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पहले बाढ़ से बर्बाद हुई फसल, अब बारिश ने पूरी की कसर

पिछले कुछ दिनों लगातार हुई भारी बारिश ने किसानों के सपनों पर पानी फेर दिया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 06 Oct 2019 01:45 AM (IST)Updated: Sun, 06 Oct 2019 01:45 AM (IST)
पहले बाढ़ से बर्बाद हुई फसल, अब बारिश ने पूरी की कसर

नरेश कद, कपूरथला

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पिछले दिनों पहले हुई भारी बारिश ने किसानों के सपनों पर पानी फेर दिया है। खेतों में धान की फसल पूरी तरह पक कर तैयार थी लेकिन पिछले चार से पांच दिनों तक हुई लगातार बारिश के कारण खेतों में पानी भर गया है जिससे धान की कटाई की अभी कोई उम्मीद दिखाई नही दे रही। बारिश के कारण फसल में नमी होने की वजह से किसानों को मंडी में धान का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। निजी खरीद एजेंसियां कम रेट में धान की खरीद कर रहे हैं जिससे किसानों का आर्थिक नुकसान हो रहा है। निचले क्षेत्रों में भरे पानी के अभी दस दिन तक सूखने की उम्मीद नही है जिससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीर खिंच गई है।

बारिश इस बार किसानों के लिए बारिश आफत बन कर बरसी है। पहले बाढ़ के कारण सुल्तानपुर लोधी मंड क्षेत्र में हजारों एकड़ धान की फसल बर्बाद हो गई थी और अब पिछले दिनों हुई बारिश से बेट क्षेत्र के किसानों की फसल बर्बाद होने की कगार पर पहुंच गई है। तेज हवाओं व ज्यादा बारिश के कारण धान की फसल जमीन पर बिछ गई है। बारिश के कारण धान का सिर भारी हो गया और तेज हवाओं के साथ फसल जमीन पर बिछ गई है। इससे धान का दाना पानी में डूब गया है और पराली भी कमजोर हो गई है।

कई किसान पानी से भरे खेतों में से ज्यादा कीमत अदा कर मजदूरों से धान की पकी फसल को हाथों से कटवा कर बाहर निकाल रहे हैं।

गांव जैनपुर के किसान जय सिंह का कहना है कि उनकी जमीन कुछ निचली है, जिसमें पिछले दस दिनों से पानी भरा हुआ है और फसल पक्क कर तैयार थी, अभी करीब 10-15 दिन तक कंबाइन चलनी संभव नही थी, इस वजह से वह धान को उपर से कटवा कर बाहर निकाल रहे हैं जिसे कंबाइन से निकाल कर मंडी पहुंचाया जाएगा।

गांव काहना के किसान साधू एवं गांव मीरा निवासी तरसेम सिंह ने बताया कि पहले बारिश के कारण पिछले साल आलू बर्बाद हो गया था और अब धान की करीब आधी फसल खराब हो गई है। उन्होंने बताया कि इस बार बेमौसम बरसात के चलते धान की तैयार फसल को बहुत क्षति पहुंची है। अभी भी मौसम साफ नही हो रहा है जिससे किसान परेशान हैं। लोग जेसीबी मशीन से खेतों में गड्ढ़े मारकर पानी निकालने लग जाते हैं।

खेतों में पानी भरने से खराब होगा दाना : डॉ. युगराज

इस संबंध में कृषि विज्ञान केंद्र के डायरेक्टर डॉ. जुगराज सिंह ने बताया कि इस बार बारिश काफी ज्यादा हुई है, जिससे निचले क्षेत्रों के धान को नुकसान पहुंचा है। धान की फसल पक चुकी है, जिससे पराली कुछ कमजोर हो जाती है और तेज हवाओं के चलते अनेक किसानों की फसल खेतों में बिछ गई है। इस वजह से जिन खेतों में अभी बारिश का पानी खड़ा है, उस धान के दाने को नुकसान पहुंचेगा। उसका रंग काला हो जाएगा। उन्होंने किसानों को अपील की मौसम ठीक होने पर धान की सुपर एमएमएस वाली कंबाइन से कटाई करवा कर धान मंडी में लेकर जाए और पराली को आग लगाने की बजाए हैपी सीडर से पराली समेत खेतों में कनक की बिजाई करे। इससे उनकी लागत में कमी आएगी और उत्पादन अधिक मिलेगा।


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