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लुधियाना जिला क्रिकेट संघ के पदाधिकारियों पर धोखाधड़ी का केस दर्ज, जानें क्या है पूरा मामला

मरवाहा ने कहा कि लुधियाना क्रिकेट एसोसिएशन के कैशियर राजीव ने 2016 में पद से इस्तीफा दे दिया था लेकिन वर्ष 2017-18 2018-19 और 2019-20 से संबंधित कुछ दस्तावेजों में इस्तीफे के बाद भी राजीव को एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष के रूप में कार्यरत दिखाया गया है।

By Edited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 05:30 AM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 07:36 AM (IST)
लुधियाना जिला क्रिकेट संघ के पदाधिकारियों पर धोखाधड़ी का केस दर्ज, जानें क्या है पूरा मामला
लुधियाना जिला क्रिकेट संघ के पूर्व संयुक्त सचिव नरेश मरवाहा पर केस। (सांकेतिक तस्वीर)

लुधियाना, जेएनएन। लुधियाना जिला क्रिकेट संघ के पूर्व संयुक्त सचिव नरेश मरवाहा की शिकायत पर लुधियाना जिला क्रिकेट संघ के विनोद चितकारा (एलडीसीए के मानद महासचिव), राजिंदर नाथ महाजन (अध्यक्ष), राजीव बजाज (एलडीसीए के मानद कोषाध्यक्ष) और सतीश गर्ग के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है।

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नरेश मरवाहा ने थाना डिवीजन पांच की पुलिस के पास दर्ज करवाई शिकायत में आरोप लगाया कि 2008 के बाद लुधियाना क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव करवाए बिना फर्जी मीटिंगें कीं। 24.09.2019 को क्रिकेट एसोसिएशन के रिकार्ड में दर्ज मीटिंग भी फर्जी थी। इसमें दर्शाए सदस्यों के हस्ताक्षर बाद में एकत्र किए गए थे। मरवाहा ने कहा कि लुधियाना क्रिकेट एसोसिएशन के कैशियर राजीव ने 2016 में पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 से संबंधित कुछ दस्तावेजों में इस्तीफे के बाद भी राजीव को एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष के रूप में कार्यरत दिखाया गया है।

उन्होंने आरोप लगाया कि इस्तीफा देने के बावजूद राजीव ने लुधियाना क्रिकेट एसोसिएशन के एक सदस्य के रूप में को¨चग की आड़ में बच्चों को क्रिकेट टीम में सिलेक्ट करने के लिए मोटी रकम हासिल की। फिलहाल पुलिस जांच में जुट गई है। उन्होंने शिकायत में यह भी कहा कि लुधियाना क्रिकेट एसोसिएशन के कैंप में खेल रहे बच्चों के अपने तौर पर ट्रायल लिए गए। 2003 से खिलाड़ियों पर फीस का अतिरिक्त बोझ भी डाला गया।

एसोसिएशन ने कोचिंग की आड़ में बच्चों को क्रिकेट टीम में चयन करने के लिए मोटी रकम हासिल की और उनसे पैसे लेकर रसीदें तक नहीं दीं। मरवाहा ने कहा कि जब उन्होंने शिकायत दी, तो अधिकारियों ने पुलिस स्टेशन में यह कहते हुए झूठे बयान दिए कि उन्हें 2015 के चुनाव के परिणामस्वरूप हटा दिया गया था, हालांकि ऐसा कोई चुनाव नहीं हुआ था। जब उन्होंने उन्हें प्रमाण या कागजात दिखाने के लिए चुनौती दी, तो उनके पास कुछ भी नहीं था। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।


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