कैबिनेट मंत्री आशु व विधायक सिमरजीत बैंस की केमिस्ट्री का जवाब नहीं, पढ़ें लुधियाना की और राेचक खबरें
विपक्षी दलाें ने बैंस के खिलाफ रणनीति तेज कर दी है। अब अकाली दल आम आदमी पार्टी बैंस के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं लेकिन आशु उनके खिलाफ नहीं बोल रहे। यही नहीं आशु पर तो विपक्षी बैंस को शेल्टर देने का आरोप तक लगा रहे हैं।
लुधियाना, [राजेश भट्ट]। कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु और लोक इंसाफ पार्टी के विधायक सिमरजीत बैंस विरोधी दल में जरूर हैं, लेकिन दोनों में केमिस्ट्री का कोई जवाब नहीं। ऐसा नहीं है कि यह केमिस्ट्री आज बनी है। दोनों लंबे समय तक निगम में साथ पार्षद रहे। वहां भी विपक्षी जरूर थे लेकिन दोनों का मिजाज एक जैसा था तो वहीं से केमिस्ट्री सेट हो गई। अब हालात यह हैं कि जब बैंस कांग्रेस के कैप्टन से लेकर सभी मंत्रियों के खिलाफ भड़ास निकालते हैं और इस सबके बीच वह आशु के खिलाफ एक शब्द नहीं बोलते।
इस बात को लेकर विपक्षी उन पर ताने भी कसते रहे। मगर बैंस ने तब भी मुंह नहीं खोला। अब अकाली दल, आम आदमी पार्टी बैंस के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं लेकिन आशु उनके खिलाफ नहीं बोल रहे। यही नहीं आशु पर तो विपक्षी बैंस को शेल्टर देने का आरोप तक लगा रहे हैं।
कड़क साहब से भी बेखौफ
नगर निगम के अफसर हों या कर्मचारी, इन दिनों सब काम में जुटे हैं। समय पर दफ्तर आना, शिकायतों का निपटारा और रिकवरी के लिए फील्ड में जाना। निगम अफसरों की यह अब दिनचर्या बन चुकी है। दरअसल निगम कमिश्नर प्रदीप सभ्रवाल खुद भी समय पर दफ्तर आते हैं और लोगों की शिकायत मिलने पर मौके पर पहुंच जाते हैं। कमिश्नर इसलिए अपने मातहत अफसरों से भी वह ऐसा ही चाहते हैं।
निगम में उनकी छवि कड़क अफसर की बन चुकी है और वह गलती पर फैसला आन दि स्पाट की थ्योरी पर चलते हैं लेकिन निगम में अब भी कुछ अफसर ऐसे हैं कि वह कड़क साहब से भी बेखौफ हैं। वह अफसर भी वो हैं जो कई सालों से निगम में जमे हैं। बिल्डिंग ब्रांच के कुछ अफसर सड़कों की धांधली की रिपोर्ट नहीं दे रहे तो ओएंडएम के अफसर अवैध कालोनियों के सीवरेज कनेक्शन नहीं काट रहे।
हमें भी तो घुमा दो मेयर साहब
पार्षदों व अफसरों के शिष्टमंडल अलग-अलग शहरों में नगर निगमों की कारगुजारी देखने जाते रहते हैं। शिष्टमंडलों में सत्तापक्ष के साथ-साथ विपक्ष के पार्षद भी जाते रहते हैं। हालांकि इन शिष्टमंडलों में महिला पार्षदों को शामिल नहीं किया जाता। जिसका दर्द महिला पार्षदों को भी है। एक महिला पार्षद ने मेयर को यहां तक कह दिया कि क्या महिला पार्षदों का दिमाग नहीं होता या वो उन्हें किसी शिष्टमंडल में भेजना ही नहीं चाहते। मेयर साहब कभी महिला पार्षदों को भी घुमने के लिए भेज दिया करो।
जब सत्ताधारी पार्टी की महिला पार्षद ने ही शिष्टमंडल में शामिल न करने पर सवाल उठाया तो वहां मौजूद अन्य पार्षद हंसने लगे। मेयर ने मौका संभालते हुए तुरंत कहा कि बहन जी दिमाग के मामले में महिलाएं कहां पीछे हैं। आगे से जो भी शिष्टमंडल जाएंगे उनमें आपको जरूर शामिल कर दिया जाएगा। महिला पार्षदों को भी घुमने का मौका जरूर मिलेगा।
क्रेडिट के लिए नुकसान ही सही
निगम ने पार्षदों को हर साल एक करोड़ के विकास कार्य करवाने का कोटा तय किया है। वहीं पंजाब सरकार ने अब सभी हलकों में विकास करवाने के लिए विधायकों को 25-25 करोड़ दिए हैं। सेंट्रल हलके के एक वार्ड की भाजपा पार्षद ने अपने वार्ड में तीन करोड़ के विकास कार्य पास करवा दिए लेकिन उनके वार्ड में तीन लाख का भी काम नहीं हुआ। इससे वह खफा हैं। अपने वार्ड की एक सड़क का निर्माण कार्य करवाने के लिए पार्षद ने वर्क आर्डर जारी करवाए लेकिन काम शुरू नहीं हुआ।
अब विधायक सुरिंदर डावर ने उसी सड़क का निर्माण कार्य अपने कोटे से करवाने का फैसला किया तो पार्षद को यह गंवारा नहीं हुआ। अगर यह काम विधायक करवाते हैं तो पार्षद इसके बदले कोई नया काम अपने कोटे से करवा सकती हैं लेकिन क्रेडिट के चक्कर में भाजपा पार्षद भूल गई कि इसमें उनका ही फायदा है।
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