सीएम साहब, शहर की बदहाल सड़कों की तरफ दें ध्यान, पैदल चलना भी हुआ मुश्किल Ludhiana News
शहर की टूटी सड़कें और जगह-जगह जमा पानी शहर की दुर्गति की तस्वीर पेश कर रही है। खासकर शहर के बाहरी इलाकों में लोग सीवरेज के जमा पानी के बीच जानवरों की तरह रहने को मजबूर हैं।
लुधियाना, [भूपेंदर सिंह भाटिया]। लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह शनिवार को लुधियाना आ रहे हैं। लगभग डेढ़ साल पहले 11 मार्च 2018 को अपने 77वें जन्मदिन पर मुख्यमंत्री शहर आए थे। उन्होंने लोगों को आश्वासन दिया था कि औद्योगिक शहर को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा और हर सुविधाएं मुहैया करवाई जाएंगी। जन्मदिन पर उन्होंने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का नींव पत्थर रख शहरवासियों को तोहफा दिया था, लेकिन आज उसमें से एक भी काम पूरा नहीं हो पाया।
भले ही वह स्मार्ट मल्हार रोड हो या फिर सराभा नगर स्मार्ट मार्केट, एलईडी प्रोजेक्ट और स्मार्ट सिटी के एरिया में 24 घंटे नहरी वाटर सप्लाई हो। कुछ योजनाएं शुरू होकर लटकी हैं तो कुछ शुरू ही नहीं हो पाई हैं। शहर की टूटी सड़कें और जगह-जगह जमा पानी शहर की दुर्गति की तस्वीर पेश कर रही है। खासकर शहर के बाहरी इलाकों में लोग सीवरेज के जमा पानी के बीच जानवरों की तरह रहने को मजबूर हैं।
थोड़ी सी बारिश में ही शहर की तमाम सड़कें जलमग्न हो जाती हैं। शहर की सड़कों में वाहनों की बजाए पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है। इससे लगने वाले ट्रैफिक जाम ने लोगों की समस्या और बढ़ा दी है। चूंकि मुख्यमंत्री हेलीकॉप्टर से लुधियाना के पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) में लैंडिंग करेंगे और वहीं से वापसी की उड़ान भर लेंगे, इसलिए उन्हें पीएयू की हरियाली वाली सड़कों का ही दीदार होगा। शहर की खस्ताहाल सड़कों से उनका पाला ही नहीं पड़ेगा। प्रदेश में कांग्रेस सरकार, शहर के चार विधायक कांग्रेस के और नगर निगम पर कांग्रेस का कब्जा, लेकिन इसके बावजूद जनता को सिर्फ आश्वासनों का पुलिंदा ही मिल रहा है।
टूटी सड़कें और सीवरेज जाम से बढ़ी कांग्रेस में गुटबाजी
शहर के चार विधायक कांग्रेस के हैं और उनके क्षेत्र में विकास कार्य न होने के कारण जहां जनता में रोष है, वहीं मेयर बलकार सिंह संधू को भी अकसर इन विधायकों का कोपभाजन बनना पड़ रहा है। विधायक उनके पार्षदों का काम करवाने के लिए मेयर पर दबाव बनाते हैं। कई बार उनके बीच मनमुटाव सार्वजनिक हो चुका है। हालत यह हैं कि गैर कांग्रेस पार्षदों की तो निगम में कोई पूछ तक नहीं होती। ऐसे में उन पार्षदों के क्षेत्रों में रहने वाले लोग भी समस्याओं के ढेर पर जीवन जीने को मजबूर हैं।
थोड़ी सी बारिश से भर जाती हैं सड़कें
थोड़ी देर की बारिश शहर की सड़कों को झील का रूप दे देती है। जमा पानी के बीच वाहन चलाना जहां बड़ी समस्या होती है, वहीं पानी के बीच पैदल चलना खतरनाक हो जाता है। कई इलाकों में लोगों के घरों में बारिश का पानी समा रहा है और लोग बेसहाय से खड़े झील में तब्दील अपने घरों दो देखते रहते हैं।
टूटी सड़कें, बढ़ती दुर्घटनाएं
बारिश से पहले निगम ने शहर की सड़कों में पैचवर्क किया था, लेकिन बारिश के दौरान जहां पैचवर्क उखड़ गए, वहीं टूटी सड़कें लगातार दुर्घटनाओं को आमंत्रण दे रही हैं। पहले निगम का रोना था कि उनके पास खजाना नहीं है और अब बारिश का बहाना है।
सड़कों पर घूमते लावारिस पशु
शहर की ज्यादातर सड़कों पर बेसहारा पशु घूमते नजर आते हैं। कई बार यह दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं और लोगों की जानें भी गई हैं। निगम विभिन्न स्रोतों से फंड तो इकट्ठा करती है, लेकिन शहर की गोशालओं को फंड नहीं मिल रहा। इसी कारण वह भी सड़कों पर घूम रहे पशुओं की ओर ध्यान नहीं देते।
कछुआ चाल में जगराओं पुल
पुराने और नए शहर को जोड़ने वाला जगराओं पुल वर्षो से लोगों की सबसे बड़ी समस्या बना हुआ है। पहले तो योजना के लिए रेलवे और प्रदेश सरकार में नहीं बन रही थी। उसके बाद पुल का काम शुरू हुआ, लेकिन कछुआ चाल ने लोगों की समस्या कम करने की बजाए बढ़ाई ही हैं। सांसद रवनीत बिट्टू कई बार लोगों को आश्वासन दे चुके हैं, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ।
जगह-जगह सीवरेज जाम
शहर में सीवरेज जाम और उससे सड़कों पर फैलने वाले गंदे पानी के बीच लोग जीने को मजबूर हैं। खासकर बाहरी इलाकों में सीवरेज का पानी गलियों में जमा होना और बीमारियां फैलना आम बात है। लोगों के विरोध प्रदर्शन करने पर कुछ देर के लिए सफाई की जाती है, लेकिन फिर वही हाल हो जाता है।
बढ़ती नशा तस्करी
मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि सत्ता संभालने के सौ दिन के अंदर नशा तस्करी समाप्त कर दी जाएगी, लेकिन आज लुधियाना में जितना नशा पकड़ा जा रहा है, वह पिछली सरकार के समय से दोगुने से भी ज्यादा हो गया है। रोजाना नशे के साथ लोगों का पकड़ा जाना दर्शाता है कि नशे की तस्करी पर कोई अंकुश नहीं है।
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