शहर में बढ़ रही पार्किंग की समस्या, विवाद में चल रही गोलियां और बह रहा खून Ludhiana News
औद्योगिक नगरी में पार्किंग व्यवस्था विकराल होने लगी है। हालात ऐसे हो गए हैं कि गलियों में गाड़ी पार्क करने को लेकर लोग एक दूसरे का खून बहाने से भी गुरेज नहीं करते।
लुधियाना, [दिलबाग दानिश]। औद्योगिक नगरी में पार्किंग व्यवस्था विकराल होने लगी है। हालात ऐसे हो गए हैं कि गलियों में गाड़ी पार्क करने को लेकर लोग एक दूसरे का खून बहाने से भी गुरेज नहीं करते। दो दिन पहले ही गाड़ी पार्क करने को लेकर होमगार्ड इंस्पेक्टर की हत्या कर दी गई थी। वहीं मंगलवार रात को भी सीएमसी के पास गोलियां चलीं। अगर नगर निगम पार्किंग व्यवस्था दुरुस्त नहीं करेगा, तो आने वाले दिनों में और भी गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं।
शहर के लगभग हर एरिया में वाहन खड़े करने को लेकर विवाद रहता है। मॉडल टाउन, हैबोवाल, जमालपुर, शिवपुरी, माधोपुरी, खुड्ड मोहल्ला, शिमलापुरी समेत कई रिहायशी क्षेत्रों में हालात काफी नाजुक हैं। आठ-आठ फीट की गलियों में घर के बाहर कार पार्क कर दी जाती हैं। ऐसे में दूसरे वाहनों को निकलने में परेशानी होती है। कई घरों में दो-दो वाहन हैं और इन्हें पार्क करने के लिए उनके पास कोई जगह नहीं है। इसलिए इन वाहनों को वह पड़ोसी के घर के बाहर खड़ा करते हैं और इसे लेकर विवाद होता है।
शहर के 29 थानों में माह में एक या दो मामले पार्किंग विवाद के आते ही हैं। तीन दिन पहले सलेम टाबरी में रिटायर्ड हवलदार ने होमगार्ड इंस्पेक्टर की हत्या कर दी थी। पुलिस के सामने यह भी समस्या है कि चोर घरों के बाहर से कार चोरी कर लेते हैं। या उनमें से बैट्री चोरी हो जाती हैं या फिर शरारती तत्व कार के शीशे तोड़ देते हैं। पुलिस रिकार्ड के अनुसार हर दस दिन बाद घर के बाहर से कार या मोटरसाइकिल चोरी हो रही हैं।
निगम नहीं बना पा रहा पार्किंग साइट
बता दें कि शहर में नगर निगम ए कार्यालय के अलावा कहीं भी पार्किंग की व्यवस्था नहीं है, जिस कारण लोग गाड़ियों को सड़कों पर ही खड़ी कर देते हैं।
प्राइवेट प्लाट में पार्किंग की बनाई थी योजना, विफल
नगर निगम ने एलान किया गया था कि प्राइवेट प्लाटों के मालिक नगर निगम से अनुमति लेकर खुद ही पार्किंग साइट बना सकते हैं। तय किए गए पैसे लेकर वह वाहनों को अपनी जगह पर पार्क करवा सकते हैं। प्लाट मालिकों से नगर निगम कोई पैसा नहीं लेगा, लेकिन इसमें लोगों ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। प्रदेश सरकार की ओर से घर के बाहर पार्किंग को लेकर पॉलिसी बनाई गई थी, जिसमें था कि कोई भी व्यक्ति अपने घर के बाहर कार खड़ी करता है तो निगम को इसके लिए किराया देना होगा, मगर यह योजना भी लागू नहीं हुई।
ऐसे हो रही नियमों की अवहेलना
बिल्डिंग बायलॉज के अनुसार अगर 120 गज का मकान बनाया जाता है, तो उसमें कार पार्किंग की जगह होनी जरूरी है। कुछ जगहों पर लोग ढाई सौ गज का मकान बनाकर उसमें कार पार्किंग की जगह तो छोड़ रहे हैं मगर उसका उपयोग नहीं कर रहे हैं।
एक्सपर्ट व्यू; महंगी होनी चाहिए सड़क पर पार्किंग : राहुल वर्मा
स्टेट ट्रैफिक कौंसिल के सदस्य राहुल वर्मा का कहना है कि जिस तरह से नगर निगम सड़क पर कूड़ा फेंकने, गाड़ी धोने समेत अन्य तरह के चालान काटता है उसी तरह घर के बाहर गाड़ी खड़ी करने पर भी चालान होना चाहिए। अगर ऐसा होगा तो लोग खुद ब खुद अपनी गाड़ी पार्किंग में खड़ी करेंगे। यही नहीं प्राइवेट पार्किंग बनाने की जो योजना लागू नहीं हो पाई वह भी लागू हो। क्योंकि लोग खुद भी गाड़ियों के लिए पार्किंग व्यवस्था करने लगेंगे।
पार्किंग व्यवस्था के लिए लिखे निगम को कई पत्र
ट्रैफिक एडीसीपी तरुण रतन का कहना है कि ट्रैफिक शहर में ट्रैफिक की समस्या काफी गंभीर है। हमारे पास कोई प्रपोजल नहीं है कि घर के बाहर खड़ी की जाने वाली गाड़ी पर कार्रवाई कर सके। हमने निगम को पत्र लिखे हैं कि इसके लिए कोई न कोई योजना बनाई जाए, इससे कानून व्यवस्था भी बिगड़ रही है।
समस्या के हल के लिए चल रहा काम: मेयर
नगर निगम के बलकार सिंह संधू का कहना है कि पार्किंग समस्या विकराल हो रही है। हम इसके लिए समय-समय पर काम करते हैं। हमने प्राइवेट पार्किंग सिस्टम बनाने के लिए काम शुरू किया था। इसमें लोगों की प्राइवेट जगहों पर पार्किंग बनाने की योजना है। इसे प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए जा रहे हैं।