ऑटो चालकों को घर का खर्च चलाना हुआ मुश्किल, नहीं मिल रही सवारी
नतीजन जो ऑटो चालक पहले रोजाना 1000 रुपये आमदनी करता था अब सिर्फ 300 रुपये ही कमा पा रहा है। इतने में ऑटो की किश्त और घर का खर्च पूरा नहीं हो रहा।
लुधियाना,[जितेंद्र सिंह]। पंजाब सरकार ने लॉकडाउन में ढील देते हुए लोगों की सहूलियत के लिए ट्रांसपोर्ट चलाने की मंजूरी तो दे दी, लेकिन इससे ऑटो चालकों की परेशानी दूर नहीं हुई। इसका कारण फिजिकल डिस्टेंसिंग है, क्योंकि इस नियम को अपनाने से वह ऑटो में सिर्फ दो ही सवारी बिठा सकते हैं। इसके चलते फिरोजपुर रोड चुंगी से घंटाघर तक किराया 20 की जगह 40 रुपये कर दिया। एक तो कोरोना का खौफ और दूसरा बढ़ाए किराये के चलते सवारी भी ऑटो में कहीं जाने से परहेज कर रही है।
नतीजन जो ऑटो चालक पहले रोजाना 1000 रुपये आमदनी करता था, अब सिर्फ 300 रुपये ही कमा पा रहा है। इतने में ऑटो की किश्त और घर का खर्च पूरा नहीं हो रहा। इस वजह से ऑटो चालक काफी परेशान हैं। जब शहर के ऑटो चालकों से इस बारे में बातचीत की, तो उन्होंने कुछ इस प्रकार अपनी पीड़ा बयां की।
1000 की जगह अब सिर्फ 300 रुपये बनती है दिहाड़ी
फुल्लोवाल के ऑटो चालक मनमोहन ने बताया कि उन्नाव से आकर यहां किश्त पर ऑटो लिया है। इसकी 7750 रुपये प्रति माह किश्त है। इसके बाद 2500 रुपये रूम का किराया है। पहले 1000 रुपये आमदनी हो जाती थी। अब सिर्फ 300 रुपये ही कमा पाता हूं। समझ में नहीं आ रहा कि कैसे अपना और परिवार का गुजारा करे।
किश्त और घर का खर्च नहीं हो रहा पूरा
राजा गाडर्न के ऑटो चालक सुनील ने बताया, तीन बच्चे हैं। 7000 रुपये ऑटो की किश्त जाती है और 2500 रुपये रूम का किराया है। पहले ऑटो की किश्त और घर का खर्च पूरा हो जाता था, लेकिन अब 300 रुपये रोजाना आमदनी में घर चलाना और ऑटो की किश्त भरना मुश्किल हो गया है।
40 रुपये में सफर करने को तैयार नहीं सवारी
अमन पार्क के ऑटो चालक सरोज ने बताया कि फिजिकल डिस्टेंसिग के नियम के कारण सिर्फ दो ही सवारी बिठा सकते हैं। इसके कारण 20 के बजाय 40 रुपये किराया करना पड़ा। आलम यह है कि जब सवारी बढ़ा हुआ किराया सुनती है तो वह बैठने से इंकार कर देती है।
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