पुराने सामान का इस्तेमाल, करोड़ों बचा रहा आरसीएफ
रेल कोच फैक्ट्री पुराने सामान का इस्तेमाल कर करोडो रुपये की बचत कर रही है।
जागरण संवाददाता, कपूरथला : कोरोना महामारी से देश की आर्थिक स्थिति बदहाल हो गई है। केंद्र सरकार तथा भारतीय रेलवे के आय में कमी के कारण सभी विभागों की ओर से खर्चों पर लगाम लगाई जा रही है तथा सरकारी खजाने को समृद्ध करने की कोशिश की जा रही हैं। आरसीएफ ने 203 करोड़ रुपये की गैर-चलंत (लंबे समय से उपयोग में नहीं आने वाली) वस्तुओं को प्रभावी तरीके से दोबारा इस्तेमाल में लाए जाने की रिपोर्ट पेश की है। इसके तहत 92 करोड़ के मैटीरियल को रेल कोच फैक्ट्री में ही मामूली बदलाव के साथ प्रयोग में लाया जा सकेगा।
रेल कोच फैक्ट्री कपूरथला के महाप्रबंधक रविंद्र गुप्ता की अगुआई में विशेष टास्क फोर्स का गठन किया गया जिसके तहत आरसीएफ में पड़े रेल डिब्बों में लगने वाले सभी गैर-चलंत (लंबे समय से प्रयोग में न आ रहे) मैटीरियल का गहन विश्लेषण किया गया है। इस विश्लेषण का उद्देश्य इस प्रकार के मैटीरियल को उपयोग में लाकर रेलवे के खर्च को कम करना और आमदनी को बढ़ाना है। आरसीएफ के स्टोर डिपो में पड़ी यह सभी गैर चलंत मैटीरियल समय-समय पर रेल डिब्बों के डिजाइन में सुधार, आइसीएफ डिजाइन के रेल डिब्बों के उत्पादन बंद होने तथा पारंपरिक मेमू डिब्बों की जगह आधुनिक थ्री फेज मेमू के निर्माण शुरू होने तथा कुछ कलपुर्जों के डिजाइन में बदलाव से एकत्रित हुई हैं ।
टास्क फोर्स ने तय समय में अपनी जांच कर 203 करोड़ की इन गैर-चलंत वस्तुओं को प्रभावी तरीके से दोबारा इस्तेमाल में लाए जाने के लिए अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। 92 करोड़ के मैटीरियल को रेल कोच फैक्ट्री में ही मामूली बदलाव के साथ प्रयोग में लाया जा सकेगा। इसके अलावा 97 करोड़ का मैटीरियल जो पुराने डिजाइन के डिब्बों से सम्बंधित है, उनको अन्य उत्पादन इकाइयों तथा जोनल रेलवे में भेजा जा रहा है। 14 करोड़ का सामान पहले ही उन्हें भेजा जा चुका है। 14 करोड़ की गैर चलंत मैटीरियल जो कि आरसीएफ या अन्य रेलवे में प्रयोग में नहीं लाई जा सकती उनकी ई-निलामी के माध्यम से पारदर्शी ढंग से बिक्री की जाएगी। इससे 203 करोड़ रुपये की सामग्री का उचित प्रयोग संभव होगा तथा रेल कोच फैक्ट्री और अन्य रेलवे के खर्चों में कमी आएगी। साथ ही साथ इस गैर-चलंत मैटीरियल के प्रयोग में लाने से इनके रख रखाव, सुरक्षा में लग रहे संसाधनों तथा खर्च को अन्य कार्यो में लगाया जा सकेगा।
इस ढंग से अपने लंबे समय से पड़े मैटीरियल को दोबारा उपयोग में ला कर ना सिर्फ कमाई होगी बल्कि इस समान की देखभाल पर आ रहे खर्च को भी कम करने में मदद मिलेगी।