बिना दस्तावेज शहर की सड़कों पर दौड़ रहे जुगाड़ू वाहन, प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान
जिले के अलग-अलग गांवों व शहरों में लंबे समय से चल रहे जुगाड़ के वाहनों से हादसे हो रहे हैं। मंगलवार रात नौ बजे खैड़ा दोना मंडी के पास जुगाड़ू वाहन की ट्रक से टक्कर होने की वजह से छह लोगों की मौत हो गई
कपूरथला [नरेश कद]। जिले के अलग-अलग गांवों व शहरों में लंबे समय से चल रहे जुगाड़ के वाहनों से हादसे हो रहे हैं। जिला प्रशासन जुगाड़ू वाहनों पर कार्रवाई करने में विफल साबित हो रहा है। मंगलवार रात नौ बजे खैड़ा दोना मंडी के पास जुगाड़ू वाहन की ट्रक से टक्कर होने की वजह से छह लोगों की मौत हो गई जबकि चार गंभीर रूप में घायल हो गए। इससे पहले भी ऐसे जिले में जुगाड़ू वाहन की वजह से कई हादसे हो चुके हैं इसके बावजूद लोग जुगाड़ू वाहनों का इस्तेमाल करने से बाज नहीं आ रहे हैं। बिना दस्तावेज के सड़क पर दौड़ रहे जुगाड़ वाहन ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
जुगाड़ वाहनों पर लंबी पाइप, सरिया, लोहे के स्ट्रक्चर आदि लदे होते हैं। इसके अलावा चारा, रेत, बजरी व भट्ठे से ईट की भी ढुलाई की जाती है। कपूरथला, भुलत्थ, नडाला, ढिलवा, काला संघिया व तलवंडी चौधरियां आदि क्षेत्र में जुगाड़ू वाहनों का प्रचलन ज्यादा है। जुगाड़ू वाहन में एक हजार ईंट एक बार में लाद कर पहुंचाया जाता है। ईंट-भंट्ठा मालिकों वालों के अनुसार ट्रैक्टर ट्राली पर 2000 से कम ईंट लादने पर उन्हें नुकसान होता है इसलिए वह जुगाड़ू वाहन की मदद लेते हैं। क्षेत्र में जुगाड़ू गाड़ियों से कभी कभार यात्रियों व मजदूरों को भी लेकर जाया जाता है। शहरों में भी ऐसी गाड़ियां दिखती हैं जो बक्से व अन्य सामान लेकर आती जाती है। कुल मिलाकर शहर से लेकर गांव तक सैकड़ों की संख्या में जुगाड़ वाहन चल रहे हैं।
वातावरण में घोल रहे जहर
जुगाड़ वाहनों में 15 से 20 साल पुराने स्कूटर व मोटर साइकिलों के इंजन लगाए जाते हैं। जुगाड़ू वाहन एक लीटर ईधन में 25 से 30 किलोमीटर तक चलता है। सामान्य रिक्शे में पुराने स्कूटर का इंजन फिट कर बनने वाला जुगाड़ 12 हजार रुपये में तैयार हो जाता है। गांवों में तो पंपिग सेट का इंजन फिट कर जुगाड़ का वाहन तैयार कर लिया जाता है। जुगाड़ू वाहन से निकलने वाला धुआं पर्यावरण को प्रदूषित करता है।
रोड टैक्स नहीं देते वाहन चालक
मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार जुगाड़ू किसी वाहन की श्रेणी में नहीं आते हैं। आम वाहनों के लिए रोड टैक्स, इंश्योरेंस, फिटनेस सहित तमाम तरीके के टैक्स देने होते हैं लेकिन इन वाहनों के चालक कोई टैक्स नहीं देते। नए वाहन एक्ट के अनुसार सड़क पर बिना पंजीकरण कोई गाड़ी चलाना अपराध है। प्रदूषण फैलानी वाली गाड़ियां तो कतई नहीं चलेंगी लेकिन यह सब हो रहा है। विरासती शहर व गांवों में पुराने स्कूटर और बाइक को भी मोडीफाई कर माल ढोने वाले वाहन बना दिए गए हैं जो कि जिले की सड़कों पर दौड़ रहे हैं। इन वाहनों की वजह से बाजारों में जाम लग रहा है। पुराने स्कूटर और बाइक का रेहड़ा बना दिया गया है। तीन पहिया माल ढोने वाले इन वाहनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इन वाहनों का रजिस्ट्रेशन भी नहीं होता है। वाहनों पर क्षमता से अधिक माल लाद लिया जाता है जिस कारण बाजार में जाम लग जाता है। कामर्शियल के रूप में पंजीकृत ट्रैक्टर ट्राली से ही होगी ढुलाई वाहन एक्ट के अनुसार ट्रैक्टर का दो रूप में रजिस्ट्रेशन होता है। पहला कृषि कार्य व दूसरा कामर्शियल प्रयोग के लिए। कामर्शियल प्रयोग के लिए ट्रैक्टर-ट्राली को टैक्स देना होता है। ईंट भट्ठा मालिक कृषि कार्य के लिए रजिस्ट्रेशन करवाकर ट्रैक्टर ट्राली का कामर्शियल प्रयोग कर रहे हैं।
शहरवासी बोले- जुगाड़ू वाहनों पर लगे रोक
कारोबारी संदीप सिंह का कहना है कि जुगाड़ वाहनों की वजह से शहर की यातायात व्यवस्था बेहद खराब है। कई बार बाजार में निकलना मुश्किल हो जाता और जाम लगा जाता है। विपन कुमार का कहना है कि इन वाहनों की संख्या निर्धारित की जाए। अत्यधिक संख्या होने की वजह से यातायात व्यवस्था प्रभावित होती है। माल रोड पर दुकान चला रहे शैली साहिर का कहना है कि जुगाड़ वाहनों के रूट निर्धारित किए जाएं। एक ही मार्गों पर अत्यधिक वाहनों का संचालन नही होना चाहिए है। इनकी आवश्यकता भी है, लेकिन संख्या अधिक होने की वजह से कई बार शहर में जाम की स्थिति बन जाती है।
शहर में चल रहे जगाड़ू वाहनों के खिलाफ जल्द ही जांच अभियान चलाया जाएगा। वाहन चालकों पर कार्रवाई की जाएगी।
-जसबीर सिंह, एसपी ट्रैफिक, कपूरथला।