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लाडोवाल टोल प्लाजा : अधूरे स्टाफ के साथ सिर्फ 12 लेन खोलीं, जाम में आने जाने पर 40 मिनट हो रहे बर्बाद

अभी हाईवे पर ट्रैफिक का इतना लोड भी नहीं है। इसके बावजूद लाडोवाल टोल प्लाजा पर व्यवस्था बिगड़ी हुई है।

By Edited By: Published: Wed, 27 May 2020 07:00 AM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 07:00 AM (IST)
लाडोवाल टोल प्लाजा : अधूरे स्टाफ के साथ सिर्फ 12 लेन खोलीं, जाम में आने जाने पर 40 मिनट हो रहे बर्बाद
लाडोवाल टोल प्लाजा : अधूरे स्टाफ के साथ सिर्फ 12 लेन खोलीं, जाम में आने जाने पर 40 मिनट हो रहे बर्बाद

लुधियाना, [दिलबाग दानिश]। केंद्र सरकार की ओर से नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआइ) के सभी टोल प्लाजों पर फास्टैग सिस्टम लागू किया गया ताकि वाहनों की कतारें न लगें और लोगों का समय भी बचे। लॉकडाउन के कारण अभी नेशनल हाईवे पर ट्रैफिक का इतना लोड भी नहीं है। वहां औसत से आधा ट्रैफिक ही दौड़ रहा है। इसके बावजूद लाडोवाल टोल प्लाजा पर व्यवस्था बिगड़ी हुई है। फास्टैग सिस्टम के बावजूद वहां पर लोगों को आने-जाने में चालीस मिनट तक करीब आधा किलोमीटर से अधिक लंबी लाइनों में इंतजार करना पड़ रहा है। शाम को तो यह लाइनें और लंबी हो जाती हैं। 

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एक अनुमान के अनुसार, टोल प्रबंधन एक व्यक्ति के 20 घंटे बर्बाद कर रहा है। दैनिक जागरण की टीम ने मौके पर पड़ताल की तो कई खामियां सामने आई। लॉकडाउन के बाद टोल प्लाजा प्रबंधन की ओर से 24 में से 12 लेन ही खोली गई हैं। इसी कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है जबकि अगर वाहनों की लंबी कतार और समय अधिक लग रहा है तो टोल प्लाजा प्रबंधन को बाकी लेन भी खोलनी चाहिए, मगर वह ऐसा नहीं कर रहा है। यही नहीं, इन आधी लाइन में से भी कुछेक को बीच में बंद कर दिया जाता है। यहां पर दो घंटे तक पड़ताल करने पर पता चला कि ऐसे हालात रोजाना होते हैं। 

70 फीसद कामर्शियल वाहन निकालने में ही लगाते हैं ज्यादा समय

लाडोवाल टोल प्लाजा पर 24 लेन हैं। इनमें से दो कैश की और बाकी फास्टैग की हैं। इसमें 12 लेन ही खोली गई हैं। इन 12 में भी लुधियाना से जालंधर जाने वाली सात और लुधियाना आने वाली पांच लेन ही चलाई जा रही हैं। आधी लेन बंद करना ही इस जाम की समस्या का कारण है। लुधियाना से जालंधर की तरफ जाने वाले व्यापारी और मुलाजिम सुबह काम पर जाते समय और शाम को वापस आते परेशान होते हैं। यही नहीं यहां से गुजर रहे व्हीकल्स में भी 70 फीसद कामर्शियल वाहन ही होते हैं और उन्हें निकालते में ही सबसे ज्यादा समय लगता है। इसी कारण बाकी गाड़ियों में आ रहे लोग भी परेशान होते हैं। 

पब्लिक स्पीक: ऐसी व्यवस्था का क्या फायदा जिससे समय बर्बाद हो

जालंधर से लुधियाना रोजाना आने-जाने वाले सतीश ग्रोवर टोल प्लाजा से गुजरे तो उनसे बात की। वह बोले कि सुबह और शाम को सबसे ज्यादा परेशानी होती है। जालंधर से लुधियाना आने में उन्हें मात्र चालीस मिनट लगते हैं। मगर पंद्रह से बीस मिनट तो टोल प्लाजा पर ही बर्बाद हो जाते हैं। इसी तरह सुरजीत सिंह भी वहां से गाड़ी में जा रहे थे तो उन्होंने कहा कि अगर फास्टैग लगा होने के बावजूद टोल प्लाजा पर दस से पंद्रह मिनट तक लाइनों में लगकर समय बर्बाद हो तो सरकार की इस व्यवस्था का क्या फायदा है। इससे तो अच्छा था पहले जैसा व्यवस्था ही रहने देते। 

अभी रोज गुजर रहे 22 हजार वाहन

आम दिनों में क‌र्फ्यू से पहले तक इस टोल प्लाजा से करीब 40 से 42 हजार वाहन गुजरते रहे हैं। क‌र्फ्यू के दौरान तो यहां से कुछेक वाहन ही गुजरते थे। अब जब क‌र्फ्यू हटा है तो रोजाना यहां से औसतन 20 से 22 हजार वाहन आ-जा रहे हैं। यानि कि वाहनों की आवाजाही आम दिनों के मुकाबले आधी है। ऐसे में इतना ट्रैफिक भी टोल प्लाजा प्रबंधन से नहीं संभल रहा। 

कई बार लेन बंद कर देते हैं कर्मी

यही नहीं, कई लोगों ने बताया कि कई बार बिना बताए ही लेन बंद कर दी जाती है और लेन में अगर कोई वाहन ले जाए तो उसे वापस भेजकर दूसरी लेन में आने को कहा जाता है। यह भी बड़ी अव्यवस्था देखने को मिली। दूसरा जब लॉकडाउन खत्म हो गया तो टोल प्लाजा पर वाहनों के जाम से स्थिति और खतरनाक हो जाएगी। 

अंदर की बात: पूरे स्टाफ को नहीं बुला रहा प्रबंधन

टोल प्लाजा पर काम करने वाले एक मुलाजिम ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि प्रबंधन पचास फीसद स्टाफ को काम पर बुला नहीं रहा है। कुछ को वेतन भी नहीं दिया गया है और कुछ कच्चे मुलाजिमों को हटा दिया है। मुलाजिम नहीं होने के कारण ही सभी लेन नहीं चलाई जा रही हैं। इससे पता चलता है कि टोल प्लाजा प्रबंधन कम कर्मियों को बुलाकर खुद अधिक कमाई कर रहा है और इसी चक्कर में लोगों का समय बर्बाद कर रहा है। 

समस्या का हल

  • मैनपावर की कमी को दूर करते हुए स्टाफ की पूरी तैनाती करनी चाहिए।
  • टोल प्लाजा की सभी लेन को खोल देना चाहिए। फिर लोगों का समय बर्बाद नहीं होगा और ट्रैफिक भी सरपट दौड़ेगा। 

सीधी बात : सीएस राठौड़, लाडोवाल टोल प्लाजा मैनेजर 

सवाल : टोल पर वाहनों का जाम लग रहा है। क्या स्टाफ की संख्या कम की गई है? 

जवाब: हां, हमने स्टाफ में कमी की है। कोरोना वायरस के कारण सभी कर्मियों को बुलाया नहीं जा रहा है। 

सवाल: क्या टोल प्लाजा के सभी कर्मियों को वेतन नहीं दिया जा रही इसलिए नहीं आ रहे? 

जवाब: वेतन नहीं देने की बात गलत है। सभी कर्मियों को वेतन दे रहे हैं। 

सवाल: टोल प्लाजा पर आधी लेन ही खोली गई हैं जबकि वहां पर लोगों को काफी देर तक इंतजार करना पड़ रहा है, ऐसा क्यों? 

जवाब: ट्रैफिक पहले से करीब आधा ही गुजर रहा है इसी कारण उतनी ही लेन चलाई जा रही हैं। पहले ट्रैफिक न के बराबर था, मगर दो-तीन दिन से ही ट्रैफिक में वृद्धि हुई है। अगर हमें लगता है कि ट्रैफिक बढ़ रहा है और जाम लगता है तो हम और लेन चला देते हैं। 

सवाल: आज मौके पर देखा कि वाहनों की लंबी लाइन के कारण जाम की स्थिति बनी हुई थी? 

जवाब: ऐसा नहीं है कि लोगों को लंबे जाम से परेशान होना पड़ रहा है। न ही किसी को ज्यादा समय तक खड़ा किया जा रहा है। 

इस तरह समझें : एक व्यक्ति का कितना समय बर्बाद होता है टोल पर

हर व्यक्ति का एक-एक पल कीमती है। जो व्यक्ति रोजाना लुधियाना से जालंधर आता-जाता है तो उसे औसत 40 मिनट तक टोल प्लाजा पर लगी लाइनों के कारण रुकना पड़ रहा है। ऐसे में एक महीना यानि 30 दिनों में उसके 1200 मिनट (20 घंटे) टोल प्लाजा पर ही बर्बाद हो रहे हैं। अब जब सभी लेन खुली हों और फास्टैग सिस्टम होने से तो मात्र एक से डेढ़ मिनट का समय ही लगना चाहिए। यानि आने-जाने में तीन मिनट का समय ही लगेगा। टोल प्रबंधन की लापरवाही और कम स्टाफ को लगाकर अधिक कमाई करने के चक्कर में एक व्यक्ति के 20 घंटे बर्बाद किए जा रहे हैं।


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