तीन से छह साल के बच्चों के लिए लगेगा बाल मेला, पेरेंट्स भी लेंगे हिस्सा
प्री-प्राइमरी कक्षाओं के बच्चों के विकास लिए बाल मेला आयोजित किया जाएगा। इसके आयोजन के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
[बिंदु उप्पल, जगराओं] पंजाब सरकार की ओर से प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में तीन से छह वर्ष के बच्चों को प्राइमरी शिक्षा देने के लिए प्री-प्राइमरी कक्षाएं पिछले साल 14 नवंबर को शुरू की गई हैं। इसमें एक लाख 70 हजार बच्चों का दाखिला किया गया था। यह जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी स्वर्णजीत कौर ने दी। उन्होंने बताया कि इस 14 नवंबर को प्री-प्राइमरी कक्षाओं की शुरुआत हुए एक वर्ष पूरा हो जाएगा। इसी के तहत समूह प्राइमरी स्कूलों में प्री-प्राइमरी कक्षाओं के बच्चों के लिए बाल मेला आयोजित किया जाएगा। इसके आयोजन के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
यह बाल मेला हर उस स्कूल में होगा, जिसमें प्री-प्राइमरी कक्षा चलाई जा रही है। इस बाल मेले के लिए गांव के सरपंच, पंचायत मेंबरों, स्कूल मैनेजमेंट कमेटी सदस्यों, बच्चों के अभिभावकों, 3 से 6 वर्ष के स्कूल बाहर के बच्चे व उनके अभिभावक व आगनबाड़ी वर्करों व हेल्परों को इस प्रोग्राम में शामिल होने के लिए निमंत्रण दिया जाएगा। बाल मेले के लिए हर स्कूल की ओर से किसी खुले स्थान पर पांच स्टाल लगाए जाएंगे। जो बच्चों के शारीरिक, भाषा, बौद्धिक, रचनात्मक विकास और रिपोर्ट कार्ड पर आधारित होंगे। इन स्टालों पर विकास के अनुसार जरूरी सामान रखा जाएगा। इन स्टालों पर बच्चे पर कोई दो विकास आधारित गतिविधियां अध्यापकों द्वारा करवाई जाएंगी।
इस बाल मेले में विशेष आकर्षण होगा कि स्कूल के अध्यापक प्री-प्राइमरी बाल मेले के दौरान लगाए जाने वाले स्टालों पर किए जाने वाले काम के लिए पांचवीं कक्षा के बच्चों की मदद लेंगे। इन विद्यार्थियों को मेले के दौरान करवाई जाने वाली गतिविधियों का संचालन करने संबंधी प्रशिक्षण पहले से ही दिया जाएगा। स्कूल पहुंचने पर प्री-प्राइमरी का बच्चा व उसके माता-पिता हर एक स्टाल पर जाएंगे और उस स्टाल के इंचार्ज विद्यार्थी, बच्चों को विकास आधारित गतिविधिया करवाएंगे। पांचवें स्टाल पर अध्यापक बच्चों के मा-बाप के साथ उनके बच्चे के रिपोर्ट कार्ड में दर्ज पहले मूल्यांकन के नतीजे साझा किए जाएंगे। बच्चों की ओर से किए गए कार्यो व विकास संबंधी जानकारी मा-बाप को दी जाएगी।
बच्चों के विकास के लिए करवाई जाएंगी खेलें
शारीरिक विकास के लिए स्टालों पर अलग-अलग क्रियाओं के तहत खेलें व गतिविधियां करवाई जाएंगी। शारीरिक विकास के लिए कोई टेढ़ी-मेढ़ी लाइन पर चलना, गोले के अंदर-बाहर कूदना, किताब सिर पर रखकर सीधी लाइन पर चलना, रस्सी कूदना, बाल्टी में गेंद डालना, बोतलें गिराना। भाषा विकास के लिए अपने बारे में बताना, कविता या बाल गीत सुनाना, आखों की पहचान करना, तस्वीर फल, सब्जी, जानवर देखकर नाम बताना।
बौद्धिक विकास पर जोर
बौद्धिक विकास के लिए रंग, आकार, फल-सब्जियों का वर्गीकरण, पजल तीन या चार काट, सख्त नर्म, ठंडा-गर्म, हल्का-भारी में अंतर बताना, वस्तुओं को एक से नौ तक गिनना। रचनात्मक विकास के लिए क्ले से सूंडी बनाना, पेपर फोल्ड कर किश्ती-जहाज, अलमारी आदि बनाना, मनपसंद चित्र बनाकर रंग भरना, कोलाज बिंदुओं की मदद से चित्र बनाकर गोलिया चिपकाना, आसान अक्षर या अंक देखकर लिखना।
डांस भी करेंगे बच्चे
इस दिन फैंसी ड्रेस, सोलो डास, गुब्बारे की गतिविधि, बाल गीतों का भी आयोजन स्कूलों में किया जाएगा। प्री-प्राइमरी के कमरे, कॉर्नर में खास तौर पर फ्री प्ले कॉर्नर स्थापित किया जाएगा। गांव, शहर व इलाके में 3 से 16 वर्ष के स्कूलों के बाहर के बच्चों को इस कॉर्नर में खेलने के लिए प्रेरित किया जाएगा। प्री-प्राइमरी में दाखिल बच्चों व उनके मा-बाप व इस मौके बुलाए मेहमानों को खास तौर पर चार्ट से तैयार किए कमरों में ले जाया जाएगा। प्री-प्राइमरी कक्षा के लिए तैयार किए कमरे में बच्चों द्वारा किए गए कार्यो की प्रदर्शनी लगाई जाएगी।