गुरु पूर्णिमा उत्सव पर पूजा-अर्चना व महाआरती का दिखा संगम Ludhiana News
माता पिता और अध्यापक के अलावा जिसने भी हमें कुछ सिखाया वह हमारे गुरु हैं।
जेएनएन, लुधियाना। माता, पिता और अध्यापक के अलावा जिसने भी हमें कुछ सिखाया वह हमारे गुरु हैं। गुरुओं को समर्पित मंगलवार को शहर के मंदिरों में गुरु पूर्णिमा उत्सव व संक्रांति उत्सव धूमधाम से मनाया गया। श्रद्धालुओं ने गुरुजनों को फूल मालाएं अर्पित कर सुख व समृद्धि की कामना की। इस दौरान शहर में कई आयोजन भी हुए। भारत धर्म प्रचारक मंडल की ओर से श्री दंडी स्वामी निगम बोध तीर्थ महाराज की अध्यक्षता में गुरु पूर्णिमा ओर संक्रांति पर्व निगम निकेतन धाम वेद मंदिर में बड़ी श्रद्धापूर्वक मनाया गया।
स्वामी निगम बोध तीर्थ ने कहा कि आज साधू बनना आसान है, लेकिन कामिनी, कंचन व कीर्ति से बचना बहुत कठिन है। महाराज ने कहा कि जब सूर्य भगवान मिथुन राशि से निकल कर कर्क राशि में आते है तो सावन मास की संक्रांति होती है। इस मास का अपना अलग महत्व है। इस मास में किए गए दान पुण्य और नाम सिमरन से मनुष्य के जन्मों-जन्मों के पाप नष्ट हो जाते है। श्रद्धालुओं ने गुरु महाराज की पूजा कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
यहां श्री दण्डी स्वामी द्वेषवरानंद तीर्थ, विश्न सरुप चोपड़ा, शिवराम, मोहिन भार्गव, जगदीश शर्मा, बिट्टू प्रभाकर, हरिओम सहगल, विक्की गुगलानी, अशोक शर्मा बोबी, पं. दीप वशिष्ठ, पं. सौरव, राजिन्द्र कपूर, प्रदीप कालिया, नरेश शर्मा, लाडी कपूर, पारस कपूर आदि उपस्थित हुए। स्वामी वेद भारती ने सुनाया संक्रांति पाठ बाजवा नगर नजदीक वेद निकेतन में महामंडलेश्वर स्वामी वेद भारती म. के सान्निध्य में गुरु पूर्णिमा उत्सव व संक्रांति श्रद्धापूर्वक मनाई गई। भारी संख्या में पहुंचे गुरु भक्तों ने महाराज श्री की पूजा अर्चना व मालाओं से आभार व्यक्त किया। स्वामी ने कहा कि 'गु' का अर्थ अंधकार व 'रु' का अर्थ है दूर करने वाला।
आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते है। इस दिन गुरु पूजा की जाती है। इन चार माह में न तो ज्यादा गर्मी होती है और न ही सर्दी। इसलिए ये चार महीने पढ़ाई के लिए सबसे अच्छे माने जाते है। संकीर्तन मंडली ने गुरु महिमा का गुणगान कर श्रद्धालुओं को झूमने पर विवश कर दिया। महाआरती, पूजा अर्चना व संकीर्तन की बही धारा सिद्धपीठ श्री दण्डी स्वामी मंदिर में श्री गुरु पूर्णिमा महोत्सव हर्षोल्लास के साथ प. राज कुमार शर्मा की अध्यक्षता में मनाया गया। मंदिर में प्रात: काल से ही भक्तजन दर्शन करने के लिए उमड़ पड़े। मंदिर में जलाभिषेक, पूजा अर्चना व महाआरती की गई। श्री सिद्ध पीठ पर्रिकर ने हरिनाम संकीर्तन से समां बांधा।
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