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नेत्रहीन नसीब कौर को मिली दूसरी किस्त

हरनानक सिंह ने 50 हजार रुपये उसके हाथ पर रखे तो नेत्रहीन नसीब कौर की आंखों से नीर बहने लगा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 05 Jul 2019 09:13 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jul 2019 09:13 PM (IST)
नेत्रहीन नसीब कौर को मिली दूसरी किस्त

संवाद सहयोगी, समराला : नेत्रहीन नसीब कौर के बैंक के खाते मे आई दूसरी किस्त को मनीपाल बिजनेस कंपनी के पेंशनर्स विग के सुपरवाइजर हरनानक सिंह ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 50 हजार रुपये उसके हाथ पर रखे तो नेत्रहीन नसीब कौर की आंखों से नीर बहने लगा। क्योंकि यह दूसरी किस्त उसको सरकारी दफ्तरों के धक्के खाने के कई महीने बाद प्राप्त हुई थी। किस्त प्राप्त करने के लिए शुक्रवार को नसीब कौर समाजसेवी बक्शीष विक्की को साथ ले कर गई थी।

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किस्त लेने के बाद अचानक नेत्रहीन नसीब कौर के मुंह से यह शब्द निकले के वह नेत्रहीन होने के कारण दैनिक जागरण की खबर तो नहीं पढ़ सकी थी लेकिन उसके पोतों ने अखबार मे लगी खबर पढ़ कर सुनाई थी। उसने कहा कि वह अखबार का धन्यवाद करती है जिसके सहयोग से उसको सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने से निजात मिल गई और उसको किस्त मिल गई।

मामला दैनिक जागरण के पास उस समय पहुंचा था जब नसीब कौर को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एक किस्त मिलने के बाद दूसरी किस्त नहीं मिल रही थी। पहली किस्त के साथ अपने कच्चे मकान को पक्का बनाने के लिए गिरा दिया था और नींव भर ली थी। दूसरी किस्त न मिलती देख कर उसने लोन लेकर छत डाल ली। जब कर्ज का ब्याज चढ़ने लगा तो वह किस्त प्राप्त करने के लिए दफ्तरों के चक्कर लगाने लगी। लेकिन उसको किसी ने भी पल्ला नही फड़ाया।

आखिर उसका किस्त दिलाने का मामला समाजसेवी रमन वडेरा, सुखपाल सुखा और मुकेश आनंद ने उठाया और उन्होने नगर कौंसिल को धमकी दी थी कि अगर नेत्रहीन नसीब कौर की किस्त न मिली तो वह जल्दी ही नगर कौंसिल के दफ्तर के आगे धरना लगा देगें। गलती से पेंशन खाते में चली गई थी किस्त : जसवीर सिंह

दूसरी तरफ दैनिक जागरण मे खबर प्रकाशित होने के कारण एग्जीक्यूटिव अफसर जसवीर सिंह ने नसीब कौर को किस्त दिलाने के लिए भाग दौड़ शुरू कर दी। उन्होने कहा कि गलती से दूसरी किस्त नसीब कौर के पेंशन के खाते मे चली गई थी जो आज उनको मिल गई है। हरनानक सिंह ने कहा कि शुक्रवार को समराला मे उनका पहला दिन था। उनके ध्यान मे यह मामला आने पर उन्होने पहले दिन ही मामला हल करके नसीब कौर को दूसरी किस्त सौंप दी।


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