बहुत अनूठी है लुधियाना में हनुमान जी की यह मूर्ति, शृंगार के लिए 20 साल की वेटिंग, बुकिंग 2040 तक फुल
Ludhiana Special Hanuman Idol लुधियाना के ठाकुरद्वारा नौहारिया में गोबर और मिट्टी से बनी हनुमान मूर्ति खास है। इसके शृंगार के लिए बाकायदा बुकिंग होती है। मंगलवार और शनिवार को सामान्य शृंगार के लिए दो साल तो हनुमान जयंती पर 20 साल तक बुकिंग फुल है।
लुधियाना, [राजेश भट्ट]। शहर के ठाकुरद्वारा नौहारिया में हनुमान जी की एक अनूठी मूर्ति है। यह ना तो सोने या चांदी से बनी है और ना ही किसी अष्टधातु या महंगे पत्थर की। साधारण मिट्टी और गोबर से निर्मित मूर्ति कब बनाई गई, इस बारे में कुछ पता नहीं है। खास बात यह है कि इस मूर्ति का शृंगार करने के लिए बाकायदा बुकिंग होती है। सामान्य तौर पर मूर्ति का शृंगार सप्ताह में दो बार मंगलवार व शनिवार को होता है। इसके लिए दो साल के लिए बुकिंग हो चुकी है। वहीं, साल में एक बार हनुमान जयंती पर विशेष शृंगार किया जाता है। इसके लिए वर्ष 2040 तक बुकिंग फुल है। यानी अगर आप आज शृंगार के लिए बुकिंग करवाते हैं तो आपको अपनी बारी के लिए 20 साल का लंबा इंतजार करना पड़ेगा।
इस मूर्ति का शृंगार इस तरह से किया जाता है ताकि इसका क्षरण न हो और यह सुरक्षित रहे। लेकिन विशेष शृंगार साल में हनुमान जयंती के मौके पर ही होता है। अगर आप भी यहां हनुमान जयंती पर मूर्ति का शृंगार करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको अभी बुकिंग करवानी होगी और 20 साल का इंतजार करना होगा। मंदिर संचालकों के पास वर्ष 2040 तक विशेष शृंगार की बुकिंग हो चुकी है। अगर आप मंगलवार व शनिवार को शृंगार करवाना चाहते हैं तो इसके लिए भी आपको कम से कम दो साल इंतजार करना होगा।
600 साल पुराना है इतिहास
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर क्यों है यहां शृंगार के लिए लंबी वेंटिंग है। दरअसल, ठाकुरद्वारा नौहरियां शहर के बीचोंबीच स्थित एक प्राचीन धार्मिक स्थल है। यह 600 साल से भी पुराना है और इस मंदिर में मिट्टी व गोबर से बनी हनुमान जी की यह मूर्ति भी उतनी ही पुरानी है। लोग तब से यहां मन्नतें मांगने आते हैं और मनोकामना पूर्ण होने पर यहां सवामनि (लगभग पचास किलो) का प्रसाद चढ़ाते हैं। लोगों की मान्यता है कि श्री हनुमान जी की मूर्ति का शृंगार करने से उनकी हर मनोकामना पूरी होती है।
श्रृंगार के लिए तो 20 साल तक की वेटिंग
हनुमान जयंती पर होने वाले शृंगार में हनुमान जी की मूर्ति को नए वस्त्र पहनाए जाते हैं। मुकुट, पादुकाएं व आभूषण बदले जाते हैं। इस मंदिर का संचालन बैरागी संप्रदाय के पास है। संचालक गौरवदास बैरागी बताते हैं कि हनुमान जयंती पर शृंगार के लिए वर्ष 2040 तक की बुकिंग हो चुकी है। मंगलवार और शनिवार के शृंगार के लिए दो साल की एडवांस बुकिंग हो चुकी है। उन्होंने बताया कि हर साल यहां100 से 125 लोग सवामणि का प्रसाद चढ़ाने आते हैं।
यहां मूर्ति पर नहीं चढ़ाया जाता है सिंदूर
कहते हैं हनुमान जी को सिंदूर बहुत प्रिय है। जो भी भक्त श्री हनुमान जी की प्रतिमा पर हनुमान सिंदूर चढ़ाते हैं उन्हें मनवांछित फल प्राप्त होते हैं। हालांकि ठाकुरद्वारा नौहरियां में बनी हनुमान जी की मूर्ति पर सिंदूर नहीं चढ़ाया जाता। यहां तक कि उनके शृंगारमें भी सिंदूर का इस्तेमाल नहीं किया जाता। यहां मूर्ति मिट्टी और गोबर से बनी हुई है। ऐसे में सिंदूर के कारण मूर्ति का क्षरण हो सकता है। शुरू से ही मूर्ति को सिंदूर चढ़ाना वर्जित है। सिंदूर के बदले यहां पर चमेली के तेल में सिंगरफ को मिलाकर मिश्रण तैयार किया जाता है। उसका लेप मूर्ति पर किया जाता है। इससे मूर्ति सुरक्षित रहती है।
ऐसे पहुंच सकते हैं यहां
अगर आप रेलवे स्टेशन से यहां आना चाहते हैं तो आपको घंटाघर से होते हुए चौड़ा बाजार में आना होगा। घासमंडी चौक से दाएं एक तंग गली निकलती है जो कि सीधे ठाकुरद्वारा नौहरियां में जाती है। इस मंदिर तक आप कार से नहीं पहुंच सकते हैं क्योंकि चौड़ा बाजार में ट्रैफिक के साथ साथ भीड़ ज्यादा होती है। यह धार्मिक स्थल तंग गलियों में है, वहां तक कार नहीं जा सकती है।