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गुरु नानक देव जी से जुड़े रबाबसर अस्थान से निकाला नगर कीर्तन

संवाद सहयोगी, सुल्तानपुर लोधी : श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व को समर्पित दूसरा महान नगर कीर्तन बोले सो निहाल जयकारों की गूंज में गुरुद्वारा रबाबसर से सुल्तानपुर लोधी पहुंचा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 05:36 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 06:02 PM (IST)
गुरु नानक देव जी से जुड़े रबाबसर अस्थान से निकाला नगर कीर्तन
गुरु नानक देव जी से जुड़े रबाबसर अस्थान से निकाला नगर कीर्तन

संवाद सहयोगी, सुल्तानपुर लोधी : श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व को समर्पित दूसरा महान नगर कीर्तन बोले सो निहाल जयकारों की गूंज में गुरुद्वारा रबाबसर से सुल्तानपुर लोधी पहुंचा। फूलों के साथ ¨शगारी पालकी में बिराजमान श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की छत्रछाया एवं पांच प्यारों के नेतृत्व में मंड इलाके से गुजरता हुए यह नगर कीर्तन आलौकिक नजारा पेश कर रहा था। खेतों में अनाज बीजते और पराली संभालते किसान भी बढ़-चढ़ कर पहुंचे। इस नगर कीर्तन के रास्ते में पड़ते गांव में स्वागत के लिए विशेष तौर पर गेट बनाए गए थे। गौरतलब है कि गांव भरोयाणा में गुरुद्वारा रबाबसर वह स्थान है जहा भाई मर्दाने को रबाब भेंट किया गया था। संत अवतार ¨सह यादगारी गतका अखाड़ा के जुझारू ¨सह व ¨सघणियों ने गतके के जौहर दिखा कर संगतों को निहाल कर रहे थे। पालकी साहिब आगे मनीला से आई संगत फूलों की बेअंत वर्षा कर रही थी। यह नजारा देख हर गुरसिख का मना खुश हो रहा था। नगर कीर्तन दौरान किए गए पड़ावों के दौरान वातावरण प्रेमी संत बलबीर ¨सह सीचेवाल ने मंड इलाके के किसानों का धन्यवाद करते कहा कि इस बार उन्होंने पराली को आग नहीं लगा कर गुरु नानक देव जी के दिए उपदेशों पर चलने का प्रयास किया है।

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विभिन्न गांव से होता हुआ नगर कीर्तन जब सुल्तानपुर लोधी के गुरुद्वारा बेर साहिब पहुंचा तो वहा शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से श्री गुरु ग्रंथ साहिब व पांच प्यारों का मान सम्मान करने के बाद नगर कीर्तन में उपस्थित धार्मिक शख्सियतों का भी सम्मान किया गया। नगर कीर्तन में चल रही गुरु संगतों के लिए लंगर के विशेष प्रबंध किए गए थे व गांव में भी लोगों ने फल और चाय पकौड़ों का लंगर लगाया हुआ था। गुरुद्वारा बेर साहिब के हेड ग्रंथी भाई सुरजीत ¨सह सभरा ने संगतों को संबोधन करते कहा कि श्री गुरु नानक देव जी की ओर से दिए गए नाम जपना, वंड छकना और किरत करने ऐसे उपदेश थे जिसके साथ इकल्ला मनुष्य नही बल्कि संसार का भला किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सिख धर्म में सेवा व लंगर की प्रथा ने दुनिया में इसकी अलग पहचान बनाई है। इस मौके बाबा घोला ¨सह, जत्थेदार बल¨वन्द्र ¨सह, संत सुखजीत ¨सह, सुरजीत ¨सह शंटी, बल¨वन्द्र ¨सह संधु, म¨हन्द्र ¨सह बोपाराये, सतनाम ¨सह, जोगा ¨सह, राजवंत कोर व बडी मात्रा में संगतें, सेवादार व संत अवतार ¨सह यादगारी स्कूल व कालेज के विद्यार्थी उपस्थित थे।


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