13 फरवरी से पहले हो सकते हैं नगर निगम चुनाव, 50 वार्डो में होगा तिकोना मुकाबला
पंजाब सरकार ने नगर निगम नगर कौंसिल व नगर पंचायत के चुनाव 13 फरवरी से पहले करवाने की अधिसूचना जारी कर दी है। नगर निगम फगवाड़ा के 50 वार्डो के लिए चुनाव इस बार बेहद रोचक होंगे।
अमित ओहरी, फगवाड़ा : पंजाब सरकार ने नगर निगम, नगर कौंसिल व नगर पंचायत के चुनाव 13 फरवरी से पहले करवाने की अधिसूचना जारी कर दी है। नगर निगम फगवाड़ा के 50 वार्डो के लिए चुनाव इस बार बेहद रोचक होंगे। अब तक गठबंधन में चुनाव लड़ते आए अकाली दल और भाजपा इस बार अपने उम्मीदवार चुनावी मैदान में अलग-अलग उतारेगी। इस बार मुकाबला तिकोणीय तो तय है ही, कुछ वार्डो में आजाद उम्मीदवारों के उतरने के बाद मुकाबला रोचक होगा। अभी तक आम आदमी पार्टी ने इस बारे में सरगर्मी नहीं दिखाई है। शहर में अब तक के हालात ये हैं कि फिलहाल भाजपा और अकाली दल बादल का आपसी गठबंधन टूट जाने से दोनों पार्टिया कुछ कमजोर अवश्य हुई है और दोनो पार्टियां साफ छवि वाले उम्मीदवारों को चुनाव में उतारने के लिए जुटी हुई है।
इस बीच विधायक बलविंदर सिंह धालीवाल नगर निगम चुनावों की तैयारियों में पूरे जोरों-शोरों से जुटे हुए हैं और उनके नेतृत्व में कांग्रेस मजबूत भी नजर आ रही है। वहीं काग्रेस दिग्गज ब्लाक कांग्रेस प्रधान संजीव बुग्गा, सीनियर कांग्रेस नेता पदमदेव सुधीर निक्का, जतिंदर वरमानी, मनीष प्रभाकर, पूर्व नगर कौंसिल प्रधान मलकीयत सिंह रघबोत्रा, दर्शन लाल धर्मशोत, तरणजीत सिंह वालिया बंटी तो ऐसे दावेदार हैं, जिनकी टिकट तो हर बार की तरह इस बार भी पक्की नजर आ रही है।
इस बार चुनाव लड़ने के इच्छुक काग्रेस नेता अपने पसंदीदा वार्डो में कई हफ्तों से काम करवा रहे हैं। काग्रेस ने अनौपचारिक तौर पर सभी वार्डो में लगभग अपने उम्मीदवारों की सूची तैयार कर ली है। वहीं शिअद व भाजपा सहित बसपा भी 13 फरवरी से पहले संभावित निगम चुनावों की तैयारियों में जुट गई है और अपने-अपने उम्मीदवारों की सूची बनाने में लगी हुई है। निगम चुनावों को लेकर टिकट लेने के इच्छुक सभी राजनीतिक पार्टियों के नेता अपने-अपने वार्डो में सरगर्म है और लोगों से मेल जोल बढ़ा रहे है।
नई वार्डबंदी ने दिग्गजों ने खड़ी की नई चुनौती
उधर, अगर सबकुछ ठीक ठाक रहा और नई वार्डबंदी के मुताबिक चुनाव हुए तो अकाली व भाजपा के कई दिग्गज नेताओं के अपने अपने वार्डो से चुनाव लड़ना नामुमकिन हो जाएगा और उन्हें दूसरों वार्डो से चुनाव लड़ने की योजना बनानी होगी या फिर जिन वार्डो से वह चुनाव लड़ते हैं वहां वार्डबंदी के मुताबिक या तो अपने परिवार से किसी को उम्मीदवार बनाना होगा या फिर आरक्षित सीट के मुताबिक अपने किसी करीबी को चुनावी मैदान में उतारना होगा। इनमें पूर्व मेयर अरुण खोसला का वार्ड महिला आरक्षित कर दिया गया है। पूर्व नगर कौंसिल प्रधान बलभद्रसेन दुग्गल का वार्ड इस बार भी महिला आरक्षित है। फगवाड़ा भाजपा के प्रधान परमजीत सिंह पम्मा की धर्मपत्नी मनदीप कौर जिस वार्ड से पार्षद बनी थी उस वार्ड को अब एससी वर्ग के लिए आरक्षित कर दिया गया है। वहीं शिअद से पूर्व डिप्टी मेयर रणजीत सिंह खुराना का वार्ड पिछड़ी श्रेणियों के लिए आरक्षित कर दिया गया है। सीनियर अकाली नेता सतनाम सिंह अर्शी का वार्ड महिला आरक्षित कर दिया गया है व अकाली नेता प्रितपाल सिंह मंगा की पत्नी पुष्पिंदर कौर के वार्ड को एससी वर्ग के लिए आरक्षित कर दिया गया है।
चुनाव नजदीक आते अब माद से निकलने लगे नए-नए नेता
चुनाव की तारीख नजदीक आते ही नए-नए नेताजी नजर आने लगे हैं। जैसे लग रहा है कि अभी तक वह माद में छिपे हुए थे और अब अचानक निकलने लगे हैं। चार सालों तक वे कहां रहे, यह पता ही नहीं चला लेकिन अब निगम चुनाव के अंतिम दिनों में उनकी सक्रियता बढ़ गई है। अब न केवल वह अखबार के दफ्तरों के चक्कर लगाने लगे हैं बल्कि पार्टी में अपनी सक्रियता दिखाने के लिए लगातार सार्वजनिक कार्यक्रम भी कर रहे हैं। छोटा कार्यक्रम भी हो तो उसके प्रचार-प्रसार में पूरी शिद्दत से जुट रहे हैं।
गलियों में पोस्टर व इंटरनेट मीडिया पर सक्रिय हुए मौसमी नेता
इलाके में जगह-जगह नए-नए नेता के पोस्टर नजर आने लगे हैं। एक नेता का कहना है कि अंतिम समय की सक्रियता ही मायने रखती है। चार सालों में इलाके में क्या किया? इसे कोई याद नहीं रखता लेकिन चुनाव से पहले के अंतिम महीनों में क्या-क्या हो रहा है और क्या दीख रहा है इसे लोग याद रखते हैं। इस वजह से जगह-जगह पोस्टर लगाने के साथ ही अखबारों में नाम आना बहुत जरूरी है। इसी कारण वह दिन रात एक करके न केवल कार्यक्रम कर रहे हैं बल्कि अपनी पकड़ व क्षेत्र के लोगों के बीच पैठ दिखाने के लिए भीड़ भी इकट्ठी करते हैं। वह कहते हैं कि यह अंतिम दिनों की सक्रियता ही टिकट दिलवाने में अहम भूमिका अदा करेगी। कई तो ऐसे भी हवाई नेता हैं जो सिर्फ पोस्टबाजी व सोशल मीडिया में सक्रियता दिखाकर ही बड़े नेताओं को खुश करने में जुटे हुए हैं। हालाकि एक नेता कहते हैं कि नए-नए लोग चाहे जितनी कवायद कर लें टिकट तो उसी को मिलेगी जिसके ऊपर आका का हाथ होगा।