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जनसेवा व पर्यावरण के अप्रतिम संत हैं सीचेवाल

संत बलबीर सिंह सीचेवाल पर्यावरण और जन सेवा के प्रतिम संत हैं। नदियों काे प्रदूषण मुक्‍त कर उन्‍हें स्‍वच्‍छ बनाने की उन्‍होंने राह दिखाई है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 30 Mar 2017 01:52 PM (IST)Updated: Thu, 30 Mar 2017 08:58 PM (IST)
जनसेवा व पर्यावरण के अप्रतिम संत हैं सीचेवाल
जनसेवा व पर्यावरण के अप्रतिम संत हैं सीचेवाल

कपूरथला, [हरनेक सिंह जैनपुरी]। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पवित्र शब्द ' पवन गुरु पानी पिता, माता धरत महत्त' को जनमानस के दिल में बिठाने वाले संत बलबीर सिंह सीचेवाल अब पद्मश्री हाे गए हैं। जिले के गांव सीचेवाल से समाज सेवा की शुरूआत की। उन्‍होंने अनेक गांवों का तो कायकल्प किया ही है, लुप्त हो रही काली बेई को पुन जीवंत किया। संत सीचेवाल ने देश भऱ में पर्यावरण के प्रति अलख जगाई।

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कार सेवा के जरिए निकली सीचेवाल से राष्टटपति भवन तक की राह

संत बलबीर सिंह सीचेवाल पिछले 17 सालों से लगातार श्री गुरु नानक देव जी की चरण स्पर्श पवित्र काली बेई की कार सेवा करते आ रहे हैं। उन्‍होंने प्रदूषण के कारण अपना अस्तित्व लगभग खो चुकी 160 किलोमीटर लंबी इस नदी को नया जीवन दिया। अब काली बेई में सिर्फ स्वच्छ जल की धारा बह रही है और यह देश भर में नदियों को प्रदूषण मुक्‍त कर जीवंत करने का उदाहरण बन गई है।

काली बेई नदी को स्‍वच्‍छ बनाने में जुटे संत बलबीर सिंह सीचेवाल।

मान्यता है कि ब्यास नदी की सहायक काली बेई के तट पर स्थित सुल्तानपुर लोधी में गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के 14 साल नौ महीने 13 दिन का महत्वपूर्ण समय व्यतीत किया था। बाद में लोगों की लापरवाही के कारण इसका स्‍वरूप बिगड़ने लगा। समय के साथ साथ काली बेई में विभिन्न शहरों व गांवों के सीवरेज और फैक्‍टरियों का गंदा पानी तथा कचरा आदि इतना बढ़ गया कि यह बेई गंदे नाले में तब्‍दील हो गई और नदी सूख गई। करीब 93 गांवों की 50 हजार एकड़ जमीन पर सूखे की स्थिति रहने लगी।

देखें तस्‍वीरें: सेवा से बन गए मिसाल संत सीचेवाल

जुलाई 2000 में बाबा ने काली बेई को दोबारा जीवित करने का प्रण लिया और जन चेतना यात्रा आरंभ की तो श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। बेई में गिर रहे सीवरेज को रोकने के लिए बाबा के सेवादारों ने बिना किसी सरकारी मदद के गांव गांव में भूमिगत सीवर लाइन बिछाने का कार्य किया। श्रद्धालुओं ने इस नेक काम के लिए खुलकर दान दिया।

तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति डा. एपीजे अब्‍दुल कलाम के साथ संत सीचेवाल।

संत सीेचवाल के फार्मूले के अनुसार, सबसे पहले गंदे पानी को सुल्तानपुर लोधी के बाहर एक बड़े तालाब में इक्टठा किया जाता था। तालाब में जाने से पहले पानी को तीन अलग अलग गहराई के गड्ढ़ों से गुजारा जाता था। इसके बाद पानी दोबारा नदी में जाता था।

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देसी ढंग से बनाया गया यह सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट इतना कामयाब हुआ कि इसे देखने के लिए केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती के अलावा बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार, हरियाणा के मुख्य मंत्री मनोहर लाल और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस माडल को देख चुके हैं। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने  इस माडल को गंगा को स्‍वच्‍छ बनाने के लिए अपनाने का एलान किया।

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इस ट्रीटमेंट प्लाट से सीवरेज के गंदे पानी को साफ कर उसे नजदीकी खेतों की सिंचाई के लिए प्रयोग किया जाता है। इस प्रयोग से बंजर हो चुकी जमीन पर हरियाली लहराने लगी। काली बेई के किनारे बसे गांव अब खुशहाली के गीत गा रहे हैं। अक्टूबर 2008 में विश्व की प्रतिष्ठित पत्रिका 'टाइम' ने बाबा सीचेवाल को विश्व के प्रमुख पयार्वरण प्रहरियों की सूची में शामिल किया।

संत प्रसाद में देते हैं पौधा

बाबा सीचेवाल का प्रसाद भी अनूठा है। वह अपने यहां एक पौधा देते हैं और कहते हैं कि गुरु के प्रति सच्ची श्रद्धा का प्रमाण देना है तो हर व्यक्ति को पौधे लगा कर पर्यावरण संरक्षण में योगदान देना चाहिए। कार सेवा करते हुए संत सीचेवाल की वर्ष 2015 के आरंभ में उनकी टांग पांच जगह टूट गई लेकिन उन्होंने अपने कार्यों में ठहराव नहीं आने दिया।

केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने सुल्तानपुर लोधी का दीदार कर बाबे नानक की बेई को गंगा की सफाई के लिए 'गुरु स्थान' माना। उमा भारती ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड व छतीसगढ़ राज्यों के गंगा किनारे बसे गांवों की पंचायतों को सुल्तानपुर लोधी व गांव सीचेवाल में पर्यावरण संरक्षण और गंगा को कैसे साफ रखने का मंत्र लेने के लिए भी विशेष तौर पर भेजा। दिल्ली, हरियाणा व कई अन्य राज्यों के आईएएस अधिकारी भी सुल्तानपुर लोधी में संत सीचेवाल के माडल को देखने आते रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री उमा भारती के साथ संत सीचेवाल।

कृषि विभाग की रिपोर्ट अनुसार सुल्तानपुर लोधी क्षेत्र में भूजल स्तर डेढ़ मीटर ऊंचा हुआ है। यह कमाल बेई की कार सेवा से संभव हो सका। संत सीचेवाल हर साल पंजाब भर से आने वाली समाज सेवी संस्थाओं, पंचायतों व सेना के अधिकारियों, स्कूलों, कालेजों व यूथ कलबों को लगभग एक लाख पौधे मुफ्त वितरत करते है ताकि राज्य को हरा भरा बनाया जा सके।

सारा जीवन समाज सेवा में किया समर्पित

गांव सीचेवाल में 2 फरवरी 1962 को जन्मे संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने अपना सारा जीवन समाज सेवा के लिए समर्पित किया है। उन्होंने दोना इलाके की बड़े स्तर पर सड़कें बनाई। अपने गांव में स्कूल और कालेज खोले, जहां  गरीब बच्चों को बहुत ही कम फीसे ले कर शिक्षा दी जा रही है। दूसरे सूबों से आए मजदूरों के बच्चों को नानक का ननकाणा स्कूल में मुफ्त विद्या दी जा रही है। वह नशे से नौजवानों को बचाने के लिए हाकी, गतका, कुश्तियों और कबड्डी के खेल सहित विभिन्‍न आयोजन करवाते आ रहे हैं। संत सीचेवाल ने पंजाब में गंदे पानियों के खिलाफ लोक चेतना पैदा करके पर्यावरण समर्थक लहर खड़ी करे में बड़ी भूमिका निभाई है।


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