संवत्सरी महापर्व में तपस्या व धर्म की दिखी अदभुत लहर
संसार के सभी जीवों के साथ क्षमा के आदान-प्रदान का महापर्व संवत्सरी वीरवार को श्रद्धा के साथ गच्छाधिपति जैनाचार्य श्रीमद विजय वल्लभ आराधना स्थल दरेसी में सर्व मंगल चातुर्मास हेतु गच्छाधिपति जी के साथ श्रीमद विजय वसंत सूरी. म., ज्ञान प्रभाकर श्रीमद विजय जयानंद सूरीश्वर म. के सान्निध्य में मनाया गया। सूरी भगवंतों के सान्निध्य में लुधियाना जैन संघ में पहली बार इतनी तपस्या तथा धर्म की अदभुत लहर दिखाई दे रही है।
संस, लुधियाना : संसार के सभी जीवों के साथ क्षमा के आदान-प्रदान का महापर्व संवत्सरी वीरवार को श्रद्धा के साथ गच्छाधिपति जैनाचार्य श्रीमद विजय वल्लभ आराधना स्थल दरेसी में सर्व मंगल चातुर्मास हेतु गच्छाधिपति जी के साथ श्रीमद विजय वसंत सूरी. म., ज्ञान प्रभाकर श्रीमद विजय जयानंद सूरीश्वर म. के सान्निध्य में मनाया गया। सूरी भगवंतों के सान्निध्य में लुधियाना जैन संघ में पहली बार इतनी तपस्या तथा धर्म की अदभुत लहर दिखाई दे रही है।
आचार्य नित्यानंद सूरी. की प्रेरणा और आशीर्वाद से 66 उपवास, 61 उपवास, 40 उपवास तथा 36 उपवास की सुदीर्घ तपस्याएं गतिमान है। 26 मासक्षमण करने वाले तथा 300 से अधिक आठ उपवास करने वाले तपस्वी है। 66 से अधिक श्रावकों व युवकों ने केश लोच करवाए। इसमें एक श्राविका और 9-9 वर्ष के दो बालक भी शामिल हैं।
इस दौरान बारसा सूत्र की ज्ञान पूजा और अष्ट प्रकारी पूजा की गई। फिर गुरु महाराज ने विधिपूर्वक ग्रंथ दोहराया। गुरु वल्लभ समुदाय के सबसे छोटे बाल मुनि श्री ज्ञानानंद विजय म. ने प्राकृत भाषा में बने हुए 1215 गाथा प्रमाण बार के सूत्र को कंठस्थ करके सभा में सकल श्री संघ को श्रवण कराया। 12 वर्ष की आयु में दीक्षा देकर बाल मुनि ने पहले चौमासे में ही इस बारसा सूत्र को सवा महीने में कंठस्थ कर लिया था। बाल मुनि के श्रीमुख से धारा प्रवाह प्राकृत सूत्रों का श्रवण करके सकल संघ आश्चर्य चकित था। चेन्नई से 40 उपवास की तपस्या के साथ पधारे। सुशील करवा वालों को सोने की चेन पहनाकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर सकल श्रीसंघ बैंडबाजों के साथ श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जिन मंदिर पहुंचा। वहां से सभी गाजे-बाजे के साथ गुरु वल्लभ की प्रतिमा के स्थान पर पहुंचे और लाभार्थी परिवार ने गुरु वल्लभ को माल्यार्पण किया। संवत्सरी की आराधना में लगभग डेढ़ सौ भाई बहनों ने पौषध व्रत स्वीकार किया। वहीं प्रतिक्रमण में 84 लाख जीव योनियों से क्षमापणा की गई। शुक्रवार को प्रात 8 बजे तीन उपवास तथा इससे ऊपर की तपस्या करने वाले सभी तपस्वियों का पारण आराधना स्थल में किया जाएगा।