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Lockdown से अदालतों का कामकाज प्रभावित, न्याय मिलने में हो रही देरी

कोरोना वायरस के चलते न्यायिक प्रणाली एक तरह से ठहर सी गई है। लॉकडाउन से लुधियाना जिले की 71 अदालतों का कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

By Sat PaulEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 09:23 AM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 09:23 AM (IST)
Lockdown से अदालतों का कामकाज प्रभावित, न्याय मिलने में हो रही देरी

लुधियाना, [राजन कैंथ/रजनीश लखनपाल]। कोरोना वायरस के चलते न्यायिक प्रणाली एक तरह से ठहर सी गई है। लॉकडाउन से लुधियाना जिले की 71 अदालतों का कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ है। जिससे विभिन्न अदालतों में लंबित 89 हजार से ज्यादा केसों में सिर्फ तारीखें ही पड़ रही हैं। अत्यंत जरूरी मामलों की सुनवाई वीडियो कान्फ्रेंंसिंग के माध्यम से ही चल रही है। जबकि कुछ जज अदालतों में बैठ कर मामलों की सुनवाई कर रहे हैं।

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अदालतों में 59 जज : लुधियाना में सेशन जज समेत 19 अतिरिक्त सेशन जज, 39 ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट, स्थायी लोक अदालत, इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल व उपभोक्ता फोरम हैं। जगराओं में 4, खन्ना में 3, पायल में 2 व समराला में 3 जज हैं। अदालतों में जुलाई की तारीखें पड़ रही हैं। 16 मार्च से अदालतों में मामलों की सुनवाई धीमी हो गई थी। 21 मार्च को पंजाब सरकार द्वारा कर्फ्यू लगाए जाने के बाद तो न्यायिक व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो गई थी।

हाईकोर्ट के निर्देश के अनुसार जिला व सेशन जज गुरबीर सिंह ने लॉकडाउन में अत्यंत जरूरी सिविल व फौजदारी कार्यों के लिए जजों की विशेष ड्यूटियां लगानी शुरू कर दी थीं। शुरुआत में काफी कम जजों की ड्यूटियां लगाई गई थीं। मगर, 14 मई के बाद इनकी संख्या बढ़ा दी गई। सब डिवीजन पायल, खन्ना, जगराओं व समराला में एक-एक जज की ड्यूटी लगाई गई है। सेशन कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में आने वाले मामलों की सुनवाई के लिए इस समय नौ अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायाधीश ड्यूटी दे रहे हैं, जबकि तीन ड्यूटी मजिस्ट्रेट भी कार्यरत है। ज्यादातर काम वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से हो रहा है। उनमें इस दौरान आने वाले जरूरी सिविल व फौजदारी मामलों की सुनवाई भी की जा रही है।

कर्फ्यू के दौरान वकील बकायदा जमानत अर्जियों को वैध दस्तावेजों सहित ऑनलाइन स्कैन कर फाइल कर रहे हैं। लॉकडाउन हटने के बाद वो अदालतों में जमानत की अर्जी को दस्तावेजों सहित अदालतों में दाखिल करवा सकेंगे। वकीलों को लगातार आ रही परेशानियों के चलते पिछले कुछ दिनों से सेशन जज ने वकीलों को ऑनलाइन के अलावा खुद जाकर सुविधा सेंटर में जमानत याचिकाएं व स्टे संबंधी केस दायर करने की इजाजत दे दी है। जिससे कई वकीलों ने राहत की सांस लीं है। क्योंकि हरेक वकील ऑनलाइन सिस्टम से पूरी तरह जुड़ा हुआ नहीं है। अदालतों में अनेक वकीलों ने पेश होकर अपने मामलों की पैरवी करनी शुरू कर दी है। यह भी देखने में आया है की फिजिकल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह पालन नहीं हो रहा है।

दो बेंचों में बांट कर लगाई गई है ड्यूटी

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीशों को दो बेंचों पहले व दूसरे में बांटते हुए उनकी 31 मई तक क्रमश: एक-एक दिन के लिए ड्यूटी लगाई गई है। पहले बैंच में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीशों जगदीप सिंह मरोक, अमरपाल पाल, कर्मजीत सिंह सुल्लर, लखविंदर कौर, बलविंदर कुमार, कुलभूषण कुमार व रश्मि शर्मा को शामिल किया गया है। जबकि दूसरे बेंच में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अतुल कसाना, मनीष अरोड़ा, अरुण कुमार अग्रवाल, तरनतारन सिंह बिंद्रा, कृष्ण कांत जैन, जरनैल सिंह व अशीष अबरोल को रखा गया है। इसी तरह के क्रमश: दोनों बेंच 31 मई तक एक-एक दिन बाद अपनी-अपनी ड्यूटी देंगे। इसी तरह जिला एवं सेशन जज गुरबीर सिंह द्वारा निचली अदालतों के लिए हिमांशु अरोड़ा कि 18 मई से 20 मई, हसन दीप सिंह बाजवा की 21 मई से 23 मई, सुमुखी की 24 मई से 27 मई व पलविंदर सिंह की 28 मई से 31 मई तक के लिए ड्यूटी लगाई गई थी।

जान है तो जहान है : बार संघ उपप्रधान बब्बर

जिला बार संघ के उपप्रधान रजिंदर पाल सिंह बब्बर का कहना है कि जान है तो जहान है। वकील समुदाय व मुवक्किलों को इस समय संयम व धैर्य से आगे बढऩा होगा। जिला अदालतों में आमतौर पर रोजाना 15-20 हजार के करीब लोग आते हैं। इसलिए मौजूदा समय में अदालतों को न खोलना एक सही निर्णय हैं। अगर इतनी बड़ी संख्या में लोग अदालतों में आएंगे, तो कोरोना की बीमारी से ग्रस्त होने का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाएगा। जिसे रोकना मुश्किल हो जाएगा।

न्याय के चक्र को रोकना नहीं चाहिए: हरीश राय ढांडा

जिला बार संघ के सात बार प्रधान रह चुके हरीश राय ढांडा (मौजूदा सदस्य बार कौंसिल ऑफ पंजाब व हरियाणा) का मानना है कि न्याय के चक्कर को रोकना नहीं चाहिए। उनका मानना है कि पूरी एहतियात बरतते हुए न्यायालयों को खोलना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि अदालतों में आने वाले लोगों की संख्या को कम किया जा सके, इसके लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए। उन्होंने बताया कि इस बारे में उन्होंने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को भी एक पत्र लिखकर उसमें सुझाव भेजा है कि किस तरह अदालतों का कामकाज पुन: शुरू किया जाना चाहिए। ताकि कोरोना जैसी महामारी से बचाव भी हो सके और मुश्किल घड़ी में लोगों को न्याय मिलने में देरी न हो। 

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