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जीबी नैनी केयर में दी पराली से बिजली बनाने की ट्रेनिंग

संवाद सहयोगी, फगवाड़ा:::वि::: जीबी नैनी केयर पैरा मेडिकल इंस्टीट्यूट फगवाड़ा में किसा

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Nov 2018 07:44 PM (IST)Updated: Sun, 11 Nov 2018 07:44 PM (IST)
जीबी नैनी केयर में दी पराली से बिजली बनाने की ट्रेनिंग
जीबी नैनी केयर में दी पराली से बिजली बनाने की ट्रेनिंग

संवाद सहयोगी, फगवाड़ा:::वि:::

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जीबी नैनी केयर पैरा मेडिकल इंस्टीट्यूट फगवाड़ा में किसानों के लिए एक कार्यशाला का आयोजन जीबी अस्पताल के प्रमुख डॉ. जीबी सिंह की अध्यक्षता में किया गया। समारोह में जीबी अस्पताल में डॉक्टर जीबी ने कहा की हमारा सामाजिक दायित्व है कि हम पर्यावरण को सुरक्षित रखें, यह तभी संभव है जब हम ऐसे मॉडल पर सही ढंग से काम करें जिससे न केवल बायोगैस बने व पर्यावरण भी सुरक्षित रहे। उन्होंने कहा कि वे एक हेल्थ प्रोफेशनल हैं, तो इसकी उन्हें चिंता होती है कि अगर वातावरण ऐसे ही प्रदूषित होता रहा तो कल को हमारे बच्चे हमारे बुजुर्ग सभी खतरे में आए जाएंगे तथा उनको सास की तकलीफ हो सकती है। इस अवसर पर जीबी नैनी केयर के डायरेक्टर व संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक व पर्यावरण डॉ. शीलेंद्र भट्ट ने एक सस्ता मॉडल पेश किया, जिस पर काम करके 1 टन में 10 मेगा वाट बिजली पैदा की जा सकती है, जिसमें केवल गाय का गोबर इस्तेमाल करना होगा। इस अवसर पर कई गांवों के सरपंच व अन्य लोग उपस्थित थे। इस दौरान किसानों ने अपनी समस्याओं से उन्हें अवगत करवाया। वैज्ञानिक डॉ. शीलेंद्र ने बताया की कोई भी किसान अगर हमसे कोई सहायता चाहता है तो यह निशुल्क उपलब्ध है तथा इसमें वैज्ञानिकों की टीम पूरी मदद करेगी। डा. शीलेंद्र के साथ डा. टंडन ने बताया कि इसका लाभ किसानों को कैसे मिलेगा तथा क्या भविष्य में इसको लंबे समय तक उपयोग कर सकते है, उन्होंने बताया की इसमें लागत केवल एक बार लगती है तथा इसको एक बार ही चैंबर में उचित वातावरण में डालना होता है तथा 3 से चार दिनों में बायोगैस का उत्पादन शुरू हो जाता है, जिसका उपयोग या फिर गाड़ी चलाकर सकते है या फिर जनरेटर चलाकर सकते है। इस अवसर पर डा. देवेंद्र सिंह ने सुझाव दिया कि गांवों की खाली पड़ी जमीनों का उपयोग करके तथा तथा 5-10 लोगों का समूह बना कर इस काम को किया जा सकता है। सभा का संचालन मिस रूबल ने किया तथा नैनी संस्था के सभी अध्यापक गुरप्रीत, जसप्रीत, अमरजीत सिंह व अस्पतल का स्टाफ मौजूद था। डाक्टर जीबी सिंह ने बताया कि आज ब्राजील एक ऐसा देश है, जहां पर बिजली से लेकर कार तक के लिए बायोगैस का उपयोग किया जाता है और इस पर लागत भी कम आती है।


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