आरसीएफ में निर्मित तेजस नई दिल्ली-लखनऊ के बीच शुरू
रेल कोच फैक्टरी कपूरथला में निर्मित तेजस ट्रेन को शुक्रवार को लखनऊ से नई दिल्ली के लिए रवाना किया गया। यह देश की पहली कॉरपोरेट ट्रेन है।
हरनेक सिंह जैनपुरी, कपूरथला : रेल कोच फैक्टरी, कपूरथला में निर्मित तेजस ट्रेन को शुक्रवार को लखनऊ से नई दिल्ली के लिए रवाना किया गया। यह देश की पहली कॉरपोरेट ट्रेन है। इसमें इंडियन रेलवे कैटरिग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन की ओर से यात्रियों को प्रीमीयम सुविधाएं मिलेंगी। आरसीएफ में इस ट्रेन के डिब्बों के निर्माण के समय विमान की तरह एलसीडी एंटरटेनमेंट-कम-इंफोर्मेशन स्क्रीन, ऑन बोर्ड वाई-फाई सेवा, आरामदायक सीटें, मोबाइल, लैपटाप चार्जिग, व्यक्तिगत रीडिग लाइट्स, मॉड्यूलर बायो-टॉयलेट, विनीशन ब्लाइंड वाली विडो, ऑटोमैटिक दरवाजे, बायो वैक्यूम टॉयलेट आदि की सुविधाएं दी गई हैं। ट्रेन की एक्जिक्यूटिव क्लास वातानुकूलित चेयर कार में 56 तथा वातानुकूलित चेयर कार में 78 सीटें हैं। यहां निर्मित तेजस ट्रेन 24 मई 2017 को मुंबई में छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस और करमाली (गोवा) के बीच चलाई गई थी। अब तक आरसीएफ ने पांच तेजस ट्रेनों का निर्माण किया है। रेल डिब्बा कारखाना कपूरथला 200 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ने वाली हाईस्पीड ट्रेन जर्मन की एलएचबी तकनीक वाले इन कोचों की हाई स्पीड के बाद भी अंदर बैठे यात्री को ट्रेन चलने के बारे में पता नहीं चलेगा।
हर यात्री चिप से मोबाइल पर देख सकेगा मूवी
इन कोचों में अब हर सीटी के पीछे एलईडी टीवी नहीं लगेगा बल्कि हर यात्री को एक एक चिप दी जाएगी जिसके जरिए वह अपने मोबाइल पर अपनी मर्जी से मूवी, नाटक, ड्रामे व खेल गतिविधियों का लुत्फ उठा सकेगे। लेकिन इसी ट्रेन के एग्जीक्यूटिव कलास वाले कोचों में हर सीट के पीछे एलइडी टीवी की सुविधा मुहैया करवाई गई है। हर कोच में लगे सीसीटीवी कैमरे पूरे कोच की निगरानी करेगे। देश में हाई स्पीड ट्रेन के सपने एवं इस ट्रेन की विशेषताओं के बारे आरसीएफ के महाप्रबंधक रवीन्द्र गुप्ता ने बताया कि केंद्र सरकार अब तेज गति के साथ साथ यात्रियों की सुरक्षा व आधुनिक सुविधाओं को तरजीह दे रही है और आरसीएफ इसी दिशा में आगे बढ़ रहा है। कोच के दरवाजे भी पूरी तरह आटोमैटिक है। पांच किलोमीटर की स्पीड पकड़ते ही खुद बा खुद बंद हो जाते है।
जीपीएस सिस्टम में भी लैस होगी ट्रेन : बलदेव राज
आरसीएफ के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी बलदेव राज ने बताया कि ट्रेन जीपीएस सिस्टम में भी लैस होगी और हर यात्री सीट पर बैठे अपनी स्क्रीन पर हवाई जहाज की तरह स्टेशनों का विवरण, ट्रेन कितनी देर में पहुंचेगी, कितनी लेट चल रही है और कौन सा स्टेशन कितनी देर में आएगा आदि तमाम जानकारियां देख सकेगे। जर्मन तकनीक वाले एलएचबी को विकसित करके इनमें आधुनिक इलेक्ट्रोनोमैटिक ब्रेकिग सिस्टम लगा है जिनमें स्टील की ब्रेक डिस्क एवं सिनटर्ड पैड होगे। इस सिस्टम के जरिए ट्रेन को 200 किलोमीटर प्रति घंटा की हाई स्पीड होने के बावजूद जरुरत पड़ने पर निधार्रत 1400 मीटर के भीतर आसानी से रोका जा सकेगा। कोच की लागत बारे उन्होंने बताया कि एक कोच पर 3.50 करोड़ रुपये की लागत आई है।