जिला प्रशासन कोरोना महामारी में व्यस्त, किसान नाड़ जलाने में मस्त
सरकार सहित पूरा जिला प्रशासन जहां कोरोना महामारी से निपटने में लगा हुआ है वहीं कुछ किसान नाड़ जलाने में लगे हैं। इस साल सूबे में 38 लाख 10 हजार हेक्टेयर में गेहूं की फसल की खेती हुई थी जिससे करीब 170 लाख मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन हुआ है।
बिदु उप्पल, जगराओं
सरकार सहित पूरा जिला प्रशासन जहां कोरोना महामारी से निपटने में लगा हुआ है वहीं कुछ किसान नाड़ जलाने में लगे हैं। इस साल सूबे में 38 लाख 10 हजार हेक्टेयर में गेहूं की फसल की खेती हुई थी, जिससे करीब 170 लाख मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन हुआ है। अब किसानों का पूरा ध्यान धान के सीजन की ओर लग गया है। किसानों ने धान की बीजाई के लिए खेतों को तैयार करना शुरू कर दिया।
पिछले वर्षो के मुकाबले इस बार गेहूं के सीजन की कटाई के दौरान बारिश कम हुई और गेहूं की कटाई का सीजन एक मई 2021 को लगभग समाप्त हो गया। उधर, पंजाब सरकार ने किसानों को धान की पनीरी लगाने का समय 10 मई और धान की बीजाई का समय 10 जून 2021 निश्चित किया है। ऐसे में अधिकतर किसान जिन्होंने गेहूं के बाद धान की बीजाई करनी है, उन्होंने अपने खेतों को जल्दी खाली करना शुरू कर दिया क्योंकि किसानों के पास पनीरी लगाने का समय कम मिला है। इसलिए कई किसानों ने गेहूं की कटाई के बाद 'नाड़ न जलाओ' कानून की धज्जियां उड़ाते हुए देर शाम को गेहूं की नाड़ को जलाना शुरू कर दिया ताकि उनको धान की फसल के लिए अधिक मश्क्कत न करनी पड़े। सीजन के अंत में नाड़ का असली रिकार्ड होगा सामने : करुणेश गर्ग
पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के मेंबर सेक्रेटरी करुणेश गर्ग ने बताया कि इस बार भी किसान अगली फसल के लिए नाड़ को जला रहे है। रोजाना सूबे के सभी जिलों में किसानों द्वारा नाड़ जलाने के केस सामने आ रहे है। 15 मई तक सूबे के सभी जिलों में 555 केस सामने आए थे और 16 मई को 1002 के केस सामने आए है। उन्होंने बताया कि सीजन के अंत में आखिर कितने नाड़ जलाने के केस हुए का पता चलेगा। उन्होंने माना है कि इस समय सभी विभागों के कोविड-19 महामारी से निपटने में लगे होने के कारण किसान नाड़ जलाने में लगे है। खेतीबाड़ी पंजाब के ज्वाइंट डायरेक्टर डा.बलदेव ने कहा, पिछले वर्षाें के मुकाबले कम जलाई गई नाड़ खेतीबाड़ी पंजाब के ज्वाइंट डायरेक्टर डा.बलदेव सिंह नाथ का कहना है कुछेक किसानों ने गेहूं की नाड़ को जलाकर पर्यावरण प्रदूषित कर दिया है। जागरूकता, कोरोना महामारी का डर व किसानों के दिल्ली संघर्ष में शामिल होने के कारण पिछले वर्ष के मुकाबले कम नाड़ जलाई गई है। वहीं ब्लाक खेतीबाड़ी अफसर डा.गुरदीप सिंह ने कहा कि अधिकतर किसानों ने गेहूं की नाड़ को खेतों में मिलाया है लेकिन कुछेक किसानों ने नाड़ जलाई है जिनको विभागीय चेतावनी भी दी गई है।
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