अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही काली बेई
पंजाब सरकार एक तरफ तो श्री गुरू नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व को यादगार बनाने के लिए पैसा पानी की तरह बहा रही हैं वहीं सिख इतिहास में एक विशिष्ट स्थान रखने वाली काली बेई नदी अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है।
संजीव भल्ला, कपूरथला। पंजाब सरकार एक तरफ तो श्री गुरू नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व को यादगार बनाने के लिए पैसा पानी की तरह बहा रही हैं, वहीं सिख इतिहास में एक विशिष्ट स्थान रखने वाली काली बेई नदी अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है। गुरुपर्व पर आयोजित होने वाले उत्सवों के दौरान लाखों श्रद्धालु सुल्तानपुर लोधी के एतिहासिक गुरूद्वारा बेर साहिब के साथ नदी पर बनाए गए घाटों पर डुबकी लगाएंगे। पहली पातशाही श्री गुरू नानक देव जी ने भी बेई में डुबकी लगाई थी और उन्हें परम ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। कपूरथला के पास से काली बेई की हालत बहुत बदतर है। किसी जमाने में एक पिकनिक स्पाट के तौर पर मशहूर कांजली, जहां से बेई निकलती है, वह अब तो कर्म कांडी लोगों की ओर से पंडितों द्वारा बताए उपाय करने का अड्डा बन चुका है। किसी भी समय वहां लोगों को अनाज, नारियल, पैसा, चावल, फूल और फल आदि फेंकते वहां देखा जा सकता है। कोई मछली को चावल खिला रहा होता है तो कोई अनाज पानी में फेंककर अपनी गृह चाल को सीधे कर रहा होता है। पुल पर बनी रेलिग पर हमेशा पॉलीथिन के लिफाफे बंधे देखे जा सकते हैं। लोग चीजों को जल प्रवाह करने के बाद लिफाफों को इस तरह साथ बांध जाते हैं। दैनिक जागरण ने मौके पर जाकर देखा तो पाया कि कांजली के पास ही कुछ बच्चे लोगों द्वारा उपाय के तौर पर फेंका खाद्य सामान निकाल रहें थे। कैमरे पर न लाने का उन्होनें निवेदन करते बताया कि खास कर नारियल वापस बाजार में आधे दाम पर बिक जाता है। इसके इलावा अनाज के साथ फेंके गए सिक्के वह तल से जाकर उठा लेते हैं। दसूहा से लेकर सुल्तानपुर लोधी तक कई शहरों का दूषित पानी इस बेई में बिना ट्रीट किए डाला जा रहा है। अगर सूत्रों की माने तो सुल्तानपुर लोधी में भी जहां सरकार ने आरजी तौर पर लंगर का प्रबंध किया है, वहीं पर भी फालतू पानी बिना प्रोसेस कालीं बेई में डाला जा रहा है।
पंडितों के बहकावे की बजाय कर्म करने पर ही यकीन रखें लोग
संत बाबा बलबीर सिंह सींचेवाल ने दैनिक जागरण से बात करते हुए कहा कि सरकार को लोगों की श्रद्धा को देखते हुए बेई को प्रदूषण मुक्त रखने की पूरी कोशिश करनी चाहिए। कई बार मामला सरकार के ध्यानार्थ लाया जा चुका है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होनें लोगों से अपील की कि सरकार की ओर देखने की बजाए खुद ही बाबा नानक की खुशियां हासिल करें। पंडितों के बहकावे में न आकर वे कर्म करने पर ही यकीन रखें और कुदरती खजाने को खराब न करें।