लुधियाना में कपड़ा उद्योगों का उत्पादन बढ़ा, डाइंग के लिए करना पड़ रहा 20 से 40 दिन का इंतजार
कोविड काल के बाद औद्योगिक नगरी लुधियाना का व्यापार तेजी से पटरी पर लौटने लगा है। फैक्ट्रियों में अब दो शिफ्ट में काम शुरू हो गया है। स्टाफ की भर्ती भी फिर से शुरू कर दी गई है। इस कारण कपड़ा उद्योगों का उत्पादन भी तेजी से बढ़ा है।
लुधियाना, मुनीश शर्मा। कोविड काल के बाद औद्योगिक नगरी लुधियाना का व्यापार तेजी से पटरी पर लौटने लगा है। फैक्ट्रियों में अब दो शिफ्ट में काम शुरू हो गया है। स्टाफ की भर्ती भी फिर से शुरू कर दी गई है। इस कारण कपड़ा उद्योगों का उत्पादन भी तेजी से बढ़ा है। अधिक उत्पादन का काम पूरा करने में डाइंग उद्योग असमर्थ हो गए हैं। फेब्रिक की डाइंग के लिए करीब 40 दिन की वेटिंग चल रही है। इसका मुख्य कारण यह है कि पिछले एक साल में लुधियाना कपड़ा उद्योगों का विस्तार और नई यूनिट तो लगी है लेकिन डाइंग यूनिटों का विस्तार नहीं हुआ है।
शहर में कुल 300 डाइंग यूनिट हैं। नई यूनिट लगाने और विस्तार के लिए पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) की ओर से अनुमति नहीं मिल रही है। डाइंग की 300 यूनिट तो हैं लेकिन इनमें से मात्र 40 यूनिट ही ऐसे हैं जो मौजूदा ट्रेंड के अनुसार फैब्रिक की डाइंग कर फिनि¨शग प्रदान कर रही हैं। कपड़ा उत्पादक डाइंग की देरी के कारण आर्डर मिलने के बावजूद उत्पादन करने से कतरा रहे हैं। हालात ऐसे बन गए हैं कि उद्योगों को दूसरे देशों से फैब्रिक मंगवाना पड़ रहा है।
कलस्टर का विकल्प बेहतर एकता डाइंग व फिनि¨शग मिल के पार्टनर सुभाष सैनी का कहना है कि डाइंग की मांग तेजी से बढ़ रही है लेकिन यूनिट के विस्तार पाबंदी के कारण परेशानी हो रही है। सरकार को इसके लिए डाइंग कलस्टर तैयार कर कपड़ा उद्योग की मांग को पूरा करना चाहिए। ऐसा नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में कपड़ा उद्योगों को नुकसान होगा। पीपीसीबी को देनी चाहिए राहत बालाजी डाइंग के एमडी बॉबी जिंदल का कहना है कि डाइंग की डिमांड तेजी से बढ़ी है। कलस्टर का निर्माण का एक बेहतर विकल्प दिया जा सकता है। यूनिट के विस्तार को लेकर भी पीपीसीबी को राहत देनी चाहिए।