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Loksabha Election: पोलिंग पार्टियों की हर गतिवि‍धि पर इस एप के जरिये रखी जाएगी नजर

चुनावी स्टाफ की प्रत्येक गतिविधि पर इस बार पोल-डे मॉनिटरिंग सिस्टम एप के जरिये निगरानी रखी जाएगी।

By Sat PaulEdited By: Published: Mon, 06 May 2019 01:03 PM (IST)Updated: Tue, 07 May 2019 08:34 AM (IST)
Loksabha Election: पोलिंग पार्टियों की हर गतिवि‍धि पर इस एप के जरिये रखी जाएगी नजर
Loksabha Election: पोलिंग पार्टियों की हर गतिवि‍धि पर इस एप के जरिये रखी जाएगी नजर

लुधियाना, [राजेश शर्मा]। चुनावी स्टाफ की प्रत्येक गतिविधि पर इस बार पोल-डे मॉनिटरिंग सिस्टम एप के जरिये निगरानी रखी जाएगी। 19 मई को मतदान प्रक्रिया में 2746 पोलिंग पार्टियां इस एप के जरिए अपनी हर गतिविधि की रिपोर्ट नौ सहायक चुनाव अधिकारियों को करेंगी। इसी एप के जरिये चुनावी स्टाफ की निगरानी जिला चुनाव अधिकारी डिप्टी कमिश्नर प्रदीप अग्रवाल के साथ-साथ मुख्य चुनाव अधिकारी पंजाब भी चंडीगढ़ से करेंगे। जहां कहीं भी रिपोर्ट में देरी होगी, उसी समय संबंधित स्टाफ से उसके फोन पर जवाब-तलबी होगी। एप का उपयोग ईवीएम रिसीव करने से शुरू होकर मतदान संपन्न होने के बाद ईवीएम जमा करवाने तक जारी रहेगा।

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ऐसे काम करेगा एप

चुनाव आयोग द्वारा बनवाए गए पोल-डे मॉनिटरिंग सिस्टम एप की वर्किंग ईवीएम रिसीव करते ही शुरू हो जाएगी। ईवीएम रिसीव करते ही पोलिंग पार्टी मोबाइल जरिये एप पर संदेश देगी कि उसने ईवीएम रिसीव कर ली है व संबंधित बूथ की और रवाना हो चुकी है। बूथ पर पहुंचने की सूचना एप पर दी जाएगी। पोलिंग बूथ में कितने एजेंट हैं इसकी जानकारी चुनाव अधिकारी को देनी होगी। इसके बाद मॉकपोल शुरू हो गया है यह जानकारी भी देनी होगी। इन प्रक्रिया में से अगर कोई भी प्रक्रिया देरी से शुरू होती है तो भी इसकी सूचना एप के जरिए देनी होगी। वहीं देरी की वजह भी बतानी होगी। मतदान शुरू होने की सूचना के बाद प्रत्येक दो घंटे बाद कितना मतदान हुआ कि जानकारी एप के माध्यम से ही संबंधित अधिकारियों तक पहुंचेंगी। इस दौरान अगर मतदान में कोई बाधा आती है तो कितनी देर मतदान बंद रहा, इसकी वजह की जानकारी भी देनी होगी। शाम छह बजे एप पर दर्ज करना होगा कि कतार में कितने मतदाता हैं। मतदान संपन्न होने के बाद ज्यों ही पोलिंग पार्टी रवाना होगी, इसकी जानकारी भी दर्ज करवानी होगी। ईवीएम जमा करवाते ही एप पर दी जाने वाली जानकारियों का सिलसिला थम जाएगा।

इससे पहले मैसेज के जरिए कंट्रोल रूम बनाकर की गई थी निगरानी

2017 के विधानसभा चुनाव में भी इसी तरह की प्रक्रिया अपनाई गई थी, लेकिन तब ऐसा कोई एप तैयार नहीं करवाया गया था। पोलिंग टीमें इसी तरह के मैसेज के जरिये मिनी सचिवालय में बने कंट्रोल रूम से जुड़ी हुई थी। तकनीकी तौर पर कई अड़चने आई थीं। इस बार एप के जरिए इसमें सुधार का प्रयास किया गया है।

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