बाहर निकल रहे लोग, फिजिकल डिस्टेंसिंग का नहीं कर रहे पालन
कोरोना वायरस से बचाव में नए-नए समाजसेवी अड़चन बनने लगे हैं।
हरनेक सिंह जैनपुरी, कपूरथला: कोरोना वायरस से बचाव में नए-नए समाजसेवी अड़चन बनने लगे हैं। कोई खाना तो कोई दो-चार लिफाफे की किटें बांटने के बहाने बाहर निकल रहा है, जिससे कर्फ्यू का उल्लंघन हो रहा है। वहीं बना हुआ लंगर लेने की होड़ में लोगों की भीड़ जुटने लगी है। जिससे कोरोना वायरस से बचाव में सोशल डिस्टेंसिग मजाक बना चुका है। इसमें जहां जिला प्रशासन की ढिलाई ऐसे लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है, वहीं कर्फ्यू व लॉकडाउन भी प्रभावित हो रहा है। ऐसी लापरवाही कहीं अब तक बचे जिला कपूरथला के कोरोना संक्रमण को दावत साबित न हो जाए। हालांकि ऐसे लोगों से निपटने के लिए जिला प्रशासन सख्ती का मूड अख्तियार कर चुका है।
23 मार्च से शुरू हुए कर्फ्यू के बाद से तो गरीबों की मदद के लिए समाजसेवी संस्थाएं आगे आई। इसमें सही मायनों में लोगों की मदद करने वाली संस्थाएं बहुत ज्यादा थी, लेकिन इसके लिए 31 मार्च तक राशन व लंगर वितरित करने के लिए धड़ाधड़ कर्फ्यू में मूवमेंट के लिए पास जिला प्रशासन की तरफ से जारी होते रहे। इनमें घर पर बैठने वालों ने तो कुछ लोगों को साथ लेकर घर से बाहर निकलने के लिए गरीबों की मदद की आड़ लेनी शुरू कर दी। इससे चार-पांच किट लेकर लोग कार में सवार होकर गरीबों को ढूंढने के लिए घूमने लगे। वहीं कई तो लंगर तैयार कर बांटना शुरू हो गए, जिससे धारा-144 का उल्लंघन के साथ सोशल डिस्टेंसिग का पालन भी दरकिनार होने लगा। अब 31 मार्च तक जारी हुए पास खुद-ब-खुद निरस्त हो गए, जिला प्रशासन ने नए पास जारी करने में सख्ती बरतनी शुरू कर दी है।
अब 200-300 लोगों को सोशल डिस्टेंसिग का अनुपालन करके राशन व लंगर वितरित करने का आश्वासन देने वालों को ही पास जारी हो सकेंगे। डॉ. अंबेडकर मिशन सोसायटी के प्रधान गुरमुख सिंह ढोड ने कहा कि यदि कोई सही मायनों में गरीबों की मदद करना चाहता है तो वह सूखा राशन खुद बांटने की बजाय जिला प्रशासन या रेडक्रास सोसायटी के सुपुर्द कर दें जिससे लोगों का हुजूम इकट्ठा न हो और सामाजिक दूरी भी बरकरार रहे।
उधर कुछ लोगों को जिला प्रशासन व रेडक्रास सोसाइटी पर ही विश्वास नही है, जिससे वह लोग खुद आगे आकर राशन वितरित करना चाहते है लेकिन सोशल डिस्टेंस का उल्लघन भी कर रहे है। इस संबंध में डीएम-कम-डीसी दीप्ति उप्पल का कहना कि ऐसे लोगों से निपटने के लिए जिला प्रशासन विचार कर रहा है ताकि सही लोगों तक ही राशन पहुंच सके और सोशल डिस्टेंस भी बना रह सके।