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रावण के दस चेहरे थे, पर आज के इंसान के चेहरे अनगिनत

अचल मुनि ने एसएस जैन सभा शिवपुरी में चातुर्मास सभा में संबोधित किया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Nov 2019 06:00 AM (IST)Updated: Sun, 10 Nov 2019 06:22 AM (IST)
रावण के दस चेहरे थे, पर आज के इंसान के चेहरे अनगिनत
रावण के दस चेहरे थे, पर आज के इंसान के चेहरे अनगिनत

संस, लुधियाना : एसएस जैन सभा शिवपुरी के तत्वावधान में जारी चातुर्मास सभा में गुरुदेव अचल मुनि ने कहा कि मुक्ति में जाने का तीसरा उपाय सरलता है। साधक के जीवन में सरलता अति आवश्यक है। सरल हृदय में ही धर्म ठहरता है।

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उन्होंने कहा कि आज अगर इंसान छल-कपट फरेब को छोड़ दे तो वो अतिशीघ्र मुक्ति में चला जाएगा। पर आज इंसान कहता कुछ है, करता कुछ है और हकीकत में कुछ ओर ही होता है। आपके मन में भी ये ख्याल आता होगा जो मैं धर्म ध्यान कर रहा हूं। पूजा पाठ कर रहा हूं। वो सफल एवं सार्थक हो रहा है या नहीं? इसका सीधा सा उपाय है, अगर हमारे क्रोध-मान माया-लोभ कम होगा व सरलता जीवन में आ रही है तो समझ लेना हमारा पूजा पाठ सफल हो गया।

गुरुदेव ने कहा कि सरकार की नीतियों से, जीएसटी से डरेगा कौन?, जो इंसान दो नंबर का काम करता है। एक नंबर का काम करने वाला कभी डरता नहीं है। आज इंसान झूठ को तवज्जों दे रहा है। झूठ बोलने वाला सदा टेढ़ा होता है। पशु सदा टेढ़ा होता है, क्योंकि वो पूर्व जन्मों में ज्यादा मायावी था। आज के जमाने में इंसान को समझना बड़ा कठिन काम है। आप कपड़े को, तेल को, पानी को, दूध को पहचान सकते हो, पर इंसान को कोई नहीं पहचान सकता। उन्होंने कहा कि रावण के दस ही चेहरे थे। पर हमारे चेहरों की तो कोई गिनती ही नहीं है। घर में कोई चेहरा है, संतों के आगे कोई, दोस्तों के आगे कुछ, दुकान में कुछ ओर चेहरा है। अर्थात इंसान का चेहरा तो पल-पल बदल रहा है। संत भी आपको सरल बनना सिखाते हैं।

अतिशय मुनि ने कहा कि प्रार्थना थोड़ी ही देर सही, मगर पूरे प्राणों से करो। प्रार्थना में यदि तुम्हारे प्राण न जुडे़ तो प्रार्थना अधूरी है। मगर इसका यह मतलब कतई नहीं कि तुम माल फेरना ही बंद कर दो। माला के 107 मनकों पर भले ही मन न टिका हो, आखिरी मनके पर पल भर के लिए टिक गया तो समझो प्रार्थना सार्थक हो गई।


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