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बड़ों की सबसे बड़ी धरोहर अनुभव है : शून्य प्रभु

जासं, लुधियाना सतलुज किनारे स्थित शनिगांव में शून्य प्रभु महाराज ने साप्ताहिक सत्संग में उपस्थित ज

By Edited By: Published: Sat, 31 Jan 2015 08:24 PM (IST)Updated: Sat, 31 Jan 2015 08:24 PM (IST)
बड़ों की सबसे बड़ी धरोहर अनुभव है : शून्य प्रभु

जासं, लुधियाना

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सतलुज किनारे स्थित शनिगांव में शून्य प्रभु महाराज ने साप्ताहिक सत्संग में उपस्थित जनसमूह को मन की गुलामी छोड़ने व सुविचारों को ग्रहण करने के लिए प्रेरित किया।

उन्होंने कहा कि जीवन में जो मिला या नहीं भी मिला, उसके लिए हमारे विचार ही जिम्मेवार हैं। हम जीवन के अभावों को गिनते रहते हैं और दुखी होते रहते हैं। सच तो यह है कि आज हमारे पास जो कुछ है, वह हमारी सोच का ही परिणाम है। इसी तरह जो हमें नहीं मिला, वह भी हमारे सोच के कारण ही है।

उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो युवा पीढ़ी को यह समझना और मानना पडे़गा कि बड़ों की सबसे बड़ी धरोहर उनके अनुभव हैं जो किसी भी ज्ञान के सही प्रसंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।


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