सड़कों पर काल बनकर दौड़ रहे कंडम व जुगाड़ी वाहन
लुधियाना में हर साल करीब 700 सड़क हादसों में 400 लोगों की मौत हो जाती है और करीब 700 लोग जख्मी हो जाते हैं।
राजन कैंथ, लुधियाना : लुधियाना में हर साल करीब 700 सड़क हादसों में 400 लोगों की मौत हो जाती है और करीब 700 लोग जख्मी हो जाते हैं। यह दर किसी भी बीमारी से मरने वाले मरीजों की संख्या से कहीं ज्यादा है। इस हादसों के मुख्य कारणों में से वाहनों व इसके संसाधनों के संबंध में बरती जाने वाली लापरवाही। सिर्फ कमिश्नरेट लुधियाना की ही बात करें तो यहां लापरवाह लोगों की संख्या और भी ज्यादा है, जो अपनी लापरवाही से न केवल अपनी, बल्कि दूसरों की जान भी जोखिम में डाल देते हैं।
मोटर व्हीकल एक्ट के मुताबिक निजी वाहनों कार व स्कूटर की फिटनेस जांच 15 साल बाद होती है। ऐसा नहीं करवाने पर हर माह जुर्माना भरना होता है। कामर्शियल वाहनों की पहली फिटनेस जांच दो साल बाद और उसके बाद हर साल करवानी होती है। ऐसा नहीं होने पर उनसे प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना वसूला जाता है। अरोड़ा पैलेस स्थित दाना मंडी में हर सोमवार व वीरवार मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर (एमवीआइ) ऐसे वाहनों की जांच करते हैं। इसके बावजूद शहर की सड़कों पर ऐसे सैकड़ों वाहन नजर आते हैं, जो चलने लायक ही नहीं होते। इनमें ट्रैक्टर-ट्राली और थ्री-व्हीलर प्रमुख हैं। इसके अलावा जुगाड़ से बनाए गए पीटर रेहड़ा भी हादसों का कारण बनते हैं। इन वाहनों के पीछे न तो बैक लाइट होती हैं और न ही रिफ्लेक्टर।
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ये भी हैं हादसों का मुख्य कारण
नशा व तेज रफ्तार
नशा करके गाड़ी चलाना और तेज रफ्तार भी हादसों का बड़ा कारण है। शहर में कई ऐसी सड़कें हैं, जिन्हें युवा गाड़ियों की रेसिग के लिए इस्तेमाल करते हैं। इन सड़कों पर हुए कई हादसों में बहुत से युवाओं की जान तक जा चुकी है। हालांकि शराबी वाहन चालकों की पड़ताल के लिए ट्रैफिक पुलिस के पास 50 से ज्यादा एल्कोमीटर भी हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल होते बहुत कम देखा जाता है। शाम होते ही शराब पी कर वाहन चलाने वालों का एक बड़ा ग्रुप सड़कों पर उतर जाता है। उस समय तक ट्रैफिक पुलिस छुट्टी करके घरों को लौट चुकी होती है। ऐसे में इन लोगों पर कार्रवाई करने वाला भी कोई नहीं होता।
सड़कों पर खड़े वाहन
लुधियाना से कई बड़े शहरों को सड़कें निकलती हैं। यहां से दिल्ली, अमृतसर, चंडीगढ़, फिरोजपुर, बठिडा तथा संगरूर के लिए हाईवे निकलते हैं। इन पर हर समय ओवरलोड वाहनों की आवाजाही रहती है। जीटी रोड तथा फोकल प्वाइंट रोड पर अक्सर खराब हुए वाहन खड़े रहते हैं, जो सड़क हादसों का कारण बनते हैं। ट्रैफिक पुलिस न उन्हें हटवाती है और न ही उनके खिलाफ कभी कार्रवाई करती है। शहर के जीटी रोड पर नेशनल हाईवे, फिरोजपुर रोड पर एलिवेटेड रोड, लिक रोड पर ढोलेवाल फ्लाईओवर तथा पक्खोवाल रोड पर फ्लाईओवर का निर्माण चल रहा है, जो रोड जाम और हादसों की मुख्य वजहें हैं।
अव्यवस्थित ट्रैफिक
शहर की सबसे व्यस्त फिरोजपुर रोड पर एलिवेटिड रोड निर्माण के चलते भारत नगर चौक को छोड़कर सभी ट्रैफिक सिग्नल उतार लिए गए हैं। समराला चौक हाईवे पर फ्लाईओवर तो बन गया है। मगर नीचे चौक पर ट्रैफिक सिग्नल ठीक न होने से आज भी ट्रैफिक अव्यवस्थित है। शहर की सभी सड़कों व बाजारों में वाहनों की पार्किंग रोड जाम और सड़क हादसों का कारण बन रही है।
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लोगों को ट्रैफिक नियमों का पाठ पढ़ाना जरूरी
राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद भारत सरकार के सदस्य व राहत फार सेफ कम्यूनिटी फाउंडेशन के चेयरमैन कमलजीत सोई ने कहा कि शहर में ट्रैफिक व्यवस्था को ठीक करने के लिए सबसे पहले शहरवासियों को ट्रैफिक का पाठ पढ़ाने की जरूरत है, ताकि सड़क हादसों में कमी लाई जा सके।