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फिजाओं में नासिर की यादें, मकबरा हो रहा अनासिर में विलीन

शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में पंजाब एक अहम मुकाम रखता है और संगीत के हर दौर में कपूरथला रियासत व घराणे की हमेशा बढ़ी भूमिका रही है। कुंवर विक्रम ¨सह एंव राजा दलजीत ¨सह की रहनुमाई में कपूरथला क्लासिकल संगीत में लंबे समय तक देश का एक मुख्य केंद्र रहा है। पुरातन संगीत के निशान आज भी कपूरथला की सरजमी पर मौजूद है लेकिन सरकारी उदासीनता के चलते उनकी हालत बेहद खस्ता हो चुकी है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 02:05 AM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 02:05 AM (IST)
फिजाओं में नासिर की यादें, मकबरा हो रहा अनासिर में विलीन
फिजाओं में नासिर की यादें, मकबरा हो रहा अनासिर में विलीन

हरनेक ¨सह जैनपुरी, कपूरथला : शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में पंजाब एक अहम मुकाम रखता है और संगीत के हर दौर में कपूरथला रियासत व घराने की हमेशा बढ़ी भूमिका रही है। कुंवर विक्रम ¨सह व राजा दलजीत ¨सह की रहनुमाई में कपूरथला क्लासिकल संगीत में लंबे समय तक देश का एक मुख्य केंद्र रहा है। पुरातन संगीत के निशान आज भी कपूरथला की सरजमी पर मौजूद है, लेकिन सरकारी उदासीनता के चलते उनकी हालत बेहद खस्ता हो चुकी है।

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मुगल शासक बहादुर शाह जफर के दरबारी व सुप्रसिद्ध ध्रुपद संगीतकार मीर नासिर अहमद का कपूरथला रियासत से बेहद करीबी रिश्ता रहा है, लेकिन मीर नासिर की यादों को संजोए रखने के लिए स्थानीय बाबा पीर चौधरी की दरगाह के पास बना मकबरा अब ढहने की स्थित में पहुंच चुका है। इस मकबरे की हालत बेहद खस्ता हो चुकी है। इसका अधिकांश हिस्सा गिरने की कगार पर पहुंच चुका है। संगीत सम्राट तानसेन के सेतिया बीकानेर घराने से संबंधित मीर नासिर अहमद का इस मकबरे की ऐतिहासिक इमारत की मरम्मत के लिए वक्फ बोर्ड सहमति दे चुके है, लेकिन इसके जीर्णोद्धार की तरफ न तो सरकार और न ही जिला प्रशासन की तरफ से कोई ध्यान नही दिया जा रहा है। इसका मरम्मत कार्य पुरातत्व विभाग को सौंपने की बातें भी चली लेकिन सालों से ये प्रवान नहीं चढ़ सकी है। इस वजह से महान संगीतकार के मकबरा का आस्तित्व मिटने की कगार पर पहुंच गया है।

उल्लेखनीय है कि पंजाब में धुरुपद गायकी के तलवंडी, हरियाणा, शाम चौरासी एंव कपूरथला चार प्रमुख घराने माने जाते हैं। उस जमाने में कपूरथला घराना धुरुपद संगीत में बहुत विख्यात था। अत्ता मोहम्मद, भाई लाल एंव गुलाम हुसैन शगन इस घराने के बहुत ही नामवर फनकार रहे है। अत्ता मोहम्मद बन्ने खां नागलीवाले के शार्गिद थे। उनका लड़का भाई लाल मियां महबूब अली का शार्गिद था और वह कुंवर विक्रम ¨सह का दरबारी संगीतकार था तथा मीर रहमत अली का शार्गिद था।

इस वक्त पंजाब का एक अन्य रिश्ता बीकानेर घराने के संगीत सम्राट तानसेन के साथ भी जुड़ गया। तानसेन की लड़की का विवाह सेतिया बीकानेर घराने के राजा मिसरी चंद के साथ हुआ, जबकि उनके शार्गिद मियां फिरोज खां अदरंग की पोती का विवाह मियां नासिर अहमद के साथ हुआ था। मीर नासिर अहमद उस समय बहादुर शाह जफर के दरबार में अपने संगीत का जादू बिखेरा करते थे। उन दिनों अंग्रेजों द्वारा भारत में अपनी पकड़ मजबूत की जा रही थी।

अंग्रेज शासकों द्वारा बहादुर शाह जफर एवं उसके साथी मंत्रियों को नजरबंद किया गया तो उनके साथ मीर नासिर को भी शाही दरबार की प्रतीक पगड़ी बांधने के कारण बंदी बना लिया तथा उसे देश निकाला देने की घोषणा कर दी। कपूरथला रियासत के कुंवर विक्रम ¨सह जिनके अंग्रेजों से काफी अच्छे संबंध थे, उन्होंने अपने प्रभाव द्वारा मीर नासिर को अंग्रेजों से छुड़वा लिया। इसके उपरांत कुंवर विक्रम ¨सह उन्हें कपूरथला ले आए और यहां मीर नासिर के संगीत की मीठी-मीठी लहरें काफी समय तक फिजाओं को महकाती रही। मीर नासिर ने अपनी बाकी ¨जदगी कपूरथला में ही गुजारी। उनके दो बेटे मीर कलन एंव मीर रहमत अली भी अपने पिता की तरह विख्यात संगीतकार हुए है। मीर नासिर के दोनों बेटों की समाधि भी इसी मकबरे में है। इस प्रकार बेहद प्राचीन व ऐतिहासिक महत्व के बावजूद मीर नासिर व उनके फरजंदों के मकबरों की कोई सुद्ध नही ले रहा है। इस संबंध में डीसी मोहम्मद तय्यब का कहना है कि इस संबंध में एक रिपोर्ट तैयार कर सरकार को भेजी जाएगी और महान संगीतकार की यादों को ¨जदा रखने की भरसक कोशिश रहेगी।


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