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आज हमारे महलों में यह अंधेरी रात केसी है..

श्री प्रताप धर्म प्रचारिणी सभा रामलीला दशहरा कमेटी की ओर से दो वरदान नाटक का मंचन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 03 Oct 2019 06:03 PM (IST)Updated: Thu, 03 Oct 2019 06:03 PM (IST)
आज हमारे महलों में यह अंधेरी रात केसी है..

जागरण संवाददाता, कपूरथला। आज हमारे महलों में यह अंधेरी रात केसी है, बिछा है फर्श पर मातम यह बिगड़ी बात केसी है, यह उदगार महाराज दशरथ ने श्री प्रताप धर्म प्रचारिणी सभा रामलीला दशहरा कमेटी की ओर से रविवार शाम देवी तालाब और रात में शालीमार बाग में मंचित नाटक दो वरदान, राम बनवास नाटक में उस समय कहे जब रानी कैकेयी को पता चलता है कि प्रभु राम का राज्याभिषेक होने जा रहा है। उस समय रानी कैकेयी नाराज होकर कौप भवन में चली जाती है और महाराज दशरथ उसे मनाने के लिए वहां आते हैं। नाटक का उद्घाटन सीनीयर एडवोकेट व बार एसोसिएशन के साबका प्रधान हरचरन सिंह ने किया। इससे पहले महाराज दशरथ राज्यसभा में घोषणा करते हैं कि अब समय आ गया है, जब अयोध्या नगरी का राजपाट राम के हाथों में सौंपकर चिता मुक्त होना चाहता हूं। राजा के पद पर प्रभु श्री राम का नाम सुनते ही मंत्रिगण गदगद हो गए, लेकिन दशरथ के इस निर्णय की सूचना सुनकर मंथरा रानी कैकेयी से कहती है, अगर राम का राजतिलक हो गया, तो भरत कभी भी अयोध्या नरेश नहीं बन सकता और रानी कैकेयी को महाराज दशरथ पर उधार दो वरदान याद करवाती है। एक में प्रभू राम के लिए 14 वर्ष का बनवास और दूसरे वरदान में भरत के लिए राजतिलक का मांगने के लिए कहती है। इस अवसर पर सभा के अध्यक्ष विनोद कालिया, रजिदर वर्मा, सतीश शर्मा, गुलशन लुंबा, सुरिदर शर्मा, राजेश सूरी, कृष्ण लाल सराफ, देश बेरी, कमलजीत सिंह, दबिदर कालिया, बिशंवर दास ,मंगल सिंह, ऐडबोकेट पवन कालिया, अश्वनी सूद, हरबंत सिंह भंडारी, मोती लाल पुरी , भूपिदर सिंह,बरजिदर सिंह,बावा पंडित, ,बाबा गणेश वर्मा ,किशन दत्त शर्मा ,धर्मपाल तथा दर्जनों कलाकार उपस्थित थे।

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श्री राम के बनवास का दृश्य देख भाव विभोर हुए श्रोता

मंथरा की बात सुनते ही रानी कैकेयी दशरथ के पास जाकर दोनों वर मांगती है। राम के बनवास की बात सुनकर राजा दशरथ विचलित होकर कैकेयी को अपना वर वापस लेने की गुजारिश करते हैं,लेकिन कैकेयी उन्हें अपने दो वर पूरा करने के लिए रघुकुल रीत स्मरण करवाकर रजामंद कर लेती है और प्रभू राम माता और पिता के आदेश की पालना करते हुए छोटे भाई लक्ष्मण व अपनी भार्या सीता सहित बनवास चले जाते हैं, यह दृश्य देखकर भक्तजन भाव विभोर होकर प्रभू श्री राम के जयकारे लगाते हैं।


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