600 साल पुराने ठाकुरद्वारा नौहरिया में मिट्टी व गोबर से बना हनुमान जी का स्वरूप, यहां पूरी होती है मन्नतें
मंदिर में मूर्ति का श्रृंगार करने के लिए साल पहले बुकिंग करवाने पड़ती है और मंगलवार व शनिवार को श्रृंगार करने की बुकिंग एक साल के लिए फुल है ।
लुधियाना, राजेश भट्ट। महंगी धातुओं से देवी देवताओं की मूर्तियां बनाने का प्रचलन सनातन परंपरा में शुरू से रहा है। मंदिरों में भगवान के स्वरूपों को स्थापित करने के लिए भक्त सोने, चांदी, अष्टधातु समेत अलग अलग महंगी धातुओं से मूर्तियां बनवाते हैं। लेकिन शहर के ठाकुरद्वारा नौहरियां में हनुमान जी का जो स्वरूप स्थापित है, वह न तो किसी महंगी धातु से बना है और न ही किसी पत्थर से। बल्कि इस स्वरूप को मिट्टी और गोबर से बनाया गया है। मूर्ति मंदिर में कब स्थापित हुई, इसके बारे में न तो मंदिर के संचालकों को पता है और न ही शहर के किसी अन्य व्यक्ति को।
गोबर व मिट्टी से बनी मूर्ति का क्षरण न हो इसके लिए मूर्ति का जो श्रृंगार किया जाता है, उसमें सिंदूर का इस्तेमाल नहीं किया जाता। बल्कि सिंगर, चमेली के तेल के मिश्रण को तैयार किया जाता है। यही नहीं मंदिर में भगवान राम की एक प्राचीन अद्भूत मूर्ति है। भगवान राम की यह मूर्ति श्याम वर्ण की है। मंदिर की मान्यता इतनी है कि लोग यहां मन्नतें मांगने आते हैं और मन्नत पूरी होने पर श्री हनुमान जी को सवामणी का प्रसाद लगाते हैं। मंदिर के संचालकों की मानें तो साल में 100 से ज्यादा लोग ऐसे होते हैं जो यहां सवामणी का प्रसाद चढ़ाते हैं।
30 फीट ऊंचा है मुख्य गेट
बताते हैं कि ठाकुरद्वारा करीब 600 साल पुराना है। इसका संचालन बैरागी संप्रदाय के लोगों के पास है। गौरवदास बैरागी के पूर्वज करीब 12 पीढ़ियों से ठाकुरद्वारा नौहरिया का संचालन करते आ रही हैं। ठाकुरद्वारा की इमारत और गेट भी उतना ही पुराना है जितनी पुरानी यहां पर मूर्तियां हैं। मुख्य गेट करीब 30 फीट ऊंचा है और गेट पर लकड़ी के मोटे व बड़े दरवाजे लगे हैं। दरवाजों पर विशेष कलाकृतियां बनाई गई हैं। ठाकुरद्वारा पुराने शहर में चौड़ा बाजार के अंदर तंग गलियों में है।
ठाकुरद्वारा के संचालक गौरवदास बैरागी बताते हैं कि उनकी जानकारी के अनुसार उनकी 12वीं पीढ़ी है, जो ठाकुरद्वारा का संचालन कर रही है। वह बताते हैं कि ठाकुरद्वारा मुख्यत: भगवान राम और श्री हनुमान जी का डेरा है। मंदिर में राम जी की मूर्ति श्याम वर्ण में है और उनके साथ लक्ष्मण व माता सीता श्वेत वर्ण में ही हैं। जबकि उनके ठीक सामने हनुमान जी का स्वरूप स्थापित है। मूर्तियां मंदिर में कब स्थापित हुई थी इसके बारे में किसी को सटीक जानकारी नहीं लेकिन उनके दादा ने उन्हें बताया था कि जब ठाकुरद्वारा बना था तब से ही मूर्तियां यहां विराजमान हैं। बताते हैं कि हनुमान जी की यह मूर्तिं मंत्रयुक्त है।
श्रृंगार के लिए रहती है वेटिंग
ठाकुरद्वारा में हर मंगलवार व शनिवार को श्री हनुमान जी का श्रृंगार किया जाता है। श्रृंगार के लिए शहर ही नहीं बल्कि आसपास के शहरों से भी लोग यहां पहुंचते हैं। मंदिर संचालक गौरव दास बैरागी बताते हैं कि हनुमान जी के श्रृंगार के लिए लोगों में होड़ लगी रहती है। हालात यह हैं कि लोग एक-एक साल पहले अपनी बुकिंग करवाते हैं। मंगलवार व शनिवार के श्रृंगार की बुकिंग एक साल के लिए फुल है जबकि हनुमान जयंती पर होने वाले श्रृंगार के लिए 2037 तक की बुकिंग हो चुकी है। मंगलवार व शनिवार को सैकड़ों की तादात में लोग यहां पहुंचते हैं।
हनुमान जयंती व सिंहासन यात्रा हैं प्रमुख इवेंट
ठाकुरद्वारा भगवान राम का दरबार है ऐसे में राम नवमी यहां पर धूमधाम से मनाई जाती है। लेकिन हनुमान जयंती व नवरात्रों में यहां से निकलने वाली सिंहासन यात्रा यहां के प्रमुख इवेंट हैं। इसके अलावा दशहरा, दीपावली और होली पर विशेष कार्यक्रम किए जाते हैं। यही नहीं 31 दिसंबर को भी हर साल सुंदर कांड का पाठ कर नए साल में प्रवेश करते हैं।