Positive India: शिक्षा के मंदिर में बन रहा लंगर ताकि कोई भूखा न सोए
चंद्रभान चौहान बताते हैं कि सुबह नौ बजे वह लंगर बनवाना शुरू कर देते हैं। 11 बजे से लंगर बंटना शुरू हो जाता है और शाम छह बजे तक बंटता रहता है।
लुधियाना, [शिवकुमार शुक्ला]। शिक्षा की लौ का विस्तार करने वाले पांच दोस्तों को समाज के लोगों की परेशानी देखी न गई और उन्होंने शिक्षा के मंदिर को आपदा से निपटने का स्थान बना लिया। कर्फ्यू के कारण बंद स्कूल में अब लंगर बनाकर जरूरतमंद लोगों तक भोजन पहुंचाया जाता है। ग्यासपुरा स्थित प्रीच कॉन्वेंट इंटरनेशनल स्कूल में रोजाना 2500-3000 लोगों को भोजन की व्यवस्था की जा रही है। इन दोस्तों की यही इच्छा है कि लंगर चलता रहे ताकि कोई भी जरूरतमंद भूखा न सोए।
स्कूल के डायरेक्टर चंद्रभान चौहान कहते हैं कि कोरोना वायरस को लेकर शहर में लगे कर्फ्यू के 3-4 दिन बीत जाने के बाद आसपास रहने वाले लोगों का दर्द देखा नहीं गया और उन्होंने स्कूल की मैनेजमेंट कमेटी के सभी डायरेक्टरों को आपात बैठक में बुलाया। इसमें लोगों के खानपान की समस्या पर गंभीरता से विचार किया गया। उनके साथी डायरेक्टर राजेश वोहरा, सुखविंदर सिंह राणा, सुरेंद्र लवली और सतनाम सिंह ने सर्वसम्मति से फैसला लिया कि स्कूल में ही लंगर बनाया जाए।
सभी का मानना था कि कोरोना महामारी के समय आई मुसीबत में फंसे लोगों की मदद नहीं कर पाए तो यह जीवन की कमाई उनके लिए शून्य है। ऐसे में पांचों ने फैसला लिया कि आसपास के जरूरतमंद लोगों को स्कूल में ही भोजन उपलब्ध करवाया जाएगा और बाकी क्षेत्र में जहां से डिमांड आए, उन्हें भी भोजन भेजा जाएगा। इसके लिए पहली समस्या फंड की थी। पांचों डायरेक्टरों ने एक-एक लाख रुपये देकर पांच लाख रुपये जमा किए और लंगर बनवाना शुरू कर दिया।
सुबह नौ बजे लंगर बनना शुरू, शाम छह बजे तक बांटते हैं
चंद्रभान चौहान बताते हैं कि सुबह नौ बजे वह लंगर बनवाना शुरू कर देते हैं। 11 बजे से लंगर बंटना शुरू हो जाता है और शाम छह बजे तक बंटता रहता है। लंगर के पैकेट बनाए जाते हैं और डाबा रोड, मक्कड़ कॉलोनी, महादेव नगर, प्रियतम कालोनी, ग्यासपुरा पिंड, गुरु राम दास नगर, अम्बेडकर नगर, सत्संग भवन, गुरमेल नगर, शांति नगर, ढंडारी खुर्द, ढंडारी कलां, बिसाखा कालोनी, ग्यासपुरा चौक, शिव मंदिर शेरपुर, माधो नगर आदि कॉलोनियों में पैकेट वितरित किए जाते हैं। चौहान बताते हैं कि भोजन के लिए लोगों का दर्द देखा नहीं जाता। फंड खत्म होने के बाद फिर फंड के लिए पांचों योगदान करेंगे और कोशिश होगी कि यह लंगर जारी रहे और जरूरतमंदों को खाना मिले।
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