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कवियों ने रचनाएं पेश कर मोहा मन

हिंदू कन्या कालेज में आनलाइन अंतरराष्ट्रीय काब्य-गोष्ठी करवाई

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Sep 2021 06:54 PM (IST)Updated: Wed, 22 Sep 2021 06:54 PM (IST)
कवियों ने रचनाएं पेश कर मोहा मन
कवियों ने रचनाएं पेश कर मोहा मन

जागरण संवाददाता, कपूरथला : हिंदू कन्या कालेज के स्नातकोत्तर हिदी विभाग की ओर से हिंदू भाषा प्रोत्साहन सप्ताह के समापन पर आनलाइन अंतरराष्ट्रीय काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया। देश- विदेश से कवियों व कवयित्रियों ने कविता-पाठ के माध्यम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया ।

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कालेज प्राचार्या डॉ. अर्चना गर्ग ने गोष्ठी में उपस्थित कवियों व श्रोताओं का अभिनंदन किया। काव्य गोष्ठी में डा. जितेंद्र श्रीवास्तव (साहित्यकार एवं इग्नू के अंतरराष्ट्रीय प्रभाग के निदेशक, नई दिल्ली), डा. सुरेश चन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' (साहित्यकार एवं संपादक, नॉर्वे), डॉ. रश्मि खुराना (साहित्यकार), डा. गुरिदर गिल (सामाजिक कार्यकर्ता, लेखिका, कवयित्री, मलेशिया), नीरजा शुक्ला (कवयित्री एवं संपादिका कनाडा), डा. सुषमा गुप्ता (कवयित्री, हिदी अधिकारी दूरदर्शन केंद्र, जालंधर), डा. निर्मल जसवाल (कवयित्री, कहानीकार एवं अनुवादक, कनाडा), विन्नी जोशी कालिया और रामबाबू गौतम (वरिष्ठ कवि, न्यूजर्सी, अमेरिका) ने कविताओं पेश की।

जितेंद्र श्रीवास्तव ने सोनचिरैया नामक कविता के माध्यम से अपने भाव को अभिव्यक्ति दी। अपनी कविता द्वारा उन्होंने बांझपन के दर्द को बताया। डा. सुरेश चंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने 'गुंजन चिड़िया' कविता पेश की। दुनियां हादसों की आदी हो गई और सड़क पर सैकड़ों किलोमीटर की दूरी को पैदल तय करती कर रही मां, कविता पेश किया। डा. रश्मि खुराना ने रोज पूछता है जमाना, घर किसके जाना पंक्तियों के माध्यम से विसंगतियों की बात की । नीरजा शुक्ला ने बसंत का मौसम और जिदगी में जीवंतता के महत्व को दर्शाते हुए जीवन में तुम्हारा प्रेम मिले, मन उपवन कुसुमित हो जाए पंक्तियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया ।

विदेश में रह रहे युवाओं की विडंबनाओं पर लिखी कविता के माध्यम से उलझनों भरी जिदगी का •िाक्र विनी जोशी कालिया जी ने अपनी कविता में किया। उन्होंने बारिश के मौसम पर आधारित कविता पेश की। राम बाबू गौतम ने भारतीय संस्कृति को समर्पित अपनी कविता पथ जो मैंने चुन लिया है जीवन जितना बुन लिया है और आन बान शान मेरी मातृ भाषा हिदी है पंक्तियों से अपने मन के भावों को दर्शाया ।

डा. सुषमा गुप्ता जी ने रिश्ते कविता के द्वारा से आज के भौतिकतावादी वातावरण में रिश्तों की वास्तविकता को सामने लाने का प्रयास किया। डा. निर्मल जसवाल जी ने नारी की स्वाभिमान पर अपनी कविता पेश करते हुए तेरे तक ना पहुंच पाई...उदंड होना तुझे नहीं मुझे भी आता है के द्वारा आत्मसम्मान की बात की। कार्यक्रम में डॉ. गुरिदर गिल जी की कविता के कुछ बोल आडियो के माध्यम से प्रस्तुत किए गए। हिदी विभागाध्यक्ष डा कुलविदर कौर ने मेरे शहर का मौसम बदल रहा है शीर्षक पर आधारित एक कविता पेश की। गोष्ठी में उपस्थित प्रतिभागियों, कालेज के प्राध्यापक वर्ग और विद्यार्थियों के अतिरिक्त देश के अलग-अलग जगहों जुड़े श्रोताओं ने काव्य-गोष्ठी का आनंद उठाया। संचालन की भूमिका डा. कुलविंदर कौर, अध्यक्ष हिन्दी विभाग ने निभाई।


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