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पर्यावरण संरक्षण के लिए अनोखा प्रयास, पराली से बनाएंगे प्लाईबोर्ड Ludhiana news

सोहल का मकसद है सूबे में एग्रो वेस्ट का सही उपयोग करके उससे उत्पाद तैयार किए जाए। तभी पराली की संभाल भी हो पाएगी और प्रदूषण भी कम होगा।

By Edited By: Published: Mon, 09 Sep 2019 06:53 AM (IST)Updated: Mon, 09 Sep 2019 06:53 AM (IST)
पर्यावरण संरक्षण के लिए अनोखा प्रयास, पराली से बनाएंगे प्लाईबोर्ड Ludhiana news
पर्यावरण संरक्षण के लिए अनोखा प्रयास, पराली से बनाएंगे प्लाईबोर्ड Ludhiana news

लुधियाना, [राजीव शर्मा]। हरिसर ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज का मकसद पंजाब में पर्यावरण को कम करना है। इसके लिए धान की पराली से प्लाईबोर्ड बनाने को लेकर रिसर्च किया जा रहा है। ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर इंद्रजीत सिंह सोहल के बेटे और डायरेक्टर गुरप्रीत सिंह सोहल को उम्मीद है कि शीघ्र ही इस पर उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा। सूबे में पराली से बोर्ड बनाने का पहला प्लांट लगाने के लिए ग्रुप ने चालीस एकड़ जगह का भी इंतजाम कर लिया है।

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सोहल का मकसद है सूबे में एग्रो वेस्ट का सही उपयोग करके उससे उत्पाद तैयार किए जाए। तभी पराली की संभाल भी हो पाएगी और प्रदूषण भी कम होगा। सूबे में कभी 17 फीसद में हरियाली थी, अब तीन फीसद रह गई और अब लोगों के प्रयासों से बारह फीसद पर आ गई है। सोहल का मकसद इसे फिर से 17-18 फीसद तक पहुंचाना है।

1957 में सिलाई मशीन के वुडेन बेस करते थे तैयार

निक्का सिंह सोहल ने वर्ष 1957 में लकड़ी की फैक्ट्री लगाई। वर्ष 1988 तक ऊषा एवं सिंगर सिलाई मशीन कंपनियों को सिलाई मशीनों के वुडेन बेस एवं वुडेन कवर सप्लाई किए। फिर वक्त की नजाकत समझी और 1987 में इंद्रजीत ¨सह सोहल ने सूबे में पहली प्लाईवुड बनाने की फैक्ट्री लगाई। तब से लेकर अब तक ग्रुप सीनियर ब्रांड के तहत प्लाईवुड, प्लाईबोर्ड, लेमिनेट्स इत्यादि कई तरह के उत्पाद बना रहा है।

गुरु नानक पब्लिक स्कूल से स्कूलिंग की

हरिसर ग्रुप में प्रमुख कंपनी हरिसर इंडस्ट्रियल कॉर्पोरेशन, निक्सन प्लाईवुड एवं हाईटेक एग्रोमिल्स हैं। इंद्रजीत सिंह सोहल के बेटे गुरप्रीत सिंह सोहल एवं उनके भाई हरकिरण सिंह सोहल ने गुरु नानक पब्लिक स्कूल से स्कूलिंग की। आर्य कॉलेज से उच्च शिक्षा ली और फिर परिवारिक बिजनेस को ज्वॉइन कर लिया। दोनों भाई पिता इंद्रजीत सिंह सोहल के मार्गदर्शन में कारोबार को बाजार की जरूरतों के अनुसार बढ़ा रहे हैं। कारोबार में हर कदम पर वह अपने पिता की सलाह से ही फैसले लेते हैं। गुरप्रीत सिंह का कहना है कि वर्ष 2004 में बिजनेस ज्वाइन करने के बाद उन्होंने इसकी बारीकियां समझीं और फिर पिता के सहयोग से नए-नए इनोवेशन किए। वर्ष 2011-12 में वेका लाइट, माइका, लेमिनेटेड बोर्ड बनाने शुरू किए। सारे उत्पादों को देश भर में सप्लाई किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि काफी मशीनरी डेवलप की। कई मशीनों का चीन, जर्मनी से आयात भी किया। हरिसर के यूनिट व‌र्ल्ड क्लास टेक्नोलॉजी के साथ बने हैं। ग्रुप का लक्ष्य अब मीडियम डेंसिटी बोर्ड एवं हाई डेंसिटी बोर्ड का उत्पादन शुरू करना है। इसके लिए तैयारियां की जा रही हैं। एग्रो बेस्ड उत्पादों का उपयोग करने के लिए भी कंपनी का अनुसंधान जारी है। इससे किसानों की आय में भी इजाफा होगा।

ट्रैवलिंग का है शौक

हरप्रीत को ट्रैव¨लग का काफी शौक है। इसके अलावा वह तंदुरुस्ती को लेकर भी सजग रहते हैं। टीम वर्क, तुरंत फैसले लेना, ईमानदारी, साकारात्मक सोच ही उनकी कामयाबी का मूल मंत्र है।


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