है और छोटी इंडस्ट्री को बंद कर रही है। सरकार को पंजाब उद्योग को बचाने के लिए छोटी इंडस्ट्री को भी खोलना चाहिए। इस दौरान सतनाम सिंह मक्कड़, गुरमुख सिंह रुपल, हरपाल सिंह भंबर, मनमोहन सिंह उबी, गुरमीत सिंह, यादविंदर सिंह, रवनीत सिंह कलसी, स्वर्ण सिंह, धर्म सिंह, उधम सिंह व राजेश बांसल उपस्थित रहे।
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