औषधीय गुणों से भरपूर और फलदार 9.59 लाख पौधे हुए विकसित
पर्यावरण को लेकर लोगों की बढ़ रही समझ के चलते लुधियाना में पौधारोपण के अच्छे परिणाम सामने आने लगे हैं।
लुधियाना, राजन कैंथ। पर्यावरण को लेकर लोगों की बढ़ रही समझ के चलते लुधियाना में पौधारोपण के अच्छे परिणाम सामने आने लगे हैं। पिछले दो साल में औषधीय गुणों से भरपूर और फलदार 13.20 लाख पौधे लगाए गए, जिनमें से 9.59 लाख पौधे विकसित हो चुके हैं। पौधों के विकसित होने की दर 73.4 फीसद रही, जबकि 26.6 फीसद पौधों को बचाया नहीं जा सका। अब निकट भविष्य में फिर से पौधारोपण का काम शुरू होगा तो पौधे विकसित होने की दर बढ़ाए जाने के लिए वन विभाग के अधिकारी मंथन कर रहे हैं।
जिले के गांवों में तीन लाख से ज्यादा पौधे लगाए गए। ग्राम पंचायतों ने उन पौधों को लगाने तथा उनके रख-रखाव की जिम्मेदारी गांव के स्पोट्र्स क्लबों के हवाले कर दी। इनमें से भी करीब 60 फीसद पौधे पूरी तरह से विकसित हो चुके हैं। इनमें भी औषधीय गुणों के साथ-साथ फलों के वह पौधे शामिल हैं, जिनका आने वाले समय में लोगों को लाभ होगा। वहीं, शहर में नगर निगम ने इस साल 70 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। जिन क्षेत्रों में पौधे लगाए जाएंगे, वहांं पौधों के रखरखाव की जिम्मेदारी भी इन क्षेत्रओं के विभिन्न समाजसेवी संगठनों को ही दी जाएगी।
शीशम, सुहांजना, बहेड़ा, आंवला, आम और जामुन के पेड़ देंगे लोगों को लाभ
वन विभाग के सुपरिंटेंडेंट जगरूप सिंह ने बताया कि साल 2018-19 में 300 हेक्टेयर जमीन में तीन लाख और साल 2019-20 में 438 हेक्टेयर जमीन पर 4.30 लाख पौधे लगाए गए। जिनमें शीशम, अर्जुन, सुहांजना, सुखचैन, कचनार, बहेड़ा, आंवला, आम तथा जामुन के पेड़ शामिल हैं। विभाग द्वारा मत्तेवाड़ा रेंज में पड़ते गांव हैदर में 175 एकड़, हादीवाल में 79 एकड़, गोपालपुर बुलंदेवाल में 19 एकड़, गांव सलेमपुर में दो एकड़, जगराओं के कोट उमरा में 147 एकड़, गौरसियां खान मोहम्मद में 80 एकड़ तथा समराला के गांव रोड माजरी में 70 एकड़ जमीन से अवैध कब्जे हटवाकर जिले के ग्रीन कवर को बढ़ाने के लिए जो प्रयास किए गए उसके परिणाम स्वरूप जिले में ग्रीनरी बढ़ाने के लिए मदद मिली।
ये पौधे लगाएं, देंगे फायदा
- सुहांजना है औषधीय गुणों की खान, दो सौ से अधिक बीमारियों के इलाज में मददगार
पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में कार्यरत और पर्यावरणविद बलविंदर सिंह लखेवाली कहते हैं कि उन्हीं पौधों की रोपाई को लेकर काम होना चाहिए जो मानवता के भले के लिए काम आ सकें। सुहांजना या सहजन या ड्रमास्टिक, यह एक ऐसा पौधा है जो पोषक तत्वों एवं औषधीय गुणों की खान है। इसके गुणों के कारण इसे मिरेकल ट्री भी कहते हैं।
इस पौधे के पत्ते, फूल, फलियां, बीज और छाल सभी का किसी न किसी रूप में प्रयोग होता है। सहजन के पत्ते एवं फलियां शरीर को ऊर्जा देने के साथ-साथ शरीर में उपस्थित एवं विषैले तत्वों को निकालने का काम करते हैं। सहजन में कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, विटीमिन ए, सी और बी काम्प्लेक्स, प्रोटीन, ऑयरन सहित अन्य तरह के पौषक तत्वों की अधिकता होने के कारण इसे करीब दो सौ से अधिक बीमारियों के इलाज में प्रयोग किया जाता है। इसे बहुत आसानी से लगाया जा सकता है। टहनी काटकर भी लगा दें, तो लग जाता है। अगर हर कोई इस पौधे को अपने घर के बाहर लगाकर इसके गुण और उपयोग के बारे में जान ले तो कई बीमारियों से दूर रह सकता है।
सर्वरोग निवारिणी है नीम
बलविंदर सिंह लखेवाली ने कहा कि वैसे तो हर पेड़ का अपना महत्व है, लेकिन नीम के पेड़ का अलग ही महत्व है। आयुर्वेद में इसे सर्वरोग निवारिणी भी कहा जाता है। जिसका अर्थ है सभी तरह के रोगों का निवारण करने वाला। नीम में भरपूर मात्रा में एंटीबायोटिक तत्व होते हैं। नीम के पेड़ का हरेक भाग जैसे फल, बीज और पत्ते सभी बेहद लाभकारी होते हैंं। इसे कीटाणु नाशक माना जाता है। इसलिए हर घर में कम से कम नीम का पौधा तो जरूर होना चाहिए। पुरातन समय में हर घर में फलों के पेड़ के साथ-साथ लोग नीम का पेड़ जरूर लगाते थे।
वन विभाग की ओर से ऐसे पौधे लगाने को पहल दी जा रही है जो मानवता को किसी न किसी रूप में लाभ पहुंचाएं। औषधीय गुण रखने वाले पौधों के अलावा फल देने वाले पौधे लगाने पर ही जोर दिया जा रहा है। इस साल लाडोवाल के गांव मंड झरौदी में 25 एकड़, समराला के गांव उदोवाल में 35 एकड़ तथा 69 एकड़ कब्जे से मुक्त कराई है। मिशन फतेह के तहत उन जगहों पर नए 1.30 लाख नए पौधे लगाकर जंगल के तौर पर विकसित करने के प्रयास जारी हैं।
चरनजीत सिंह कूनर, जिला वन अधिकारी
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