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तीन महीनों में नहीं मिला एक भी भाई घनैया

22 लाख की आबादी वाले लुधियाना में ट्रैफिक पुलिस को ढूंढने पर एक भी ऐसा शख्स नहीं मिला, जिसने तीन महीनों में किसी घायल की मदद की हो या उसे अस्पताल पहुंचाया हो।

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Sep 2018 03:38 PM (IST)Updated: Sat, 08 Sep 2018 03:38 PM (IST)
तीन महीनों में नहीं मिला एक भी भाई घनैया
तीन महीनों में नहीं मिला एक भी भाई घनैया

गगनदीप रत्न, लुधियाना : 22 लाख की आबादी वाले लुधियाना में ट्रैफिक पुलिस को ढूंढने पर एक भी ऐसा शख्स नहीं मिला, जिसने तीन महीनों में किसी घायल की मदद की हो या उसे अस्पताल पहुंचाया हो। यही वजह रही कि पुलिस भाई घनैया सेवा ट्रस्ट द्वारा जारी सर्टिफिकेट, किसी एक को भी नहीं दे पाई, लेकिन आंकड़ों की बात करें तो पिछले 92 दिनों में सड़क हादसों में 48 लोगों की मौतें हुई, जिसमें से कुछ की सड़क पर मौत हो गई और कुछ को इलाज ही नहीं मिल पाया। इसके विपरीत अगर लोगों की सुनें तो वो पुलिस के झमेले की वजह से घायल की मदद नहीं कर पाते। कुल मिला कर हर महीने सड़कों पर बिना इलाज के कई लोगों की मौतें हो रही है। क्या है भाई घनैया सेवा ट्रस्ट सर्टीफिकेट योजना

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भाई घनैया सेवा ट्रस्ट द्वारा ट्रैफिक पुलिस के साथ मिलकर एक योजना शुरू की गई, जिसमें ट्रस्ट द्वारा उन लोगों को प्रशंसा पत्र दिए जाने की बात कही गई है, जो सड़क पर हादसे के शिकार लोगों की मदद करते हों। इसके बाद पुलिस द्वारा भी उन्हें अपने स्तर पर सम्मानित किया जाना था। किसी थाने में भी नहीं मिला रिकार्ड

15 अगस्त से पहले ट्रैफिक पुलिस द्वारा सभी थानों का रिकार्ड चेक किया गया, जिसमें उक्त शख्स की तलाश की गई, जिसने किसी घायल को अस्पताल पहुंचाया हो या मदद की हो। पुलिस ने उक्त लिस्ट 15 अगस्त के सम्मान समारोह में रखनी थी, लेकिन मई, जून और जुलाई में पुलिस को एक भी शख्स नहीं मिला, जिसने किसी की मदद की हो। लिहाजा उक्त लिस्ट को स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में लाया ही नहीं गया। मदद तो कर दें, मगर पुलिसिया कार्रवाई से डरते हैं लोग

लोगों की मानसिकता की बात करें तो वो पुलिस की कार्रवाई से डरते हैं। उनका तर्क है कि घायल को अस्पताल पहुंचाने पर पुलिस कई तरह के सवाल करती है और उन्हें गवाह बना लेती है।

ये है पुलिस के आंकड़े

महीना हादसे मौतें

मई 30 11

जून 22 13

जुलाई 39 24 हमने भाई घनैया सेवा ट्रस्ट की ओर से सर्टीफिकेट जारी करने के लिए लोगों की तलाश की, लेकिन एक भी शख्स नहीं मिला। ऐसे में किसी को भी सर्टिफिकेट ईशू नहीं किया गया, जोकि बहुत गंभीर विषय है।

सुखपाल सिंह बराड़, एडीसीपी ट्रैफिक


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