उम्र को पीछे छोड़ बोलियों व लोकगीतों पर थिरकी पुरानी स्टूडेंट्स
इंसान कितना भी बड़ा या बूढ़ा क्यों न हो जाए, वह कभी भी अपने स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी में बिताए समय और दोस्तों को नहीं भूलता। जब कभी इंसान को जीवन में दोबारा से अपनी यूनिवर्सिटी व कॉलेज में जाने का मौका मिलता है, तो उसके लिए इससे बड़ी कोई और खुशी नहीं होती। ऐसा ही कुछ पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के होम साइंस कॉलेज की पुरानी स्टूडेंट्स के साथ हुआ।
आशा मेहता, लुधियाना
इंसान कितना भी बड़ा या बूढ़ा क्यों न हो जाए, वह कभी भी अपने स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी में बिताए समय और दोस्तों को नहीं भूलता। जब कभी इंसान को जीवन में दोबारा से अपनी यूनिवर्सिटी व कॉलेज में जाने का मौका मिलता है, तो उसके लिए इससे बड़ी कोई और खुशी नहीं होती। ऐसा ही कुछ पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के होम साइंस कॉलेज की पुरानी स्टूडेंट्स के साथ हुआ।
बुधवार को पीएयू की ओर से होम साइंस कॉलेज की पहली एलुमनी मीट करवाई गई। इसमें देश विदेश से दो सौ के अधिक पुरानी स्टूडेंटस व शिक्षकाएं शामिल हुई। इनमें कई ऐसी स्टूडेंट थी, जो होम साइंस कॉलेज के पहले बैच में थी। जैसे ही एलुमनी ने कॉलेज में कदम रखा, तो वह भावुक हो गई। उनकी आखे बरबस छलक पड़ी। कोई 45 साल बाद यूनिवर्सिटी में आई थी, तो कोई बीस से 25 साल बाद। पुराने दोस्तों को देख कई गले से लिपट गए। कई ने एक-दूसरे के साथ हंसी-ठिठोली के साथ यादों को सांझा किया। टीचरों की डांट, क्लास व कंटीन की गशपशप और यूथ फेस्टिवल की मस्ती की बातों ने एलुमनी के आंखों में आंसू ला दिए। पर इससे पहले कि एलुमनी बहुत ज्यादा भावुक हो, यूनिवर्सिटी की होम साइंस कॉलेज के मौजूदा स्टूडेंट्स ने पुराने विद्यार्थियों व शिक्षकों को 'स्पेशल फील' करवाने के लिए गीत, गजलें, मिमिक्री व लोक नृत्यों की महफिल सजा दी। ऐसे में पुरानी स्टूडेंट भी कैसे पीछे रह सकती थी। उन्होंने उम्र को पीछे छोड़ स्टूडेंट्स द्वारा गाई जा रही बोलियों पर थिरकना शुरू कर दिया। हालांकि शुरुआत में गिद्दे के लिए केवल एक व दो एलुमनी ही खड़ी हुई, लेकिन जैसे-जैसे बोलियों का 'सरूर' चढ़ता गया, तो स्टेज पर थिरकने वाले कदम भी बढ़ते गए। एक समय सभी एलुमनी अपनी कुर्सी छोड़ स्टेज पर आ गई और बोलियों को गाते हुए जमकर थिरकी। 48 साल बाद यूनिवर्सिटी आई, यंग पील करे रहे
वर्ष 1968 बैच की बीर गुलाटी ने कहा कि वह 48 साल बाद यूनिवर्सिटी में आई हैं। लेकिन आज भी ऐसा लगता है, जैसे कुछ ही दिन पहले की बात हो। वहीं 70 वर्षीय डॉ. मनजीत कौर ने कहा कि कॉलेज में वापस आकर ऐसा लगा जैसे कि हम अपने घर वापस आ गए हैं। यहां आकर यंग फील कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने कॉलेज व यूथ फेस्टिवल में उनकी तरफ से गाए जाने वाले हीर के किस्से को भी गुनगुनाया। आज फिर से कॉलेज को देखना सुखद अनुभव रहा
कानपुर से नौ साल बाद आई डॉ. कुसुम अग्रवाल ने कहा कि जैसे ही उन्होंने यूनिवर्सिटी में कदम रखा, तो उनका मन हुआ कि वह दोबारा से एडमिशन ले लें। बहरीन से आई बिक्की चोपड़ा, चंडीगढ़ से आई परनीत, कपूरथला से आई सुखदीप, फिल्लौर से आई सविता व डॉ. नीलम महाजन ने कहा कि आज एक बार फिर से यूनिवर्सिटी व अपने कॉलेज को देखना सुखद अनुभव रहा।