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सुखबीर के करीबियों पर केंद्रीय एजेंसियों की दबिश से राजनीति गर्म

शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर बादल के करीबियों पर केंद्रीय एजेंसियों की लगातार दबिश से राजनीति सरगर्म हो गई है। एक ओर जहां शिअद इसे राजनीति से प्रेरित कार्रवाई बता रही है वहीं सत्ताधारी कांग्रेस केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई पर चटकारे ले रही है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Nov 2021 10:02 PM (IST)Updated: Fri, 26 Nov 2021 12:53 AM (IST)
सुखबीर के करीबियों पर केंद्रीय एजेंसियों की दबिश से राजनीति गर्म
सुखबीर के करीबियों पर केंद्रीय एजेंसियों की दबिश से राजनीति गर्म

जागरण संवाददाता, लुधियाना : शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर बादल के करीबियों पर केंद्रीय एजेंसियों की लगातार दबिश से राजनीति सरगर्म हो गई है। एक ओर जहां शिअद इसे राजनीति से प्रेरित कार्रवाई बता रही है, वहीं सत्ताधारी कांग्रेस केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई पर चटकारे ले रही है।

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लुधियाना के फास्टवे व जुझार ट्रांसपोर्ट से विख्यात गुरदीप सिंह का लंबे समय से सुखबीर के साथ करीबी रिश्ता है। अकाली नेता इसे राजनीति कार्रवाई करार दे रही है। उनका कहना है कि कुछ दिनों पहले दाखां के विधायक मनप्रीत सिंह अयाली के निवास पर भी आयकर टीमें दो दिन तक कागजात खंगालती रही, लेकिन कुछ नहीं मिला। यह सिर्फ परेशान करने की नीयत से किया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि फास्टवे हर तरह से शिअद को मदद करता है और उनकी मदद को रोकने के इरादे से यह कार्यवाही हुई है। बताया जाता है कि फास्टवे के अन्य पार्टनर भी शहर से हैं, लेकिन उन्हें इस रेड से अलग रखा गया।

एक ओर जब ईडी फास्टवे के कार्यालयों में जांच कर रही थी, वहीं दूसरी ओर नवजोत सिंह सिद्धू केबल संचालक के खिलाफ लगातार ट्वीट कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले जब मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी लुधियाना दौरे पर आए थे तो उन्होंने भी फास्टवे के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली थी। ईडी टीम ने सुबह नौ बजे से ही उनके कार्यालयों में कर्मचारियों तक को जाने की इजाजत नहीं दी, लेकिन सूत्रों का कहना है कि अभी कोई खास दस्तावेज टीम को नहीं मिल पाए हैं। उधर, टीम का कहना है कि इस संबंध में हमारे जालंधर कार्यालय से ही सारी जानकारी दी जाएगी।

कार्यालय के सभी गेट सुबह ही बंद कर दिए

बताया जाता है कि ईडी टीम ने सुबह- सुबह ही दबिश दी और कार्यालय के सभी गेट बंद कर दिए। फास्टवे में काम करने पहु्चे कर्मचारियों को अंदर नहीं जाने दिया गया। जबकि अंदर पहले से मौजूद कर्मचारियों को बाहर नहीं जाने दिया। रात साढ़े आठ बजे के बाद कार्यालय के अंदर फंसे कर्मचारियों को बाहर निकाला गया। फास्टवे के संचालक के निवास पर भी यही आलम रहास लेकिन वहां उनके वकीलों को अंदर जाने की अनुमति दी गई। जवद्दी हेल्थ सेंटर के पास स्थित जुझार ट्रांसपोर्ट के गैरेज में किसी को जाने की अनुमति नहीं दी गई।


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