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सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआइ के दो एजीएम सहित तीन की जमानत याचिका की खारिज

जाली दस्तावेज तैयार कर एकम एम्पेक्स के साथ सात करोड़ रुपये की जालसाजी मामले के आरोपी स्टेट बैंक आफ इंडिया के दो एजीएम एवं एक ब्रांच मैनेजर की जमानत याचिका सुर्पीम कोर्ट ने रद कर दी है। हाई कोर्ट पहले ही दो बार इनकी जमानत रद कर चुकी है। यह सभी अधिकारी ड्यूटी पर जा रहे है लेकिन गैर जमानती वारंट जारी होने के बावजूद ना तो पुलिस इन्हें गिरफतार कर रही है, ना ही आरबीआई और ना ही रिर्जव बैंक आरोपी अधिकारियों खिलाफ कोई कारवाई कर रही है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Sep 2018 09:12 PM (IST)Updated: Thu, 13 Sep 2018 09:12 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआइ के दो एजीएम सहित तीन की जमानत याचिका की खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआइ के दो एजीएम सहित तीन की जमानत याचिका की खारिज

जागरण संवाददाता, कपूरथला : फर्जी दस्तावेज तैयार कर एकम एम्पेक्स के साथ सात करोड़ रुपये की ठगी के मामले के आरोपित स्टेट बैंक आफ इंडिया के दो एजीएम एवं एक ब्रांच मैनेजर की जमानत याचिका सुप्रिम कोर्ट ने रद कर दी है। हाई कोर्ट पहले ही दो बार इनकी जमानत रद कर चुकी है। यह सभी अधिकारी ड्यूटी पर जा रहे हैं लेकिन गैर जमानती वारंट जारी होने के बावजूद ना तो पुलिस इन्हें गिरफ्तार कर रही है, ना ही आरबीआई और ना ही रिर्जव बैंक आरोपी अधिकारियों खिलाफ कोई कारवाई कर रही है।

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स्टेट बैक आफ इंडिया के एजीएम विपन नेगी, एजीएम अदिति वालिया एवं एसबीआई मुम्मई के ब्रांच मैनेजर धर्मेद्र तिवाड़ी की ओर से गिरफ्तारी से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी जिसे जस्टिस राजन गोगाई, जस्टिस नवीन सिन्हा एवं जस्टिस केएम जोसफ की तीन सदस्य बैंच ने 11 सितंबर को बिना सुने ही रिजेक्ट कर दिया। इस मामले में राजीव ¨सघवी की याचिका अभी पेंडिंग है। इससे पहले पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा 1 जून को इन सभी की अग्रिम जमानत याचिका रद कर दी थी।

उल्लेखनीय है कि फर्जी दस्तावेज तैयार कर एकम एम्पेक्स कपूरथला के साथ सात करोड़ रुपये की ठगी मारने के मामले में क्राइम ब्रांच द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट थाना सिटी पुलिस की ओर से मार्च माह दौरान सीजीएम कोर्ट में पेश की गई थी जिसमें विभिन्न बैंकों के कई अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई थी। एडीजीपी क्राइम की निगरानी में हुई इस जांच पश्चात पुलिस ने स्टेट बैंक आफ इंडिया सेक्टर 17 बी चंडीगढ़ के एजीएम विपन नेगी, एजीएम अदिति वालिया, एजीएम गरिमा प्रीतम समेत एसबीआइ के पांच वरिष्ठ अधिकारियों के अतरिक्त कोटिक महिद्रा बैंक के तीन अधिकारियों एवं एक्सिस बैंक के एक सेल्स मैनेजर खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया था लेकिन कोई भी आरोपी कोर्ट में पेश नही हुआ। क्राइम ब्रांच की जांच में स्टेट बैंक आफ इंडिया के एजीएम विपन नेगी, एजीएम अदिति वालिया, एजीएम गरिमा प्रीतम, ब्रांच मैनेजर धर्मेद्र तिवाड़ी व मैनेजर सोनल गुप्ता के अलावा कोटिक म¨हद्रा बैंक के तीन कर्मचारियों में सेलज मैनेजर दीपक बजाज, क्रेडिट मैनेजर नवल किशोर, डायरेकट सेलज एजेंट गु¨रदर बाजवा तथा एक्सिस बैंक के सेलज मैनेजर अजय कुमार गौतम, चाटर्ड अकाउंटेंट राजीव ¨सह के अलावा चार अन्य लोगों खिलाफ 18 मई को कोर्ट में चालान पेश किए गए थे। एकम एंपेक्स के साथ साथ स्टेट बैंक आफ इंडिया साथ हुई करोड़ों रुपये की इस ठगी में फर्म के एक पार्टनर व उसके परिवार खिलाफ पहले भी धोखाधड़ी का केस दर्ज हो चुका है जबकि उक्त बैंक अधिकारियों की मिलीभगत जांच के बाद सामने आई है।

बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से बदल दिया था मोड आफ आपरेशन

इस संबंध में कपूरथला के लोयर माल निवासी फर्म की पार्टनर सोनिया बावा की तरफ से फर्म के दूसरे पार्टनर खिलाफ जालसाजी का आरोप लगाते हुए आला पुलिस अधिकारियों पास 2014 में शिकायत की थी। इस पर कारवाई करते हुए पुलिस ने फर्म के पाटर्नर सुख¨वदर ¨सह एवं उसके परिवारक सदस्यों खिलाफ मई 2014 को थाना सिटी कपूरथला में जालसाजी का मुकदमा दर्ज किया था पंरतु सुख¨वदर ¨सह व उसका परिवार कभी भी पुलिस के सामने अपना पक्ष रखने के लिए पेश नही हुआ। कोर्ट ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया। इसके बाद क्राइम ब्रांच द्वारा पूरे मामले की गंहराई से जांच की गई तो सामने आया कि इस पूरी जालसाजी में भारतीय स्टेट बैंक के कई उच्च अधिकारियों के अलावा अन्य बैंकों के मुलाजिम व सीए भी शामिल है। जिक्रे खास है कि एकम एम्पेकस की पार्टनरशिप डीड में यह साफ तौर पर लिखा है कि अगर फर्म किसी बैंक से डील करेगी तो उस वक्त सभी दस्तावेजों पर दोनों पार्टनर के दस्तखत होगे लेकिन सुख¨वदर ¨सह ने बैंक अधिकारियों से मिल कर मोड आफ आपरोशन बदल दिया, जिसमें उसने यह लिख लिया कि बैंक के साथ कोई डीलिंग करनी हो तो दोनों पार्टनर इक्टठे या अकेले भी दस्तख्त कर सकते हैं।

इस पूरे मामले की जांच डीजीपी पंजाब की निगरानी में क्राइम ब्रांच मोहाली द्वारा की गई और जाली दस्तावेज फारेंसिक लैंब में भेजे गए। रिपोर्ट में पाया गया कि दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ की गई है।


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