किसानों के सड़े आलू, बारिश से सूखने लगी गेहूं की फसल
कपूरथला। बुधवार रात से आरंभ हुई बारिश वीरवार को भी जारी रही जिससे शहरों व गांवों के निचले स्थानों पर पानी भर गया। सुल्तानपुर लोधी के कुछ गांवों में ओले भी गिरे लेकिन यह बारिश किसानों पर मुसीबत बन कर टूटी है। बरसात के कारण आलू की फसल तो अब सड़ने लगी है। इस बारिश से पहले ही गीले खेतों में एक बार फिर से पानी भर गया है।
जागरण संवाददाता, कपूरथला। बुधवार रात से आरंभ हुई बारिश वीरवार को भी जारी रही, जिससे शहरों व गांवों के निचले स्थानों पर पानी भर गया। सुल्तानपुर लोधी के कुछ गांवों में ओले भी गिरे, लेकिन यह बारिश किसानों पर मुसीबत बन कर टूटी है। बरसात के कारण आलू की फसल तो अब सड़ने लगी है। इस बारिश से पहले ही गीले खेतों में एक बार फिर से पानी भर गया है। पिछले करीब एक माह से लगातार हो रही बारिश की वजह से अब तो कनक की फसल भी पीली पड़ने लगी है। आलू की फसल भी नष्ट हो रही है। बारिश के चलते अभी ओर कुछ दिन पुटाई नहीं हो सकेगी, जिससे आलू की लगभग आधी फसल खेतों में ही गल व सड़ रही है।
बारिश से मैरीपुर, जार्जपुर, मुरादपुर, काहना, मिठड़ा आदि बेट वाले गांवों की जमीनों में काफी पानी भर गया है। मोठावाल, सिधवा दोना आदि इलाके में आलू के खेतों में भी पानी जमा रहता है। बारिश ने आलू की तैयार फसल को बर्बाद कर दिया है। इसके अलावा मटर व खीरे की खेती करने वालों को नुकसान झेलना पड़ा है। आलू की फसल को कितना नुकसान पहुंचा है, अभी तक इसकी रिपोर्ट हार्टिकल्चर विभाग के किसानों के पास नहीं पहुंची है। पंजाब में 1.03 लाख हेक्टेयर भूमि में आलू की फसल की जा रही है। इसमें 25-27 लाख मीट्रिक टन आलू का उत्पादन है। जालंधर, होशियारपुर व कपूरथला जिला आलू के मुख्य उत्पादक हैं। आलू की फसल खेतों में बिल्कुल तैयार खड़ी है। बारिश ने बची हुई आलू की सारी फसल खराब हो जाएगी। रेतली मिट्टी में पानी जल्द सूख जाता है। पक्की मिट्टी में पानी सूखने में समय लेता है और आलू जमीन के बाहर निकलकर सड़ जाते हैं।
किसान जितनी जल्दी खेत से पानी निकालेंगे, उनका उतना ही कम नुकसान होगा।
कृषि विभाग का कहना है कि मौसम की मार से आलू की फसल को भारी नुकसान हुआ है। पहले ही बारिश ने आलू को बर्बादी के कगार पर पहुंचा दिया है। अगर अब फिर से जालंधर, होशियारपुर व कपूरथला में भारी बारिश हुई तो आलू की फसल को बड़े स्तर पर नुकसान होगा। हाल ही में हुई बारिश ने टमाटर, खीरा व मटर की अगेती खेती को नुकसान पहुंचाया है। इलाके में आलू व मटर की फसल को प्रभावित किया है। किसानों को खेतों में खड़ा पानी निकाल कर फसल को बचाने की सलाह दी है। इन किसानों को खीरा, टमाटर व मटर की दोबारा बिजाई करनी पड़ेगी।
फसल पर खर्च भी अधिक आता है
बारिश की वजह से खेतों में पानी खड़ा है। पानी खड़ा होने की वजह से आलू जमीन से बाहर आ जाते हैं और खराब हो सकते हैं। इस वजह से आलू का पहले ही आढ़ती सही दाम नहीं देते हैं। बारिश की वजह से लागत भी किसानों के हाथों से चली जाएगी।
केवीके के निर्देशक डॉ. जुगराज ¨सह का कहना है कि बरसात से निचले क्षेत्रों की फसलों को नुकसान हो सकता है क्योकि कनक की फसल पानी में ज्यादा देर टिक नही सकती। अगर कुछ दिन ओर पानी खड़ा रहा तो आलु व कनक की दोनों फसलों को नुकसान पहुंच सकता है।