लॉकडाउन के दौरान आरसीएफ ने बना डाले 95 कोच
कोरोना से डर कर घरों में बैठने की बजाए आरसीएफ ने व लॉकडाउन के बावजूद ना सिर्फ रिकार्ड कोचों निर्माण किया है बल्कि पहली बार दो विशेष किस्म की एसएलआर वैन एवं अधिक क्षमता वाली नई एलबीपी वैन के नए डिजाइन तैयार किया है।
हरनेक सिंह जैनपुरी, कपूरथला : कोरोना से डर कर घरों में बैठने की बजाए आरसीएफ ने व लॉकडाउन के बावजूद ना सिर्फ रिकार्ड कोचों निर्माण किया है बल्कि पहली बार दो विशेष किस्म की एसएलआर वैन एवं अधिक क्षमता वाली नई एलबीपी वैन के नए डिजाइन तैयार किया है। आरसीएफ के अधिकारियों ने 43 कोचों के दो रैक नार्दन रेलवे के लिए रवाना कर दिया है। लॉकडाउन के बाद 23 अप्रैल को आरसीएफ में शुरू हुए कामकाज के पश्चात अभी तक विभिन्न प्रकार के 95 कोच तैयार किए जा चुका है।
आरसीएफ में इस समय 95 फीसद मैन पावर के साथ कोच निर्माण का कार्य किया जा रहा है। हाल ही में आरसीएफ की तरफ से एलएचबी थ्री टायर के 10 कोच, पैट्री कार के पांच कोच, जनरल क्लास के आठ एलएचबी कोच, दो पावर कार, आठ स्लीपर कोच तैयार करके नार्दन रेलवे को भेजा गया है।
आरसीएफ के वरिष्ठ जन संपर्क अधिकारी व जीएम के सेक्रेटरी बलदेव राज ने बताया कि आरसीएफ में पहली बार एसएलआर वैन तैयार की गई जिसे पावरकार व गार्ड के रूप के लिए संयुक्त तौर पर इस्तेमाल किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि पहले गार्ड कंपार्टमेंट के लिए अलग से कैबिन का लगता था। अब नई गाड़ियों में अलग से पावर कार लगाने की जरूरत नही रहेगी। पहले पावर के लिए इंजन लगा होता था लेकिन इसमें इंजन नही होगा बल्कि इसके लिए पावर लोकोमोटिव से ली जाएगी। इसके साथ ही उच्च क्षमता वाली एलबीपी पार्सल वैन भी बनाई गई है, जिसकी क्षमता पहले से कई फीसदी अधिक होगी।
आरसीएफ को मिला है 1937 कोच बनाने का टारगेट : जीएम
आरसीएफ कपूरथला के महाप्रबंधक रविन्द्र गुप्ता ने दैनिक जागरण को बताया कि आरसीएफ को इस बार 1937 कोच का टारेगट मिला है। उन्होंने बताया कि आरसीएफ के कर्मचारी व अधिकारी कोरोना महामारी के बावजूद नियमों का पालन करते हुए कोच निमार्ण में जुटे हैं। कर्मचारियों ने विषम स्थितियों में शानदार कार्य करते हुए लगभग 100 कोचों का निर्माण कर डाला है। उन्होंने बताया कि आरसीएफ में निर्मित कोचों की गुणवत्ता को उच्च प्राथमिकता दी जाती है। इसके अलावा डिजाइन में बदलाव कर गुणवत्ता के साथ साथ लागत को भी कम करने का प्रयास रहता है ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर के कोच तैयार किया जा सके।