कब्जों में घिरा 'शहीद', बेबसी में माता पिता
यह कैसी शहादत है। कब्जों के बीच घिरा शहीद और बेबसी में माता-पिता। यह हालात हैं कपूरथला के जलौखाना चौक स्थित कारिगल शहीद डिप्टी कमांडर म¨हदर राज के बुत का। जहां बुत पर पक्षी बैठते हैं और प्रितमा के इर्द-गिर्द कब्जों की भरमार है।
नरेश कद, कपूरथला : यह कैसी शहादत है। कब्जों के बीच घिरा शहीद और बेबसी में माता-पिता। यह हालात हैं कपूरथला के जलौखाना चौक स्थित कारगिल शहीद डिप्टी कमांडर म¨हदर राज के बुत का। जहां बुत पर पक्षी बैठते हैं और प्रतिमा के इर्द-गिर्द कब्जों की भरमार है। शहीद की प्रतिमा के बिल्कुल सामने जहां दस रुपये गिला गन्न्े का जूस बिक रहा है, वहीं आसपास सिर्दयों में हाथ सेंकने के लिए लकिड़यां के अंबार लगे हैं। अब ऐसे में नई पीढ़ी को शहीदों की शहादत के बारे में क्या बताया जाएगा। जहां पर शहीद की शहादत के बुत के नीचे व्यापार चल रहा है। यह बस कुछ शहीद का बुत देखकर जहां अपनी आंखें नम करते हुए, बस यहीं सोचता होगा कि इनके लिए दी मैंने शहादत, जिन्हें मेरी बिल्कुल याद तक नहीं। मेरी प्रतिमा पर अपनों ने ही कब्जा जमा लिया।
जब दैनिक जागरण की टीम ने डिप्टी कमांडर म¨हदर राज की प्रतिमा को कब्जों में घिरा देखा तो वहा पर स्थित मजदूर सेल पंजाब के अध्यक्ष अश्विनी शारदा से बातचीत की गई। उन्होंनें बताया कि इस प्रतिमा को हम नमन करते है। जिसनें देश के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी। उसकी माता कमल, पिता मोहन लाल व शहर निवासियों की बड़ी जद्दोजहद के बाद सात वर्ष पहले डीसी वीके ¨सह ने प्रतिमा लगाने के आदेश दिए थे। उन्होंने अपने बेटे की प्रतिमा अपने पूरे खर्च पर जलौखाना चोक में लगाई थी। अपने बेटे की प्रतिमा की जिम्मेदारी भी उन्होंने खुद अपने कंधों पर उठाई थी। बीमार हैं शहीद के माता- पिता
लेकिन कुछ महीने से दोनो पति-पत्नी बीमारी के चलते गुरदासपुर में अपनी बेटी के पास रह रहे है। जब से वे गए है और उनके बेटे की प्रतिमा पर लोगों ने कब्जा जमा लिया है। जब इस बारे में डिप्टी कमांडर के माता पिता से बात की गई तो उन्होंने अपनी बेबसी बताते हुए रुखे गले से बताया कि जब हम कपूरथला वापस आएंगें तो अपने बेटे की प्रतिमा को किसी संस्था को जिम्मेदारी देगें, जो उसकी अच्छे से देखभाल कर पाए। माता कमल ने शहर निवासियों व प्रशासन से भी अपील की है कि जिसने देश के लोगों की रक्षा के लिए अपनी जान न्यौछावर की है उसकी प्रतिमा की देखभाल करने की जिम्मेदारी भी उन्ही लोगों की है।